कृषि के जरिये भारत को सुदृढ़, सम्पन्न और विकसित बनाने आगे आएं : कलराज मिश्र
जोधपुर। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने प्राचीन कृषि ज्ञान और परम्पराओं को आधुनिक एवं उन्नत तकनीक से जोड़कर भारत को सुदृढ़, संपन्न और विकसित राष्ट्र बनाने में अपनी समर्पित सहभागिता से आगे आने का आह्वान किया है। श्री मिश्र ने आज कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर के चतुर्थ दीक्षान्त समारोह की अध्यक्षता करते हुए यह उद्गार व्यक्त किए। दीक्षान्त समारोह में 154 उपाधियों का वितरण किया। इनमें 130 स्नातक, 23 स्नातकोत्तर एवं 1 विद्या वाचस्पति उपाधि शामिल है। श्री मिश्र ने कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताते हुए कृषि शिक्षा से जुड़े लोगों की भूमिका को अहम् बताते हुए अपने ज्ञान और अनुभवों का लाभ आम किसान तक पहुंचाकर लाभान्वित करने का आह्वान किया है।
उन्होंने शिक्षण, अनुसंधान और प्रसार को कृषि शिक्षा का मूलाधार बताते हुए कहा कि यह शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिससे खेतों पर काम करने वाले हमारे किसानों को प्रत्यक्ष रूप में लाभ मिले। इसके साथ कृषि के माध्यम से देश में सभी स्तरों पर सम्पन्नता लाने के लिए शोध को बढ़ावा दिए पर बल दिया। श्री मिश्र ने केन्द्र और राज्य सरकार की नीतियों का अधिकाधिक लाभ किसानों तक पहुंचाने, हितकारी शोध की उन तक पहुंच और उन्नत कृषि के लिए मार्गदर्शनपरक प्रसार शिक्षा को गति दिए जाने का आह्वान किया। इसके साथ ही श्री मिश्र ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण एवं संवर्द्धन कर गुणात्मक नवाचार पर ध्यान देने की आज विशेष आवश्यकता है।
श्री मिश्र ने मोटे अनाज के उत्पादन, भंडारण और विपणन से जुड़े कार्यों को बढ़ावा देने की आवश्यकता जताते हुए कहा कि प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालय राज्य और केन्द्र सरकार के सम्बन्धित संस्थाओं और विभागों के साथ सामंजस्य स्थापित कर ऐसी कार्य-योजनाएं बनाएं जिससे हमारे प्रदेश के मोटे अनाजों को अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले। इस दृष्टि से राज्य सरकार द्वारा बाजरा व अन्य मोटे अनाजों के संवर्द्धन, प्रोत्साहन व नवीनतम तकनीकी जानकारी हेतु कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर के अंतर्गत 5 करोड़ रुपए की लागत से ‘सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस फोर मिलेट्स’ की स्थापना को अच्छी पहल बताते हुए इसकी सराहना की। उन्होंने कहा कि राजस्थान के शुष्क क्षेत्र के किसानों की आजीविका बढ़ाने के लिए कैर, मोरिंगा (सहजन), नागौरी मैंथी के कटाई यंत्र, मूल्य संवर्द्धन, कटाई उपरांत विकास हेतु 2.35 करोड़ रुपए तथा बाजरा, जीरा के उन्नत बीज उत्पादन हेतु 1.07 करोड़ रुपए की परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है।
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