तमिलनाडु, भारत। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज रविवार को तमिलनाडु के वेलिंगटन में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (DSSC) को संबोधित किया।
इस दौरान राजनाथ सिंह ने अपने संबाेधन में कहा- यहाँ उपस्थित officers, selection के एक कठिन और कठिन प्रक्रिया से गुजर कर आए हैं। चूँकि इस course की अहमियत बहुत है, इसलिए इसका competition भी उसी level का होता है, और सभी इसे qualify नहीं कर पाते हैं। अगर मैं आप लोगों को, ‘Gems of Armed Forces’ कहूं तो कोई अतिश्योक्ति न होगी।
इन सभी क्षेत्रों में बदलाव स्पष्ट देखा जा सकता है :
राजनाथ सिंह ने बताया, ''Military power, trade, communication, economy और political equation, सभी क्षेत्रों में यह बदलाव स्पष्ट देखा जा सकता है। Globalisation के इस युग में, दुनिया भर में हो रहे इन बदलावों से, कोई राष्ट्र अछूता रह जाये, मैं समझता हूँ सभंव नही हैं। ऐसे में इन बदलावों के अनुपात में, या मैं कहूँ उससे एक कदम आगे अपनी सुरक्षा तैयारियां रखना हमारी उपलब्धि न होकर हमारी जरूरत बन जाती है। समय के साथ security paradigm में बदलाव आज की वास्तविकता है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए निरंतर अपनी तैयारियाँ सुदृढ़ करना, और मज़बूत रणनीति बनाना आज के समय की जरूरत है और माँग भी है।''
जब से हमारा देश आजाद हुआ है तब से ही विरोधी ताकतों का यह प्रयास रहा है कि, वे किसी न किसी माध्यम से देश के भीतर अस्थिरता का माहौल पैदा कर सकें। पिछले 75 साल के इतिहास को उठाकर देखें, तो लगता है कि चुनौतियां मानों हमें विरासत में मिली हों।।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने कहा-
हमारे एक पड़ोसी देश ने प्रॉक्सी वॉर का सहारा लेना शुरू किया और आतंकवाद उसकी स्टेट पॉलिसि का अभिन्न अंग बनता गया। उसने आतंकवाद का पूरा सहारा लेना शुरू किया और आतंकियों को हथियार, पैसे और प्रशिक्षण देकर भारत को निशाना बनाना शुरू किया।
हमारे देश के सामने आने वाली चुनौतियों के paradigm में यह एक बड़ा बदलाव था। मुझे यह कहते हुए ख़ुशी होती है कि, इन बदलावों को ध्यान में रखते हुए हमने अपनी सुरक्षा नीतियों में बड़ा परिवर्तन किया। एक नए dynamism के तहत हमने terrorism के ख़िलाफ़ अपने रवैये को pro-active बनाया है।
भारत की सीमा पर चुनौतियों के बावजूद, आम आदमी को विश्वास है कि, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा। यह विश्वास धीरे-धीरे दृढ़ होता चला गया, कि भारत अपनी जमीन पर तो आतंक का खात्मा करेगा ही, जरूरत पड़ने पर उनकी जमीन पर जाकर भी वार करने से पीछे नहीं हटेगा।
इसी तरह northern sector में भी, पिछले साल सीमा पर status-quo को बदलने का एकतरफा प्रयास किया गया। यहाँ भी हमने अपने पुराने response से हटकर एक नए dynamism के साथ अपनी adversary का सामना किया।
आज दुश्मन को सीमा के अंदर घुसने की आवश्यकता नहीं रह गयी है। वह सीमा के बाहर से भी हमारी security apparatus को निशाना बना सकता हैं। Global powers के alignment और re-alignment ने पहले से ही बदलती सुरक्षा चुनौतियों में और भी इजाफ़ा किया है।
अफ़ग़ानिस्तान में बदलते समीकरण इसका एक ताज़ा और महत्त्वपूर्ण उदाहरण हैं। इन परिस्थितियों ने आज हर एक देश को अपनी रणनीति पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। QUAD को इन बातों को ध्यान रख कर गठित किया गया है।
