जैन मुनि ने आमरण अनशन में त्यागे अपने प्राण, सम्मेद शिखर को टूरिस्ट प्लेस बनाने के थे खिलाफ
जयपुर, राजस्थान। देश भर में जैन समाज के लोग झारखंड सरकार के निर्णय का विरोध कर रहे है और इसी विरोध और आंदोलन के बीच जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को टूरिस्ट प्लेस बनाए जाने का विरोध कर रहे जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने आज आमरण अनशन करते हुए प्राण त्याग दिए। वे पिछले 10 दिनों से झारखंड सरकार के निर्णय के खिलाफ अनशन कर रहे थे।मुनि सुज्ञेयसागर सांगानेर में 25 दिसंबर से अनशन कर रहे थे। सुबह उनकी डोल यात्रा सांगानेर संघीजी मंदिर से निकाली गई। इस दौरान बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग मौजूद थे। जैन मुनि काे जयपुर के सांगानेर में समाधि दी गई। एक और मुनि समर्थ सागर ने भी अन्य त्याग तीर्थ स्थान को बचाने की पहल कर दी हैं।
आंदोलन अक्रामक होने के संकेत
जयपुर में जैन मुनि आचार्य शंशाक ने कहा कि सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने को लेकर जैन समाज अभी अहिंसक तरीके से अभी आंदोलन कर रहा है, आगामी दिनों में आंदोलन को उग्र भी किया जा सकता है। हाल ही के दिनों में देशभर में सम्मेद शिखर को पर्यटक स्थल बनाने के विरोध में अनशन और आंदोलन चल रहे है। कुछ दिन पहले ही दिल्ली के इंडिया गेट के पास जैन समाज के लोगो ने अनशन किया था। वहीं मुंबई, जयपुर, जोधपुर, झारखंड, कर्नाटक आदि जगहों में जैन समाज के लोग सम्मेद शिखर को पर्यटक स्थल बनाए जाने के खिलाफ हैं।
झारखंड के पर्यटन सचिव का बयान
झारखंड के पर्यटन सचिव मनोज कुमार ने कहा कि पर्यटन स्थल की सूची संबंधी नोटिफिकेशन से बाहर कर देना इसका समाधान नहीं है। विभाग इसके एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव बना रहा है। इसमें पर्यटन स्थल को जैनों के धार्मिक पर्यटन क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया जाएगा। ऐसा करके यहां की व्यवस्थाएं बेहतर की जा सकेंगी।मांग के मुताबिक हम एक्ट में संशोधन कर धार्मिक-जैन तीर्थ स्थल कर रहे हैं, लेकिन जब टूरिज्म एक्ट लागू नहीं रहेगा, सरकार कुछ मदद नहीं कर पाएगी।
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