जयपुर। राजस्थान में राज्य आयुक्त, न्यायालय आयुक्त विशेष योग्यजन उमाशंकर शर्मा ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना में दिव्यांगों को कार्य नियोजन के लिए लक्ष्य निर्धारण के संबंध में प्रस्ताव बनाकर केन्द्र सरकार को भेजने के आदेश दिए है।
श्री शर्मा ने ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के शासन सचिव को यह आदेश दिए। श्री शर्मा द्वारा एक परिवाद पर सुनवाई करते हुए नि:शक्त व्यक्ति अधिकार अधिनियम 2016 के तहत दिव्यांगों को बाधा रहित रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी अधिनियम 2005 में दिव्यांगों को कार्य नियोजन में लक्ष्य निर्धारण के संबंध में कोई प्रावधान नहीं है और न ही केन्द्र सरकार द्वारा इस संबंध में कोई दिशा-निर्देश दिये गये है।
उन्होंने ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के प्रत्युत्तर का उल्लेख करते हुए बताया है कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 केन्द्रीय अधिनियम होने के कारण इसमें संशोधन ग्रामीण विकास मंत्रालय, केन्द्र सरकार के स्तर पर किया जाता है, राज्य सरकार द्वारा अधिनियम में संशोधन नहीं किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि बजट घोषणा में दिव्यांगों के कल्याण के लिए राज्य मद से सौ दिवस का अतिरिक्त रोजगार उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है।
श्री शर्मा ने कहा कि परिवादी द्वारा परिवाद में निवेदन किया है कि मनरेगा में दिव्यांगों को रोजगार देने संबंधी आदेश ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग द्वारा अवश्य जारी किये गये है, लेकिन आरक्षण के अभाव में दिव्यांगों को रोजगार की गारंटी नहीं है। इसलिए मनरेगा योजना में दिव्यांगों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण निर्धारित किया गया है।
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