अमृतसर। Punjabi भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए अपनी सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शनिवार को पंजाबियों को राज्य भर में निजी और सार्वजनिक भवनों पर पंजाबी भाषा में सभी साइनबोर्ड लगाने के लिए एक जन आंदोलन शुरू करने के लिए आगे आने का आह्वान किया है। मुख्यमंत्री ने यहां गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी में पंजाबी भाषा माह मनाने के लिए राज्य स्तरीय समारोह के दौरान एक सभा को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र, तमिलनाडु और अन्य राज्यों का उदाहरण दिया जहां लोग अपनी मातृभाषा का बहुत सम्मान करते हैं और अपनी दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर अपनी मूल भाषा सभी साइनबोर्ड लगाते हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब पंजाबियों को भी इस नेक प्रथा को अपनाने के लिए आगे आना चाहिए। भगवंत मान ने पंजाबियों को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित किया कि मातृभाषा के सम्मान के प्रतीक के रूप में अन्य भाषाओं के साथ सभी साइनबोर्ड पंजाबी में प्रमुखता से लगाए जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि 21 फरवरी को आने वाले अंतर्राष्ट्रीय भाषा दिवस से पहले पंजाबी में साइनबोर्ड लगाए जाएं। उन्होंने मातृभाषा के सम्मान के प्रतीक के रूप में इसे एक जन आंदोलन बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। भगवंत मान ने कहा कि समझदार पंजाबी 21 फरवरी से पहले इसे अपना लेंगे और बाकी को उसके बाद सरकार के पाले में कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने भारत और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बसे पंजाबी समुदाय को पंजाबी भाषा और संस्कृति को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने का आह्वान किया। भगवंत मान ने कहा कि यह एक सच्चाई है कि कोई भी अपनी समृद्ध संस्कृति और मातृभाषा से खुद को अलग करके जीवित नहीं रह सकता है। उन्होंने कहा कि नि:संदेह अंग्रेजी एक संपर्क भाषा के रूप में दुनिया भर में सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत है, लेकिन इस भाषा को हमारी मातृभाषा की कीमत और स्थिति पर बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर पंजाबी को विरासत में मिली गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजाब महान गुरुओं, संतों और शहीदों की भूमि है और युगों से यह मानव जाति के लिए पथप्रदर्शक रहा है। भगवंत मान ने कहा कि पंजाबियों ने अपनी मेहनत और लगन से पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर कोई अपनी मातृभाषा भूल जाता है तो यह अभिशाप है, लेकिन दुर्भाग्य से अंग्रेजी और अन्य भाषाओं के चक्कर में पंजाबी अपनी मातृभाषा से दूर होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रवृत्ति को उलटने की जरूरत है क्योंकि यह एक निर्विवाद तथ्य है कि एक व्यक्ति अपनी मातृभाषा में ही अच्छी तरह से संवाद अभिव्यक्त कर सकता है। भगवंत मान ने कहा कि मानसिक गुलामी के कारण आज भी हम अंग्रेजी भाषा की श्रेष्ठता को मानते हैं, जबकि सच तो यह है कि पंजाबी हम सबके लिए सबसे अच्छी भाषा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विदेशों में कई देश पंजाबी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं लेकिन हम कहीं न कहीं इसका प्रयोग करने से कतरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी भाषा बुद्धि का प्रतीक नहीं होती है लेकिन दुर्भाग्य से हम सिर्फ अंग्रेजी को आगे बढ़ाने के लिए अपनी मातृभाषा की लगातार उपेक्षा कर रहे हैं। भगवंत मान ने फ़्रांस का उदाहरण देते हुए कहा कि फ़्रांसीसी लोग अपनी मातृभाषा में बात करना पसंद करते हैं और इसके सम्मान में पंजाबियों को भी पंजाबी को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाबी भाषा एक खजाना है क्योंकि इसमें बहुत सारा साहित्य, गीत, कविता और अन्य सामग्री लिखी गई है। उन्होंने कहा कि समय आ गया है जब हमें इस संपदा को संरक्षित करना चाहिए और अपनी आने वाली भाषाओं के लिए इसे कायम रखना चाहिए। भगवंत मान ने कहा कि हमें अपनी भाषा, संस्कृति और परंपराओं पर गर्व होना चाहिए और विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को इस नेक काम के लिए आगे आना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों को इसमें शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए शिक्षण संस्थानों से पंजाबी भाषा में विशेष पाठ्यक्रम शुरू करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि पंजाबी भाषा में छात्रों की रचनात्मकता पर विशेष ध्यान देकर उनकी रचनात्मकता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। भगवंत मान ने कहा कि पंजाबी भाषा ने कई साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों और कवियों को जन्म दिया है, पंजाबी को उन पर हमेशा गर्व रहता है। इससे पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने इस अवसर पर सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। उन्होंने पंजाब की गौरवशाली विरासत के बारे में हमारी युवा पीढ़ी को परिचित कराने के लिए विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में भी अवगत कराया। मीत हायर ने कहा कि मातृभाषा किसी भी व्यक्ति के लिए संचार का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा एवं भाषा विभाग की नई पुस्तकों का विमोचन भी किया, उन्होंने इस अवसर पर प्रसिद्ध साहित्यकारों को सम्मानित भी किया।
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