साथियों, तेजी से बदलते हुए अंतर्राष्ट्रीय और National security Paradigm को देखते हुए, जिसका थोड़ा वर्णन मैंने अभी किया, हमने अपनी सुरक्षा नीतियों में न सिर्फ तात्कालिक, बल्कि futuristic reforms किए हैं। आज मैं आप लोगों से इस बारे में चर्चा करना चाहता हूँ।
15 अगस्त 2019 को CDS नियुक्त करने की घोषणा के साथ, यह स्पष्ट रूप से संकेत दिया गया था कि अतीत में कठोर निर्णय लेने की जो झिझक थी, वो अब बीते दिन की बात हो गयी है। Department of Military Affairs के निर्माण ने इस प्रक्रिया को और आगे बढ़ाया।
DMA ने वास्तव में अनेक उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायता की :
राजनाथ सिंह ने बताया कि, ''DMA की स्थापना ने वास्तव में अनेक उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायता की है। DMA ने एक बार में ही, हमारी armed forces को सभी प्रक्रियाओं में direct involvement प्रदान कर governance से सीधे जोड़ दिया। इसी प्रकार CDS की नियुक्ति ने, defence और security के महत्वपूर्ण मुद्दों पर, सरकार के एक permanent और single point advisor के माध्यम से Joint Chiefs of Staff Committee को stability प्रदान की।''
रक्षा सुधार प्रक्रिया शुरू करने के लिए यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम था। इन स्टेप्स ने आगे के बदलावों के लिए आवश्यक दिशा दी है, और साथ ही coordination के लिए एक ऐसा system प्रदान किया है, जिसके तहत हम अपने प्रयासों को लगातार आगे बढ़ा रहे हैं।
साथियों, दूसरा बड़ा structural reform, joint commands के निर्माण से संबंधित है, जिस पर तेजी से प्रगति हो रही है। इन commands का concept, और उनके implementation पर विचार-विमर्श बहुत तेजी से चल रहा है।
CDS और Joint Commands के अतिरिक्त, higher defence structural reforms में बहुत से कदम उठाए गए हैं, जिसमें सेना मुख्यालय का पुनर्गठन भी एक महत्त्वपूर्ण कदम है। इसका उद्देश्य हमारी Army के teeth to tail ratio को enhance करना, decision making में decentralisation लाना, और एक future oriented leaner force बनाना है।
सेना मुख्यालय के पुनर्गठन में लिए गए कदमों का एक उदाहरण ‘DGMO’ और ‘DGMI’ का, रणनीति के उप प्रमुख के तहत एकीकृत करने का फैसला है। मुख्यालय लेवल पर इन दोनों के integration से हमारी operational planning में काफ़ी precision आएगी।
एक और महत्त्वपूर्ण सुधार की बात मैं आप लोगों के सामने रखना चाहूँगा। वह है 'एकीकृत युद्ध समूह (IBGs)' का गठन जिसपर भी रक्षा मंत्रालय काफी गंभीरतापूर्वक विचार कर रहा है। आप सब अवगत हैं, कि युद्ध के दौरान quick decision making एक Important factor है। ये 'Integrated battle group, दुश्मनों के खिलाफ एकीकृत होकर युद्ध करने के लिए नए ग्रुप होंगे। इनमें नए युग के अनुसार अत्यंत घातक, ब्रिगेड के आकार के फुर्तीले और आत्मनिर्भर लड़ाकू गठन बनाए जाएंगे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने बताया- हमारा मंत्रालय ‘Tour of Duty’ नामक पहल पर गंभीरता से विचार कर रहा है, जो मेरी समझ से आगे जाकर एक game changing reform के रूप में तब्दील होगा। इससे हमारी सेना की average age को कम करने में मदद मिलेगी, और उन्हें अधिक agile बनाया जा सकेगा।
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