जोधपुर जिले में करीब नब्बे प्रवासी पक्षी कुरजां की मौत

राजस्थान के पश्चिम क्षेत्र में पहुंची प्रवासी पक्षी कुरजां (डेमोइसेल क्रेन) पर इस बार रानीखेत बीमारी के चलते खतरा मंडराने लगा है और इससे जोधपुर जिले में अब तक लगभग नब्बे कुरजां की मौत हो चुकी है।
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जोधपुर। हजारों किलोमीटर का सफर तय कर शीतकालीन प्रवास के लिए राजस्थान के पश्चिम क्षेत्र में पहुंची प्रवासी पक्षी कुरजां (डेमोइसेल क्रेन) पर इस बार रानीखेत बीमारी के चलते खतरा मंडराने लगा हैं और इससे जोधपुर जिले में अब तक लगभग नब्बे कुरजां की मौत हो चुकी है। बीमार प्रवासी पक्षियों का इलाज कर रहे वन्यजीव विशेषज्ञ चिकित्सक श्रवण सिंह राठौड़ के अनुसार जिले के कापरड़ा गांव के सेज हाईवे स्थित तालाब पर आई कुरजां इससे प्रभावित हुई और अब तक पांच दिनों में करीब 90 कुरजां की मौत हो चुकी है। उन्होंने बताया कि गत पांच नवंबर को कुरजां के बीमार होने का पता चलते ही मौके पर जाकर बीमार कुरजां को पकड़कर उनका इलाज शुरू किया।

उन्होंने बताया कि पिछले पांच दिनों में सोमवार तक 75 कुरजां ने दम तोड़ा और उसके बाद 14 के और मरने से अब तक इससे 89 कुरजां मर चुकी है। उन्होंने बताया कि आज सामने आई बीमार कुरजां में छह की हालत कुछ ज्यादा खराब हैं हालांकि वह बच सकती हैं उनकी रिकवरी धीमी हैं और उनके उड़ने में काफी समय लगेगा। उन्होंने बताया कि उनके इलाज शुरु करने एवं उनके आने एवं ठहरने की जगहों पर चुग्गे एवं पानी के बर्तनों में वैक्सीनेशन करने से इस बीमारी को फैलने से रोकने में मदद मिली है वहीं इलाज से अब इनके मरने की संख्या में भी कमी आई हैं।

उन्होंने कहा कि अब बीमार कुरंजा में अस्सी प्रतिशत को बचाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कापरड़ा में अभी इस बीमारी की चपेट में आई करीब 100-150 कुरजां मौजदू हैं जो बीमार लग रही है और उड़ नहीं रही है जबकि अन्य स्वस्थ कुरजां अन्य स्थानों पर चली गई। डॉ. राठौड़ ने बताया कि मृत कुरजां के विसरा के नमूने लेकर जांच के लिए भोपाल भेजे गए हैं और इसकी जांच रिपोर्ट एक-दो दिन में आने की संभावना हैं। उन्होंने बताया कि कुरजां की मौत रानीखेत बीमारी के कारण ही हो रही हैं और इससे पहले इस बीमारी से मोरों की भी मौत हुई थी और उन्होंने इलाज करके उन्हें बचाया था। उन्होंने बताया कि अन्य स्थानों खींचन आदि जगहों पर जहां इनका जमावड़ा ज्यादा है, वहां भी वैक्सीनेशन आदि की तैयारी कर इन्हें बचाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है ताकि यह बीमारी अन्य कुरजां एवं पक्षियों में नहीं फैले।

जोधपुर जिले के फलौदी में चिकित्सा अधिकारी (पक्षी) डॉ भागीरथ ने बताया कि शीतकालीन प्रवास के लिए खींचन में सबसे ज्यादा कुरजां हर साल आती हैं और इस बार अन्य वर्षों की तुलना में समय से पहले गत 25 अगस्त को ही दस्तक दे दी थी। उन्होंने बताया कि खींचन में अब तक किसी कुरंजा के बीमार होकर मरने की सूचना सामने नहीं आई और ऐहतियातन खींचन में चुग्गे एवं पानी के बर्तनों के जरिए उन्हें वैक्सीनेट करने की तैयारी की गई हैं। सोमवार को पानी के बर्तनों के जरिए उन्हें वैक्सीनेट करने का प्रयास किया गया लेकिन वह नजदीक नहीं आई। अब बुधवार को चुग्गे के जरिए उन्हें वैक्सीनेट किया जायेगा। उन्होंने बताया कि खींचन में इस समय 15-20 हजार की तादाद में कुरजां ने डेरा डाल रखा है।

उल्लेखनीय है कि हर साल हजारों की संख्या में ये पक्षी समूह में मंगोलिया, कजाकिस्तान आदि से आकर जोधपुर जिले के खींचन एवं अन्य जगहों तथा जैसलमेर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में शीतकालीन प्रवास के लिए अपना पड़ाव डालती है और इस बार भी अलग अलग स्थानों पर हजारों पक्षियों ने डेरा डाल रखा है।

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