हाइलाइट्स :
ईडी अधिकारी ने डॉक्टर को पुराना केस निपटाने की बात कहकर माँगी थी रिश्वत।
शुक्रवार को 20 लकह की पहली रिश्वटी लेते रंगे हाथ किया गया था ट्रैप।
इस मामले में अब भाजपा और कांग्रेस आमने सामने हैं।
तमिलनाडु। सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (DVAC) के अधिकारियों द्वारा ईडी अधिकारी अंकित तिवारी से जुड़े मामले के संबंध में तलाशी की। तलाशी के बाद ईडी उप-जोनल कार्यालय के सुरक्षा अधिकारियों ने कार्यालय पर ताला लगा दिया। ED (Enforcement Directorate) अधिकारी अंकित तिवारी को डिंडीगुल में एक डॉक्टर से 20 लाख रु. रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था। इस मामले में अब भाजपा और कांग्रेस आमने सामने हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि, एक व्यक्ति के लिए पूरी ED को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। वहीं कांग्रेस का आरोप है कि, अधिकारी यदि निर्दोष था तो उसे भागना नहीं चाहिए था।
किसी एक व्यक्ति की गलती के लिए ईडी को दोषी नहीं ठहरा सकते :
तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के. अन्नामलाई ने इस मामले में कहा है कि, "कल (शुक्रवार), डीवीएसी ने ईडी विभाग के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। उसे अदालत में पेश किया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। यह पहली बार नहीं है और यह आखिरी बार भी नहीं है।" इससे पहले भी, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और दिल्ली जैसे राज्यों में सीबीआई और ईडी जैसी विशेष एजेंसियों द्वारा कई लोगों को पकड़ा और गिरफ्तार किया गया है। हाल ही में, ऐसी ही एक घटना राजस्थान में हुई...हम किसी एक व्यक्ति की गलती के लिए ईडी को दोषी नहीं ठहरा सकते।
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष केएस अलागिरी ने यह कहते हुए ईडी पर निशाना साधा है कि, रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार किया गया अधिकारी यदि निर्दोष था तो उसे भागना नहीं चाहिए था। तमिलनाडु पुलिस को मिली जानकारी और शिकायत के आधार पर वे प्रवर्तन विभाग के कार्यालय में जाँच करने गए। यदि वह (ED अधिकारी) निर्दोष था, तो वह उनका सामना कर सकता था और वह उस समय क्यों भाग गया।
यह है पूरा मामला :
DIPR सचिवालय द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, अंकित तिवारी ने 29 अक्टूबर को डिंडीगुल के एक सरकारी डॉक्टर से संपर्क किया था। डॉक्टर से उसके खिलाफ दर्ज पुराना मामला निपटाने के लिए रिश्वत की बात की थी। अंकित तिवारी ने डॉक्टर के कहा था कि, जांच करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से निर्देश प्राप्त हुए हैं और इसे 30 अक्टूबर को मदुरै में ईडी कार्यालय के सामने पेश होना है।
अंकित तिवारी ने पहले 3 करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की थी। इसके बाद वह 51 लाख रुपये लेने के लिए सहमत हो गया था। 1 नवंबर को डॉक्टर ने अंकित तिवारी को रिश्वत की पहली किश्त के रूप में 20 लाख रुपये देने के लिए बुलाया था। यहाँ अंकित तिवारी को DVAC के अधिकारियों ने रिश्वत लेते रंगे हाथों ट्रैप कर लिया।
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