केंद्र ने तीन साल पहले जारी किया आदेश वापिस लिया - 'सम्मेद शिखर जी' को वापस मिला पर्यटन स्थल का दर्जा
रांची, झारखंड। झारखंड का 'सम्मेद शिखर जी' तीर्थ स्थल (Jharkhand's 'Sammed Shikhar Ji' pilgrimage site) काफी समय से चर्चा में था। सम्मेद शिखर जी को पर्यटन क्षेत्र घोषित किए जाने को लेकर पूरे देश में काफी बड़े स्तर पर विरोध किया जा रहा था। क्योंकि उसे पर्यटन स्थल के दर्जे से हटा दिया गया था। हालांकि, अब केंद्र की मोदी सरकार ने 'सम्मेद शिखर जी' को लेकर बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले के तहत केंद्र ने 'सम्मेद शिखर जी' को पर्यटन स्थल का दर्जा वापस दे दिया है। इस मामले में मोदी सरकार ने नया नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। मोदी सरकार ने ये नोटिफिकेशन अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए जारी किया है।
'सम्मेद शिखर जी' को मिला पर्यटन स्थल का दर्जा वापस :
दरअसल, केंद्र सरकार ने गुरुवार को बड़ा फैसला लेते हुए 'सम्मेद शिखर जी' को पर्यटन स्थल का दर्जा वापस कर दिया है। इस फैसले के बाद 'श्री सम्मेद शिखर' झारखंड का एक तीर्थ स्थान ही रहेगा। हालांकि, इसके लिए पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 'सम्मेद शिखर जी' को लेकर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा था और उस पर मंत्रालय ने त्वरित संज्ञान लेते हुए इको सेंसेटिव जोन अधिसूचना के खंड 3 के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगा दी है, जिसमें पर्यटन और इको टूरिज्म गतिविधियां शामिल हैं।
क्या था पत्र में ?
झारखण्ड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पत्र लिख जैन अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार की अधिसूचना संख्या का.आ. 2795 (अ) दिनांक 02अगस्त 2019 के संदर्भ में समुचित निर्णय लेने का आग्रह किया था। बताते चलें, झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया था कि,
'पारसनाथ 'सम्मेद शिखर जी' पौराणिक काल से जैन समुदाय का विश्व प्रसिद्ध पवित्र एवं पूजनीय तीर्थ स्थल है। मान्यता के अनुसार इस स्थान पर जैन धर्म के कुल 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों द्वारा निर्वाण प्राप्त किया गया है। इस स्थल के जैन धार्मिक महत्व के कारण भारत एवं विश्व के कोने-कोने से जैन धर्मावलंबी यहां तीर्थ करने आते हैं।'
हेमंत सोरेन, झारखण्ड मुख्यमंत्री
केंद्र ने बनाई कमेटी :
झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा लिखे पत्र के बाद केंद्र सरकार ने पारसनाथ मामले को लेकर एक कमेटी बनाई। यह कमेटी इको सेंसिटिव जोन की निगरानी करने का काम करेगी। इस कमेटी में राज्य सरकार को समिति में जैन समुदाय के दो सदस्यों और स्थानीय आदिवासी समुदाय से एक सदस्य को शामिल करने की बात सामने आई है। इतना ही नहीं इस मुद्दे को लेकर काफी विरोध हुआ था जो कि, मध्य प्रदेश के इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर, नर्मदापुरम, खंडवा, बालाघाट जैसे कई जिलों तक में होता नज़र आया। इस दौरान जैन समुदाय के लोग सड़कों पर नज़र आए। इन सब के बाद पारसनाथ स्थित जैन तीर्थस्थल 'सम्मेद शिखर जी' पर पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लगा दी गई है। इस फैसले को लेकर केंद्र सरकार ने अपने तीन साल पहले जारी किए आदेश को वापस ले लिया है।
ये गतिविधियां रहेंगी बैन :
बताते चलें, इस फैसले के बाद पारसनाथ पर्वत पर कुछ गतिविधियां बैन रखने के आदेश जारी किए गए हैं। जो कि इस प्रकार है जैसे -
शराब, ड्रग्स जैसे किसी भी नशीले पदार्थ की बिक्री पर बैन
तेज संगीत या लाउडस्पीकर नहीं बजाया जा सकता
यहां किसी भी पालतू जानवर को नहीं लाया जा सकता
अनाधिकृत कैम्पिंग और ट्रैकिंग बैन
यहां मांसाहारी खाद्य पदार्थों की बिक्री नही की जा सकती
ऐसी एक्टिविटीज़ जिनसे जल स्रोत, पौधे, चट्टानों, गुफाओं और मंदिरों को नुकसान पहुंचता हो, वह सभी बैन कर दी गई हैं।
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