लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण में कर्नाटक की 14 सीटों पर चुनाव
14 में से 6 है अहम सीटें, 2 केंद्रीय मंत्री भी मैदान में
तीसरे चरण के मतदान के साथ कर्नाटक में खत्म हो जाएगा चुनाव का दौर
Karnataka Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण में देश की कुल 95 सीटों पर मतदान होना है। इन 95 सीटों में से 14 सीटें कर्नाटक की है। इन 14 सीटों में से छह ऐसी सीटें जो हॉट सीट्स मानी जा रही है। वो छह सीट है बेलगाम, गुलबर्ग, हावेरी, धारवाड़, बीदर और शिमोगा। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कर्नाटक की 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी तो वहीँ कांग्रेस को महज़ एक बेंगलुरु ग्रामीण की सीट पर जीत हासिल हुई थी। हालाँकि, इस बार भाजपा के लिए कर्नाटक को भेद पाना इतना आसान समझ नहीं आ रहा है। 2023 के विधानसभा चुनाव में सिद्दारमैया और कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार की जोड़ी द्वारा भाजपा को बड़ी हार थमाए जाने के बाद कर्नाटक के समीकरण बदलते हुए नज़र आ रहे है।
सीएम सिद्दारमैया और उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की जोड़ी ने सरकार बनने के तुरंत बाद ही अपनी पांच गारंटियों को पूरा किया जिसका फ़ायदा कांग्रेस को मिलने आसार दिख रहे है। वही, भाजपा में राज्य अपने नेतृत्व को लेकर असमंजस में नज़र आ रही है। हालही में सामने आया जेडीएस सांसद प्रज्वल रेवन्ना के सेक्स स्कैंडल से भी भाजपा को घाटा होने की उम्मीद लगायी जा रही है क्योंकि इस बार जेडीएस और भाजपा गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ रहे है। चलिए समझते है तीसरे चरण में मतदान प्रक्रिया से गुजरने वाली 14 में से 6 अहम सीटों का गणित और समीकरण।....
यह सीट केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी की सीट है। इस सीट से वह पिछले चार बार से सांसद है और इस बार भी भाजपा ने उन्ही ही टिकट दिया है। 2008 में संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन के पहले यह सीट धारवाड़ उत्तर के आधीन आया करती थी जहाँ 1996 से ही भाजपा का इस पर कब्ज़ा रहा है। यह एक ऐसी सीट है जहां मराठी समुदाय के लोग भी बड़ी पैमाने में रहते है।कर्नाटक की सबसे अहम जाति लिंगायत के गुरु फ़क़ीर दिंगलेश्वरा स्वामी ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। बीते महीने दिंगलेश्वरा स्वामी ने भाजपा हाई कमान से अल्टीमेटम दियाथा की वह धारवाड़ से प्रहलाद जोशी का टिकट वापस ले क्योंकि उन्होंने लिंगायत समाज की समस्याओं का समाधान नहीं किया है।
इसके बाद स्वामीजी ने खुद धारवाड़ से चुनाव लड़ने का फैसला किया था और नामांकन भी दाखिल कर दिया था लेकिन, 23 अप्रैल को उन्होंने अपना नामांकन वापस लेते हुए कहा था की वह चुनाव तो नहीं लड़ेंगे लेकिन अपना धर्म युद्ध चालू रखेंगे। आपको बता दें कि, इस सीट के अंतर्गत 5 लाख+ लिंगायत, 3.5 लाख मुस्लिम, 2.7 लाख एससी और 2 लाख कुरुबा वोटर है। कांग्रेस ने यहाँ से एक नए और युवा कुरुबा समाज से आने वाले नेता विनोद असूती को मैदान में उतारा है।
इस लोकसभा चुनाव में बेलगाम की सीट इसलिए महत्वपूर्ण हो चली है क्योंकि यहाँ से भाजपा ने अपने चार बार के सांसद सुरेश अंगडी की धर्म पत्नी मंगला अंगडी का टिकट काटकर पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार को टिकट दिया है। जगदीश शेट्टार को भाजपा ने साल 2012 में मुख्यमंत्री बनाया था। जगदीश शेट्टार भाजपा की टिकट हुब्बाली-धारवाड़ विधानसभा सीट से 6 बार के विधायक रहे थे। हालाँकि, 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे जहां उन्होंने अपनी पारंपरिक सीट गवा दी।
हालाँकि, इस साल जनवरी माह में वह वापिस भाजप में शामिल हो गए और अब पहली बार सांसदी का चुनाव भी लड़ेंगे। कांग्रेस ने यहां वर्तमान में कर्नाटक की महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी हेब्बलकर के बेटे मृणाल हेब्बलकर को मैदान में उतारा है। यह सीट पिछले 5 चुनावों से भाजपा के नाम होते आई है। हालाँकि, इस बार मुकाबला टक्कर के होने की संभावना है जहां दाव पर शेट्टार का राजनीतिक करियर है।
