आरिफ ने बाल गोपाल से मांगा इस्तीफा, विजयन को लिखी चिठ्ठी
आरिफ ने बाल गोपाल से मांगा इस्तीफा, विजयन को लिखी चिठ्ठीRaj Express

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने बालगोपाल से मांगा इस्तीफा, CM विजयन को लिखी चिठ्ठी

तिरुवनंतपुरम, केरल : राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने वित्त मंत्री के.एन. बालगोपाल से पद की शपथ का उल्लंघन करने और भारत की एकता तथा अखंडता को कम करने को लेकर इस्तीफा मांगा है।
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तिरुवनंतपुरम, केरल। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने वित्त मंत्री के.एन. बालगोपाल से पद की शपथ का उल्लंघन करने और भारत की एकता तथा अखंडता को कम करने को लेकर इस्तीफा मांगा है।

श्री खान ने श्री बालगोपाल की उत्तर प्रदेश के लोगों को लेकर की गयी टिप्पणी के कारण इस्तीफा मांगा है। श्री बालगोपाल ने कहा था कि उत्तर प्रदेश के लोग केरल के मुद्दे को नहीं समझेंगे। श्री खान ने मंगलवार को इस संबंध में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को पत्र लिखा।

श्री विजयन ने बुधवार को हालांकि राज्यपाल खान की उस मांग को खारिज कर दिया, जिसमें वित्त मंत्री को उनके मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने की मांग की गई थी।

उल्लेखनीय है कि राजभवन ने 17 अक्टूर को ट्वीट कर कहा था कि "मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद को राज्यपाल को सलाह देने का पूरा अधिकार है, लेकिन व्यक्तिगत मंत्रियों के बयान जो राज्यपाल के पद की गरिमा को कम करते हैं, उन्हें मंत्रिमंडल से हटाने की कार्रवाई की वजह बन सकते हैं।"

राज्यपाल खान ने मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में 19 अक्टूबर को प्रकाशित विभिन्न अखबारों की रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि श्री बालगोपाल की टिप्पणियों का उद्देश्य स्पष्ट रूप से राज्यपाल की छवि खराब करना और राज्यपाल के पद की गरिमा को कम करना है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री द्वारा की गई टिप्पणियां, जो क्षेत्रवाद और प्रांतवाद की आग को भड़काने की कोशिश करती हैं और अगर उन्हें अनियंत्रित होने दिया जाता है, तो वे हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता पर हानिकारक प्रभाव डाल सकते हैं।

उन्होंने विभिन्न समाचार पत्रों की रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि उनकी (श्री बालगोपाल) टिप्पणी अपमानजनक और आपत्तिजनक है। उन्होंने कहा कि केरल की सदियों पुरानी परंपरा विविध संस्कृतियों की धाराओं को स्वीकार करने और उनका सम्मान करने की रही है। हाल के दिनों में, उन्हें राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष के रूप में 'बाहरी' कहा गया है।

श्री खान ने कहा कि अपनी टिप्पणी से श्री बालगोपाल ने न केवल राष्ट्रीय एकता और अखंडता को चुनौती दी, बल्कि उस संवैधानिक परंपरा को भी चुनौती दी है, जो यह आवश्यक बनाती है कि प्रत्येक राज्य का राज्यपाल राज्य के बाहर का हो सकता है।

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