जान लें, उत्तराखंड के इन गांवों में क्यों है धूम्रपान निषेध
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जान लें, उत्तराखंड के इन गांवों में क्यों है धूम्रपान निषेध, हो सकता है जानलेवा

उत्तराखंड में आज भी ऐसे पांच गाँव हैं। जहां धूम्रपान पूरी तरह से निषेध हैं और लोग यहां धूम्रपान नहीं करते। चलिए, आपको बताएं आखिर इसका कारण क्या है कि, यहां कोई भी धूम्रपान नहीं करता है।
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उत्तराखंड, भारत। आज की जनरेशन धूम्रपान करना युवाओं को बहुत कूल दिखता हैं। आजकल के युवाओं के लिए धूम्रपान करना बहुत ही आम सी बात हो गई है। हालांकि, यह आदत बिल्कुल गलत है। देश में चले रहे इस ट्रेंड के बीच शायद ही देश का कोई ऐसा शहर या गाँव हो जहां लोग धूम्रपान नहीं करते हों, लेकिन क्या आपको पता है, उत्तराखंड में आज भी ऐसे पांच गाँव हैं। जहां धूम्रपान पूरी तरह से निषेध हैं और लोग यहां धूम्रपान नहीं करते है। चलिए, आपको बताएं आखिर इसका कारण क्या है कि, यहां कोई भी धूम्रपान नहीं करता है।

क्यों है धूम्रपान निषेध :

आज के समय में किसी भी शहर या गाँव में यदि न्यू जनरेशन के युवा हैं तो धूम्रपान न करना थोड़ा भरोसा न करने जैसा ही लगेगा। क्योंकि, की एक का भी धूम्रपान न करना अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है। तो आपको बता दें, ऐसा उत्तराखंड के पांच गांवों ऐसे हैं, जहां कोई चाह कर भी धूम्रपान नहीं कर सकता। इसका बड़ा कारण हैं यहां बने घर है। दरअसल, पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के जोशीमठ में कुछ गाँव ऐसे हैं जहां स्थित सभी घर लकड़ी के बने हुए हैं। पूरे घर लकड़ी के बने होने के कारण यहां आग लगने का खतरा बहुत ज्यादा है। इसलिए यहां के गांवों में सिगरेट-बीड़ी पीना या किसी भी तरह का धूम्रपान करना प्रतिबंधित है। बता दें, यहां बने सभी घर पूरी तरह देवदार की लकड़ी के हैं। जो जल्दी ही आग पकड़ सकती है।

पर्यावरण के लिहाज से है सबसे सुरक्षित :

बताते चलें, उत्तराखंड के जोशीमठ में बहुत से घरों और इमारतें एसी हैं। जिनमें भूस्खलन और भूकंप के कारण दरारें पड़ गई हैं। इसलिए सरकार इन्हें गिराने वाली है। ऐसे में भूस्खलन और भूकंप से घरों और इमारतों को बचाने के लिए यहां घरों को लकड़ी का बनाया गया है। बता दें, इसे ‘कोटी बनाल’ आर्किटेक्चर को कहते हैं। इस तरह के यहां पांच गांव हैं, जहां लकड़ी के घर बने हैं और यहाँ के आर्किटेक्चर ने समूचे भारत को लुभा रखा है। लकड़ी के घरों को या कहें ‘कोटी बनाल’ आर्किटेक्चर को पर्यावरण के लिहाज से सबसे सुरक्षित माना जाता है। वैज्ञानिकों ने भी इस तरह के घरों को भूकंप से बचाव के लिए सबसे सुरक्षित बताया हैं।

कौन हैं वह गाँव :

बताते चलें, उत्तराखंड के सीमांत उत्तरकाशी जनपद के रवाईं क्षेत्र में वह गाँव बसे हैं। जहां धूम्रपान करना पूर्ण रूप से मना है। इन गाँव में गंगाड़ और ओसला सहित अन्य पांच गांवों के नाम शामिल हैं। यहां आप तस्वीर में देख सकते हैं कि, किस प्रकार लड़की से ही यहां तीन से चार मंजिला घर देवदार की लकड़ी से बने हुए हैं। यहां का आर्किटेक्चर हजारों साल पुराना है। इन घरों में सबसे नीचे भैंसों को रखा जाता है। जबकि, सबसे ऊपर बकरियों को रखा जाता है। इसके अलावा बीच में परिवार रहता है। तीसरे मेल पर आनाज का भंडारण रखा जाता है। यहां का अर्किटेक्चर हजारों साल पुराना है।

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