यह एक और ऐसी सीट जहां से केंद्रीय मंत्री चुनाव लड़ रहे है। इस सीट से रसायन और उर्वरक, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री भगवंत खुबा पिछले 2 बार से सांसद है। यह एक बहुत ही अहम् सीट है। इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच खींचतान चलती रहती है। बहरहाल, खुबा को अपनी ही पार्टी से विरोध का सामना कारण पड़ रहा रहा है जहां इस सीट के अंतर्गत आने वाले भाजपा विधायक उनके लिए प्रचार नहीं कर रहे है।
इस सीट पर कुल 1.45 लाख आबादी मराठा समाज की है जो कि दोनों भाजपा और कांग्रेस से खफा बताएं जा रहे है। वहीँ, इस बार कांग्रेस ने इस सीट से बीदर लोकसभा सीट के भीतर आने वाली भालकी विधानसभा सीट से चार बार के विधायक ईश्वर खंड्रे को टिकट दिया है। ईश्वर कर्नाटक सरकार में वन और पर्यावरण मंत्री भी है। बताया जा रहा है कि अपनी ही पार्टी में एंटी इंकम्बेंसी के कारण केंद्रीय मंत्री को झटका लगने की उम्मीद है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी का फैक्टर शायद उन्हें बचा सकता है।
राज्य के एक पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई हावेरी सीट से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने वाले है। भाजपा ने अपने लगातार 3 बार के सांसद शिवकुमार उदासी का टिकट काटकर बोम्मई को टिकट दिया है। वह लगभग 2 सालों तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे और अभी विधानसभा में विपक्ष के नेता है। बोम्मई को भाजपा ने लिंगायत समाज के लिए येदियुरप्पा के बाद एक बड़े नेता तौर पर स्थापित करने के इरादे से टिकट दिया है।
हालाँकि, हावेरी लोकसभा के अंदर आने वाले 8 विधानसभा क्षेत्र में से 7 पर कांग्रेस का कब्ज़ा है। इसी को देखते हुए कांग्रेस ने इस बार यहां से इस बार नए चेहरे को मौका दिया है। कांग्रेस ने यहां से अपने पूर्व विधायक जीएस गद्दादेवरामथ के बेटे आनंदस्वामी को उम्मीदवार बनाया है। यह सीट 1952 -1999 तक कांग्रेस के कब्ज़े में थी लेकिन 2004 से यहाँ पर भाजपा ने अपना किला बनाया हुआ है।
इस बार कर्नाटक की सबसे रोचक और हाई प्रोफाइल सीट है शिमोगा सीट जिसमे त्रिकोणीय मुकाबला होने वाल है। इस सीट पर तीनो अहम प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्रियों के बच्चे है। इस सीट से भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री और कद्दावर लिंगायत नेता बीएस येदियुरप्पा के बेटे और मौजदा सांसद बीएस राघवेंद्र को और कांग्रेस ने कन्नड़ सुपरस्टार शिवराज कुमार की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री एस.बंगरप्पा की बेटी गीता कुमार को टिकट दिया है। इस सीट पर येदियुरप्पा का मजबूत पकड़ है और वह यहाँ से एक बार सांसद भी रह चुके है।
इस मुकाबले को रोचक और त्रिकोणीय बनाने का काम पूर्व उप मुख्यमंत्री और भाजपा नेता केएस ईश्वरप्पा ने किया है जहां कर्नाटक भाजपा के नेतृत्व से नाराज़ होकर उन्होंने खुद इस सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है। भाजपा से बगावत करने के पीछे उनका मुख्य कारण था कि वह चाहते थे कि हावेरी लोकसभा सीट से उनके बेटे कंटेश को टिकट नहीं देना जिसमे पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और उनके बेटे और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बिवाई विजयेंद्र का हाथ था। आपको बता दें कि, ईश्वरप्पा को पार्टी ने 6 साल के लिए निष्काषित कर दिया है। शिमोगा की सीट पिछले 4 चुनाव से भाजपा की झोली में आयी है।
गुलबर्गा सीट एक ऐसी सीट है जो कांग्रेस के लिए सबसे महत्वपूर्ण सीट है क्योंकि ये पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की सीट है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने पिछले चुनाव में यह सीट भाजपा प्रत्याशी उमेश जाधव के हाथ गवा दी थी। खड़गे यहाँ से 2 बार सांसद चुने गए थे। हालाँकि, इस बार वह चुनाव नहीं लड़ रहे है लेकिन कांग्रेस ने यहां से उनके खड़गे के दामाद राधाकृष्ण डोड्डामणी को उतारा है। हालाँकि, कांग्रेस द्वारा खड़गे को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाना उनके लिए इस सीट पर फायदेमंद हो सकता है। वहीँ, भाजपा ने एप मौजूदा सांसद उमेश जाधव पर ही दोबारा दाव खेला है। यह पारंपरिक तौर कांग्रेस की सीट की मानी जाती है लेकिन भाजपा ने पिछली बार इस किले को भेद दिया था।
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