‘खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी’, जानिए कैसा था रानी लक्ष्मीबाई का जीवन?
Rani Lakshmi Bai Death Anniversary : जब कभी हम भारत के गौरवशाली इतिहास के बारे में पढ़ते हैं तो इनमें भारत के वीर योद्धाओं और वीरांगनाओं का जिक्र तो हो ही जाता है। देश की एक ऐसी ही वीरांगना रही थीं रानी लक्ष्मीबाई। जिनकी वीरता और साहस के किस्से तो हम बचपन से ही सुनते आ रहे हैं। आज उन्हीं रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि है। आज ही के दिन यानि 18 जून 1858 को रानी लक्ष्मीबाई को अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति प्राप्त हुई थी। ऐसे में हर साल इस दिन को रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। चलिए जानते हैं रानी के जीवन की खास बातें।
रानी लक्ष्मीबाई का शुरूआती जीवन
बचपन में रानी लक्ष्मीबाई का नाम मणिकर्णिका था। उन्हें सभी लोग प्यार से मनु के नाम से पुकारते थे। उनका जन्म 19 नवम्बर 1828 को बनारस के मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन से ही मनु ने शास्त्र और शस्त्र की शिक्षा लेना शुरू कर दी थी। इसके अलावा उन्होंने घुड़सवारी करना भी सीखा।
शादी के बाद मनु बनी लक्ष्मीबाई
महज 12 साल की उम्र में मनु का विवाह झाँसी के राजा नरेश गंगाधर राव से हुआ था। इसके बाद ही उन्हें लक्ष्मीबाई नाम भी मिला। हालांकि विवाह के बाद रानी ने एक बच्चे राजकुंवर राव को जन्म दिया लेकिन उनके इस बच्चे का निधन हो गया। जिसके बाद राजा ने अपने भाई के पुत्र को गोद लेकर उसे दामोदर नाम दिया। लेकिन इसके कुछ समय बाद ही बीमारी के चलते नरेश गंगाधर राव का निधन हो गया। इधर ब्रिटिश कंपनी ने दामोदर राव को झाँसी का वारिस मानने से इनकार कर दिया और झाँसी की बागडोर लक्ष्मीबाई के हाथों में आ गई।
खूब लड़ी मर्दानी
जब अंग्रेज झाँसी को अपने कब्जे में लेने के लिए आगे तो रानी लक्ष्मीबाई ने उन्हें साफ़ इनकार कर दिया, और अपनी खुद की सेना बनाकर उनके खिलाफ शस्त्र उठा लिए। महज 29 साल की छोटी सी उम्र में रानी में लंबे समय तक अंग्रेजों के साथ युद्ध लड़ा और उन्हें अपने साहस का परिचय दिया। 'खुद लड़ी मर्दानी, वो तो झाँसी वाली रानी थी' कविता उनके साहस को बयां करती है।
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