जयंती : जयललिता का वह रिश्ता जो ताउम्र एक रहस्य और विवाद ही बना रहा
राज एक्सप्रेस। आज तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री और तमिल फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री रहीं जयललिता की जयंती है। तमिल फिल्मों और वहां की राजनीति में लोकप्रियता के नए कीर्तिमान स्थापित करने वाली जयललिता का जन्म 24 फरवरी 1948 को कर्नाटक में हुआ था। बतौर अभिनेत्री अपने करियर की शुरुआत करने वाली जयललिता ने कई सुपर हिट फिल्मों में काम किया था। इसके बाद फ़िल्में छोड़ राजनीति में एंट्री की तो यहां भी सफलता का परचम लहराते हुए छह बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं। जयललिता ने अपने जीवन में सब कुछ हासिल किया, लेकिन उनका एक रिश्ता हमेशा विवादों में रहा है।
जयललिता और एमजीआर :
जब 16 साल की जयललिता ने फिल्मों में कदम रखा तब एमजी रामचंद्रन उर्फ एमजीआर तमिल फिल्मों में सुपरस्टार थे। कहा जाता है कि उम्र में करीब 30 साल का फासला होने के बावजूद एमजीआर ने जयललिता को अपनी फिल्मों के लिए चुना। दोनों ने एक साथ करीब 28 फिल्मों में काम किया। कहा जाता है कि फिल्मों में साथ काम करने के दौरान ही दोनों एक-दूसरे के करीब आए।
शादीशुदा थे एमजीआर :
उस समय एमजीआर और जयललिता की नजदीकियों के किस्से अक्सर मीडिया की सुर्ख़ियों में रहते थे। हालांकि एमजीआर के शादीशुदा होने के कारण दोनों के रिश्ते को कोई नाम नहीं मिल सका। इन दोनों के रिश्ते में उस समय दरार आना शुरू हो गई जब एमजीआर उन्हें अपने इशारों पर चलाने लगे। कहा जाता है कि जयललिता एक पत्नी की तरह एमजीआर की हर बात मानती थीं।
शोभन बाबू से बढ़ी नजदीकियां :
एक समय ऐसा भी आया जब एमजीआर और जयललिता के रिश्ते में दूरियां आने लगी। यह दूरियां उस समय ज्यादा बढ़ गई जब एमजीआर ने अपनी फिल्मों में दूसरी अभिनेत्रियों को लेना शुरू कर दिया। ऐसे समय में जयललिता तेलुगु फिल्म स्टार शोभन बाबू के करीब आ गईं। दोनों लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगे। कहा तो यह भी जाता है कि दोनों ने चुपके से शादी भी कर ली थी। हालांकि कभी इसकी पुष्टि नहीं हो सकी।
एमजीआर ने कराई राजनीति में एंट्री :
70 के दशक में एमजीआर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बन गए थे। दूसरी तरफ जयललिता और शोभन बाबू का रिश्ता खत्म हो चुका था। ऐसे में एमजीआर जयललिता को भी राजनीति में ले आए।
एमजीआर का निधन :
जयललिता और एमजीआर का यह रिश्ता उस समय खत्म हो गया जब एमजीआर का निधन हो गया। एमजीआर के निधन की खबर सुनकर जयललिता तुरंत उनके घर पहुंचीं, लेकिन एमजीआर के घरवालों ने उन्हें घर में घुसने नहीं दिया। इसके बाद जयललिता राजाजी हॉल पहुंचीं, जहां एमजीआर के पार्थिव शरीर को लाया गया था। कहा जाता है कि जयललिता दो दिनों तक एमजीआर के पार्थिव शरीर के पास खड़ी रही थीं।
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