दुनिया में सबसे धनी गुजराती गांव, 17 बैंकों में जमा हैं 5,000 करोड़ रुपये!

लगभग 7,600 आवास प्रतिष्ठानों के साथ, गुजरात का माधापार गांव कथित तौर पर विश्व स्तर पर सबसे धनी गांव है।
गुजरात के माधापार गांव के बैंकों की जमा राशि में एनआरआई वर्ग की बचत का एक बड़ा हिस्सा भी शामिल है।
गुजरात के माधापार गांव के बैंकों की जमा राशि में एनआरआई वर्ग की बचत का एक बड़ा हिस्सा भी शामिल है।Social Media -
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हाइलाइट्स –

  • Richest Village of world!

  • माधापार दुनिया का धनी गांव!

  • राज एक्सप्रेस पर जानें Madhapar के राज

राज एक्सप्रेस (RAj Express)। गुजरात का एक गांव अपनी बचत के कारण मीडिया रिपोर्ट्स में दुनिया का सबसे धनी गांव बताया जा रहा है।

हम बात कर रहे हैं गुजरात के माधापार गांव (Madhapar village) निवासियों की। इनकी 17 से अधिक बैंकों में 5,000 करोड़ रुपये की संचयी राशि जमा है। कुल 17 बैंकों में जमा राशि और लगभग 7,600 आवास प्रतिष्ठानों के साथ गुजरात का यह माधापार गांव; कथित तौर पर विश्व स्तर पर सबसे धनी गांव है।

माधापार गुजरात के कच्छ जिले में स्थित है और उन 18 गांवों में से एक है जिसे कच्छ के मिस्त्रियों ने बसाया।

प्रति व्यक्ति आय -

अनुमान बताते हैं कि माधापार में प्रति व्यक्ति औसत जमा लगभग 15 लाख रुपये है। इसे ध्यान में रखते हुए, इस गाँव के लोग भारत के प्रमुख शहरों और कस्बों की आधी आबादी से अधिक समृद्ध हो सकते हैं।

सिर्फ 17 बैंक ही नहीं, गांव में स्कूल, कॉलेज, स्वास्थ्य केंद्र, मंदिर, बांध, हरियाली और झीलें हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यहां एक अत्याधुनिक गौशाला भी है।

माधापार की विशिष्टता -

लेकिन यह गांव भारत के अन्य गांवों से इतना अलग कैसे है? वो इसलिए है क्योंकि गांव के अधिकांश घरों के सदस्य और उनके रिश्तेदार यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, खाड़ी देशों और अफ्रीका में रहते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक गांव के वे सभी लोग जो विदेश चले गए हैं, माधापार में रहने वाले अपने परिवार और रिश्तेदारों को अच्छी खासी रकम भेजते हैं।

साथ ही, इनमें से कई अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) ने विदेशों में भारी मात्रा में धन अर्जित किया और देश वापस आ गए। बाद में उन्होंने गांव में अपना उद्यम शुरू किया।

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गुजरात के माधापार गांव के बैंकों की जमा राशि में एनआरआई वर्ग की बचत का एक बड़ा हिस्सा भी शामिल है।
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मूल मंत्र सतत संवाद -

रिपोर्ट्स के अनुसार, 1968 में लंदन में माधापार विलेज एसोसिएशन के नाम से एक संगठन की स्थापना की गई थी। इस संगठन का उद्देश्य विदेश में रह रहे माधापार के लोगों की मुलाकात को सुविधाजनक बनाना था।

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गुजरात के माधापार गांव के बैंकों की जमा राशि में एनआरआई वर्ग की बचत का एक बड़ा हिस्सा भी शामिल है।
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ग्रामीण कार्यालय का सेतु -

आपस में सहज संपर्क स्थापित करने खास जतन किये गए। ग्रामीणों से परस्पर संवाद के लिए गांव में एक कार्यालय भी खोला गया था। यहां विदेश में रहकर काम कर चुके लोगों की जड़ें माधापार की मिट्टी में गहराई तक मजबूती से जकड़े हैं।

वे अपने पैसे को जहां वे अभी रहते हैं उस देश के बजाय अपने गांव के बैंकों में सहेजना पसंद करते हैं। गांव का मुख्य व्यवसाय अभी भी कृषि है, और उपज का निर्यात मुंबई को किया जाता है।

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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