Rajasthan : नैनो यूरिया उपयोग विषयक पर एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन
जयपुर, राजस्थान। राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान दुर्गापुरा एवं इफको के संयुक्त तत्वाधान में गुरुवार को नैनो यूरिया उपयोग विषयक पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन महाराणा प्रताप ऑडिटोरियम में किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलराज सिंह ने कहा कि नैनो यूरिया उर्वरक की खपत घटाने में मददगार हो सकता है,लेकिन नैनो यूरिया को किसानों की उम्मीद पर खरा उतारने और खेती में इसका उपयोग बढ़ाने के लिए और अधिक रिसर्च की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि भारत सालाना ढाई से तीन करोड रुपए का कृषि रसायन और 80 करोड़ रुपए एडिबल ऑयल के इम्पोर्ट पर खर्च कर रहा है। जलवायु परिवर्तन, बढ़ती आबादी, घटती जमीन, गहराते भूजल के बीच नई तकनीक और नए उत्पाद समय की मांग है। लेकिन इसे भी ज्यादा जरूरी है किसानों को तकनीक का लाभ देकर आत्मनिर्भर बनाना क्योंकि, हम कृषि किसान के विकास के बिना देश को विकसित राष्ट्र बनाने की कल्पना नहीं कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि भविष्य की कृषि के लिए हमें बदलाव को तैयार रहना होगा। परंपरागत खेती अब लाभकारी नहीं रही है। कार्यक्रम को मुख्य वक्ता पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के डॉ. राजीव कुमार शुक्ला ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि नैनो यूरिया नया उत्पाद हो सकता है। लेकिन, नैनो तकनीक काफी पुरानी है।
उन्होंने नैनो यूरिया को दानेदारा यूरिया का अच्छा विकल्प बताते हुए कहा कि इससे किसान की लागत घटाने, समय, श्रम और पैसों की बचत होगी।उन्होंने बताया कि गेंहू की फसल में किसान 100-120 किलोग्राम दानेदार यूरिया का उपयोग करता है। लेकिन, पौधे महज 30 फीसदी यूरिया का ही उपयोग ले पाते हैं। इससे प्रदूषण को बढ़ावा मिलने के साथ किसान पर आर्थिक भार पड़ता है। उन्होंने नैनो पोटास, जिप्सम, फास्फोरस के बारे में जानकारी दी। इफको के तरुमेंदर सिंह ने नैनो यूरिया की क्रियाविधि और विशेषता, रीजनल हेड सुधीर मान ने करोबारिक रणनीति, डॉ. एसपी सिंह ने नैनो यूरिया के प्रदर्शन के बारे में बताया।
कार्यक्रम के दौरान नैनो यूरिया का कृषि में उपयोग और महत्व, बाजरे की खेती में नैनो यूरिया का उपयोग विषयक दो साहित्य का विमोचन भी अतिथियों ने किया। कार्यक्रम में कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक रामलाल मीणा सहित बड़ी संख्या में किसानों और कृषि वैज्ञानिकों ने भाग लिया। रारी के निदेशक डॉ ए एस बालोदा ने बताया कि नैनो यूरिया को लेकर किसानों के बीच कई भ्रांतिया वर्तमान में देखने को मिल रही है। नैनो यूरिया की वैज्ञानिक जानकारी किसानों तक पहुचाने के लिए इस कार्येशाला का आयोजन करवाया गया है।
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