Rajiv Gandhi Jayanti : राजीव गांधी के वह पांच फैसले, जिनको लेकर आज भी असहज हो जाती है कांग्रेस
हाइलाइट्स :
आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती है।
साल 1984 में इंदिरा गांधी के निधन के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने।
राजीव गांधी ने कई ऐसे फैसले लिए, जिनसे देश को नई दिशा मिली।
Rajiv Gandhi Jayanti : आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती है। राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार में हुआ था। राजीव गांधी के नाना जवाहरलाल नेहरु देश के पहले प्रधानमंत्री थे, वहीं उनकी मां इंदिरा गांधी भी देश की प्रधानमंत्री रहीं। साल 1984 में इंदिरा गांधी के निधन के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। अपने कार्यकाल के दौरान राजीव गांधी ने कई ऐसे फैसले लिए, जिनसे देश को नई दिशा मिली। उन्होंने वोट देने की उम्र 18 साल करने, ईवीएम मशीन के प्रयोग को बढ़ावा देने, पंचायती राज, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, कंप्यूटर और विज्ञान को बढ़ावा देने जैसे कई ऐतिहासिक फैसले लिए। हालांकि राजीव गांधी ने कुछ काम ऐसे भी किए हैं, जिनकी आज तक आलोचना होती है। भाजपा उन कामों को लेकर आज भी कांग्रेस को घेरती है।
सिख दंगों पर विवादित बयान
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख दंगों में हजारों सिखों की मौत हो गई थी। इन दंगों को लेकर राजीव गांधी ने कहा था कि, ‘जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है।’ कांग्रेस आज भी राजीव गांधी के उस बयान को लेकर असहज हो जाती है।
85 पैसे का भ्रष्टाचार
प्रधानमंत्री बनने के एक साल बाद अपनी ओडिशा की यात्रा के दौरान राजीव गांधी ने कहा था कि, ‘जब वह दिल्ली से एक रूपया भेजते हैं तो गरीबों तक 15 पैसे ही पहुंचते हैं।’ राजीव गांधी की टिप्पणी को लेकर भाजपा आज भी कहती है कि जब गांव से लेकर केंद्र तक आपकी सरकार थी तो 1 रूपए में से 85 पैसे का भ्रष्टाचार कौन कर रहा था।
शाह बानो केस
साल 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने इंदौर के एक मुस्लिम वकील को अपनी तलाकशुदा पत्नी शाह बानो को हर महीने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया। लेकिन राजीव गांधी ने मुस्लिम कट्टरपंथियों के दबाव में आकर संसद के जरिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलट दिया। इस फैसले के चलते भाजपा आज भी कांग्रेस पर महिला विरोधी और तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाती है।
बोफोर्स घोटाला
साल 1986 में हुआ बोफोर्स घोटाला आज भी कांग्रेस के गले की घंटी बना हुआ है। उस समय स्वीडन रेडियो ने यह दावा किया था कि इस सौदे के लिए स्वीडिश कंपनी ने भारत के बड़े नेताओं और अधिकारियों को 60 करोड़ रुपए की रिश्वत दी है। कहा जाता है कि इस घोटाले के चलते ही राजीव गांधी को अपनी सरकार गवाना पड़ी थी।
भोपाल गैस कांड
साल 1984 में भोपाल में हुए गैस कांड में तीन हजार से अधिक लोगों की जान चली गई थी। राजीव गांधी सरकार पर इस घटना के मुख्य आरोपी वॉरेन एंडरसन को भारत से बाहर भेजने के आरोप लगते रहे हैं। कहा जाता है कि अमेरिका के दबाव में आकर राजीव गांधी ने यह फैसला किया था। देश से बाहर जाते समय एंडरसन ने ट्रायल के दौरान कोर्ट में आने की बात कही थी, लेकिन वह कभी भारत नहीं लौटा।
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