जी-20 संसदों के बीच नियमित संवाद जरूरी : ओम बिरला
जी-20 संसदों के बीच नियमित संवाद जरूरी : ओम बिरलाRaj Express

जी-20 संसदों के बीच नियमित संवाद जरूरी : ओम बिरला

ओम बिरला ने कहा कि भारत में लोकतंत्र की यात्रा में जनता के मत के अनुसार सत्ता का सहज हस्तांतरण हमारे संविधान और लोकतंत्र की विशेषता रही है।
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जकार्ता। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज कहा कि भविष्य की वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए साझा प्रयास करने, श्रेष्ठ अनुभव साझा करने और नियमित संवाद कायम रखने की जरूरत है।

श्री बिरला ने इंडोनेशिया में जी-20 देशों के संसद के समूह पी-20 के अध्यक्षों के 8वें शिखर सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि शिखर सम्मेलन में यह निष्कर्ष निकला है कि आपसी सहयोग की भावना ही जी-20 की सफलता की आधारशिला है।

पिछले 75 वर्षों में भारत के लोकतंत्र की गौरवशाली यात्रा का उल्लेख करते हुए श्री बिरला ने कहा कि भारत में लोकतंत्र की यात्रा में जनता के मत के अनुसार सत्ता का सहज हस्तांतरण हमारे संविधान और लोकतंत्र की विशेषता रही है। उन्होंने कहा कि हमारी संसद देश के नागरिकों के हितों का संरक्षण करती हैं और कानून और नीतियाँ बनाने में मार्गदर्शन करती हैं।

21वीं सदी में दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों का जिक्र करते हुए श्री बिरला ने कहा कि हम सभी को अपने देशों और विश्व में भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए साझा प्रयास, श्रेष्ठ अनुभवों को साझा करने और नियमित संवाद पर बल देना चाहिए। अपनी-अपनी संप्रभुता के अनुसार नवाचार करने और चुनौतियों से निपटने एवं उनके समाधान के लिए आपस में हमारे नियमित संवाद और साझा प्रयासों से हमें हमारी संसदों का मार्गदर्शन करना चाहिए।

श्री बिरला ने दोहराया कि भारत का मानना है कि वैश्विक समृद्धि, आर्थिक अवसर और चुनौतियां एक दूसरे से जुड़े हुए विषय हैं। हमारा विचार है कि जी-20 के सदस्य देशों की संसदें सामूहिक रूप से साझा दृष्टिकोणों और उनके सरोकारों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन में संसदीय और सामुदायिक भागीदारी तंत्र को और अधिक सुदृढ़ बनाने में अपना योगदान दें।

उन्होंने जी-20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन और व्यवस्थित संचालन के लिए इंडोनेशिया को बधाई दी और भारत में अगले वर्ष जी-20 के नौवें शिखर सम्मेलन में आमंत्रण देते हुए कहा कि भारत अगले वर्ष पी-20 देशों के सभी प्रतिनिधियों का स्वागत करने के लिए उत्सुक है।

शिखर सम्मेलन के दौरान श्री बिरला ने थाईलैंड नेशनल असेंबली के प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष एच.ई. चुआन लीकपाई से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान श्री बिरला ने श्री लीकपाई को थाईलैंड नेशनल असेंबली के प्रतिनिधि सभा के नब्बे वर्ष पूरे होने पर बधाई दी और भारत और थाईलैंड के बीच संसदीय सहयोग को मजबूत करने पर जोर दिया।

श्री बिरला ने आईपीयू सहित वैश्विक मंचों पर संबंधों को मजबूत करने पर जोर देते हुए कहा कि भारत की एक्ट ईस्ट नीति और थाईलैंड की एक्ट वेस्ट नीति एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों नेताओं ने द्वारा बंदरगाह संपर्क में सुधार, बुनियादी ढांचे के विकास में सहयोग, ऊर्जा सुरक्षा और पारस्परिक हित के कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई। इस अवसर पर श्री बिरला ने हाल ही में बैंकॉक में हुई गोलीबारी की घटना में मासूम बच्चों की हत्या पर शोक व्यक्त किया।

श्री बिरला ने आईपीयू के अध्यक्ष एच.ई. डुआर्टे पाचेको से भी शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की। वैश्विक मंच के रूप में आईपीयू को मजबूत करने के लिए आईपीयू अध्यक्ष की पहल की सराहना करते हुए श्री बिरला ने कहा कि श्री पाचेको के नेतृत्व में आईपीयू आम आदमी की आवाज उठाने का एक मंच बन गया है। श्री बिरला ने जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक सरोकार के मुद्दों से निपटने के लिए साझा कार्य योजना पर जोर दिया। उन्होंने प्राइड, लोकसभा सचिवालय के माध्यम से विधायकों और अधिकारियों के क्षमता निर्माण और विधायिकाओं में रिसर्च को मजबूत करने के बारे में भी चर्चा की। बैठक में संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने से जुड़े कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई।

लोकसभा अध्यक्ष ने फिजी की संसद के अध्यक्ष रातू एपेली निलोटिका से भी मुलाकात की। दोनों नेताओं ने हिंद महासागर में सहयोग, सर्वोत्तम संसदीय परम्पराओं को साझा करने और द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने सहित पारस्परिक हित के कई मुद्दों पर चर्चा की। फिजी के विकास के लिए भारतवंशी समुदाय के योगदान पर भी चर्चा की गई।

बाद में जकार्ता में भारतीय समुदाय द्वारा श्री बिरला का अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए श्री बिरला ने कहा कि इंडोनेशिया में भारतीय समुदाय अपने कठिन परिश्रम, नवोन्मेष और नई सोच के साथ इंडोनेशिया की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उन्होंने इंडोनेशिया में भारतीय समुदाय से आग्रह की कि वे भारत में विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के लिए प्रयास करें, इंडोनेशिया की कंपनियों को, इंडोनेशिया के नागरिकों को भारत की उभर रही संभावनाओं के बारे में बताएं। उन्होंने आव्हान किया है कि वे अपने कर्मभूमि के साथ-साथ जन्मभूमि की समृद्धि के लिए भी काम करें।

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