राजस्थान के खेल मंत्री पर फेंके गए जूते-चप्पल, अशोक चांदना ने ट्वीट कर कही यह बात
राजस्थान, भारत। राजस्थान के अजमेर जिले के पुष्कर में हुए जूता-चप्पल फेंकने के मामले पर प्रदेश में सियासी जंग जारी है। बता दें, राजस्थान सरकार में खेल मंत्री अशोक चांदना (Ashok Chandna) पर एक कार्यक्रम के दौरान जूते- चप्पल फेंके गए। जिसके बाद अशोक चांदना ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सचिन पायलट पर तंज कैसा है।
ये है मामला:
दरअसल, राजस्थान के खेल मंत्री अशोक चांदना गुर्जर आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व करने वाले गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला की अस्थी विसर्जन कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस दौरान गुर्जर समाज सहित दूसरी अति पिछड़ी जाति के लोगों ने बड़ी संख्या में पहुंचकर चांदना का विरोध किया। इस दौरान लोग अशोक चंदना पर जूते-चप्पल फेंकने लगे। इसके साथ इस कार्यक्रम के दौरान सचिन पायलट के नारे लगे।
अशोक चांदना ने ट्वीट कर कही यह बात:
खेलमंत्री अशोक चांदना ने देर रात ट्वीट कर इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है, "मुझ पर जूता फिंकवाकर सचिन पायलट यदि मुख्यमंत्री बनते है तो जल्दी से बन जाए, क्योंकि आज मेरा लड़ने का मन नहीं है, जिस दिन मैं लड़ने पर आ गया तो फिर एक ही बचेगा और यह मैं चाहता हूं नहीं।"
खेलमंत्री अशोक चांदना ने अपने दूसरे ट्वीट में कहा कि, "आज एक अद्भुत नजारा देखने को मिला 72 शहीदों को मारने के आदेश देने वाले (तत्कालीन मंत्रिमंडल सदस्य) राजेन्द्र राठौड़ साहब के मंच पर आने पर तालिया बजी और जिनके परिवार के लोग आंदोलन में जेल गए उन पर जूते फेंके गए।"
अशोक चांदना ने आगे कहा कि, "जिस मंच पर जूते फेंके गए उस पर शहीदों के परिवारजन बैठे थे, कम से कम उनका तो ख्याल कर लेते। कर्नल साहब की अंतिम स्मृति को ऐसे कलंकित करने वाले लोग कितना दूर तक जाएंगे यह तो वक्त बताएगा..."
बता दें कि, खेलमंत्री अशोक चांदना पर जूता फेंकने के मामले में राजस्थान की सियासत में उबाल आ गया है। सचिन पायलट को खुला चैलेंज देने के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स की मिली जुली प्रतिक्रिया रही है। अब इस पर राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कही यह बात:
वहीं, इस मामले पर बोलते हुए राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि, "अशोक चांदना 'खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे' उस तर्ज़ पर अपनी खीझ मिटा रहे हैं... उन्होंने कई बार, कई जगहों पर सचिन पायलट के लिए कसीदे पढ़े थे। जिस तरह से उन्होंने बोला वह अहंकार की भाषा है। यह भाषा तानाशाही के शासन में हो सकती है।"
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