नागपुर। दशहरा के पर्व पर शस्त्रों का पूजन होता है, इस दौरान आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी उत्सव के मौके पर नागपुर के रेशमीबाग में संघ कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान वे शस्त्र पूजन कार्यक्रम में भी शामिल हुए।
मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को किया संबोधित :
विजयादशमी उत्सव के मौके पर आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि, ''शासन व प्रशासन के इन शक्तियों के नियंत्रण व निर्मूलन के प्रयासों में हमको सहायक बनना चाहिए। समाज का सबल व सफल सहयोग ही देश की सुरक्षा व एकात्मता को पूर्णत: निश्चित कर सकता है। केवल हमारे समाज का मजबूत और सक्रिय सहयोग ही हमारी व्यापक सुरक्षा और एकता सुनिश्चित कर सकता है।''
मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा देने वाली नीति बननी चाहिए यह अत्यंत उचित विचार है, और नयी शिक्षा नीति के तहत उस ओर शासन/ प्रशासन पर्याप्त ध्यान भी दे रहा है। शक्ति ही शुभ और शांति का आधार है।
आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत
मोहन भागवत के संबोधन की महत्वपूर्ण बातें-
नई शिक्षा नीति से छात्र उच्च संस्कारी, अच्छे इंसान बनें जो देशभक्ति से भी प्रेरित हों - यही सबकी इच्छा है। समाज को इसका सक्रिय रूप से समर्थन करने की आवश्यकता है।
नयी शिक्षा नीति के कारण छात्र एक अच्छा मनुष्य बने, उसमें देशभक्ति की भावना जगे, वह सुसंस्कृत नागरिक बने यह सभी चाहते हैं।
संविधान के कारण राजनीतिक तथा आर्थिक समता का पथ प्रशस्त हो गया, परन्तु सामाजिक समता को लाये बिना वास्तविक व टिकाऊ परिवर्तन नहीं आयेगा ऐसी चेतावनी पूज्य डॉ. बाबासाहब आंबेडकर जी ने हम सबको दी थी।
योग और व्यायाम का अभ्यास करना चाहिए। व्यक्तिगत स्वच्छता और सामाजिक कल्याण की आदतों को विकसित किया जाना चाहिए। अगर लोग इन सब को नज़रअंदाज कर अपनी पुरानी आदतों और तेवरों को जारी रखें तो कौन सी प्रणाली सभी के लिए स्वास्थ्य सुनिश्चित कर सकती है?
आर्थिक क्षेत्र में काम करने वाले संगठन, स्थानीय स्वयंसेवकों ने 275 जिलों में स्वदेशी जागरण मंच के साथ मिलकर प्रयोग प्रारम्भ किया है। इस प्रारम्भिक अवस्था में ही रोज़गार सृजन में उल्लेखनीय योगदान देने में वे सफल हुए हैं ऐसी जानकारी मिल रही है।
मोहन भागवत ने नारियों की स्थिति पर अपने संबोधन में कहा कि, हम उन्हें जगतजननी मानते हैं, लेकिन उन्हें पूजाघर में बंद कर देते हैं ये ठीक नहीं है, मातृशक्ति के जागरण का कार्यक्रम अपने परिवार से प्रारंभ करना होगा, फैसला लेने में महिलाओं को भी साबित करना होगा।
दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है, हमने लंका को उसके आर्थिक संकट में मदद की।यूक्रेन में अमेरिका और रूस की लड़ाई में हमने अपने हित को सबसे आगे रखा। राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में हम लगातार सफल होते जा रहे हैं और स्वावलंबी होते जा रहे हैं, इस नवोत्थान की आहट सुनकर हम भी प्रसन्न हो रहे हैं।
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