हाइलाइट्स
Rajasthan HC ने एक मामले में सुनवाई के दौरान Adult Sex पर की टिप्पणी।
शादी के बाद भी लिव इन (Adult Sex) में रहना अपराध नहीं।
ऐसे रिश्ते IPC की धारा 494 के दायरे में नहीं आएंगे।
Rajasthan High Court's Comment on Adult Sex : राजस्थान हाई कोर्ट ने वयस्कों का शादी के बाहर यौन संबंध (Adult Sex) को लेकर अहम टिप्पणी की है। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति बीरेंद्र कुमार ने कहा कि, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 497 के तहत व्यभिचार का अपराध (Adult Sex)अपवाद था, लेकिन इसे 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले ही असंवैधानिक करार दिया जा चुका है। अगर दो वयस्क शादी के बाद किसी अन्य के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप (Adult Sex) में हैं तो ऐसे रिश्ते IPC की धारा 494 के दायरे में नहीं आएंगे, क्योंकि दोनों में से किसी ने भी अपने पति या पत्नी के जीवनकाल के दौरान दूसरी बार शादी नहीं की है।
यह है मामला :
दरअसल, राजस्थान में एक व्यक्ति ने अपने पत्नी के अपहरण की शिकायत दर्ज करवाई थी। जिसके तहत युवक को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति बीरेंद्र कुमार के सामने एक सच आया। जिससे पता चला कि, शिकायतकर्ता की पत्नी यानी जिसका अपहरण करने का आरोप युवक पर लगाया था उसी युवक के साथ शिकायतकर्ता की पत्नी लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) में है। और उस दौरान भी युवती अपने मर्जी से युवक के साथ रह रही थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि महिला ने कबूल किया है कि उसका विवाहेतर संबंध था, इसलिए यह IPC की धारा 494 और 497 के तहत अपराध बनता है। वकील ने कोर्ट से उचित कार्रवाई करने की मांग की।
इस पर हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति बीरेंद्र कुमार ने कहा कि, एक वयस्क महिला जिससे चाहे शादी कर सकती है और जिसके साथ चाहे रह (Adult Sex) सकती है। यह सच है कि शारीरिक संबंध केवल विवाहित जोड़े के बीच ही होने चाहिए, लेकिन जब दो वयस्कों के शादी के बाहर सहमति से संबंध अपराध (Adult Sex) की श्रेणी में नहीं आते हैं इसलिए IPC की धारा 366 के तहत कोई अपराध नहीं हुआ है और FIR रद्द की जाती है।
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