हाइलाइट्स –
Morth के सारथी की कहानी
3 राज्य, 2 UT ऑनबोर्ड नहीं
2 UT के 3 जिलों पर पड़ा असर
तीन राज्यों के 99 जिले प्रभावित
राज एक्सप्रेस। NIC की वेबसाइट पर क्यों गायब है अपना एमपी? इस एक्सक्लूसिव पड़ताल में हमने आपको बताया था कि मोर्थ के लिए बनाई गई एनआईसी की वेबसाइट सारथी पर एमपी समेत भारत के तीन राज्यों एवं दो यूनियन टेरिटरी के नाम ही दर्ज नहीं हो पाए हैं।
हमारी खास पड़ताल के दूसरे पार्ट में जानिये इसका खामियाजा कितने जिलों को भुगतना पड़ रहा है। पूरा माजरा क्या है कैसे लाइसेंस की ऑनलाइन प्रक्रिया काम करती है यह जानने शीर्षक पर क्लिक करें।- RE Exclusive: NIC की वेबसाइट पर क्यों गायब है अपना एमपी?
मोर्थ की सारथी –
दरअसल मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे (Morth) यानी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के लिए सूचना, जानकारी के लेनदेन के लिए तैयार की गई वेबसाइट सारथी पर सभी राज्य नहीं जुड़ पाये हैं। नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी/NIC) यानी राष्ट्रीय सूचना केंद्र द्वारा ईजाद इस वेबसाइट पर तीन राज्यों के साथ ही दो केंद्र शासित प्रदेश ऑनबोर्ड नहीं हो पाए हैं।
सारथी क्या है? –
सारथी एक वेबसाइट है जो वाहनों के लाइसेंस/पंजीकरण, फास्टैग जैसी कार्यालयीन प्रक्रियाओं का ऑनलाइन तरीके से निपटारा करने में परिवहन विभाग की मदद करती है। वाहन चालक, मालिक इस केंद्रीकृत वेबसाइट की मदद से अपने लाइसेंस, पंजीकरण आदि के बारे में ऑनलाइन तरीके से पता लगा सकते हैं।
ये ऑनबोर्ड नहीं -
मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना राज्यो के साथ ही दो यूनियन टैरिटरी (यूटी/UT) यानी केंद्र शासित प्रदेशों क्रमशः अंडमान निकोबार एवं लक्षद्वीप के नाम एनआईसी की वेबसाइट सारथी के नक्शे से गायब हैं।
तीन राज्य/दो UT, इतने जिले –
राष्ट्रीय सूचना, विज्ञान केंद्र की वेबसाइट सारथी पर मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश के साथ ही दोनों केंद्र शासित प्रदेशों की परिवहन विभाग की जानकारी अपडेट नहीं हुई है। ऐसा न होने से इन तीन राज्यों और दोनों यूनियन टेरिटरी को मिलाकर कुल 99 जिलों के नागरिक केंद्रीयकृत तौर पर सरकारी सूचनाओं, योजनाओं से नहीं जुड़ पा रहे हैं।
प्रदेश/UT और प्रभावित जिले –
प्रदेशों की स्थिति में मध्य प्रदेश में कुल 51, आंध्र प्रदेश में 13, तेलंगाना में 31 जिले हैं। केंद्र शासित प्रदेशों (यूनियन टेरिटरी- UT) की यदि बात करें तो अंडमान निरोबार में तीन और स्वयं लक्षद्वीप फिलहाल सारथी पर लाइसेंस संबंधी सेवाओँ के लाभ से वंचित हैं।
प्रदेश/UT में पंजीकृत वाहन -
एनआईसी पर भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की मोटर वाहन - सांख्यिकीय वर्ष पुस्तक भारत 2017 के आंकड़ों में राज्यों में पंजीकृत वाहनों का ब्यौरा पेश किया गया है।
मध्य प्रदेश –
इन आंकड़ों के मान से वर्ष 2017 तक मध्य प्रदेश में 1 करोड़ 11 लाख 41 हजार 1 सौ 27 वाहन रजिस्टर हुए। स्टैटिस्टा की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में 13 मिलियन वाहन रजिस्टर्ड हैं। यह आंकड़ा 2017 का है वर्तमान में इससे कहीं ज्यादा होगा।
आंध्र प्रदेश –
एनआईसी पर दर्ज आंकड़ों के अनुसार आंध्र प्रदेश में 2017 तक कुल 78 लाख 82 हजार 2 सौ 62 वाहन पंजीकृत हुए थे। चार सालों में वाहनों की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी का आंकड़ा (जो उपलब्ध नहीं है) जोड़ने पर संख्या अधिक हो सकती है।
तेलंगाना –
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र की वेबसाइट पर मोटर वाहन - सांख्यिकीय वर्ष पुस्तक भारत 2017 के आंकड़ों में दर्शाया गया है कि साल 2017 तक तेलंगाना राज्य में कुल 78 लाख 44 हजार 7 सौ 16 वाहन रजिस्टर्ड हुए थे।
अंडमान निकोबार –
भारतीय यूनियन टेरिटरी अंडमान निकोबार में साल 2017 तक एक लाख से अधिक वाहन रजिस्टर्ड हुए थे। यहां इस समय तक कुल 1 लाख 2 हजार 301 वाहनों के रजिस्टर्ड होने की जानकारी एनआईसी की वेबसाइट पर दर्शाई गई है।
लक्षद्वीप –
वाहनों के रजिस्ट्रेशन के मामले में भारत के केंद्र शासित प्रदेशों में से एक लक्षद्वीप यूनियन टेरिटरी में 14 हजार 2 सौ 31 वाहन रजिस्टर हुए।
2017 के मान से प्रभाव –
चलिये भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की मोटर वाहन - सांख्यिकीय वर्ष पुस्तक भारत 2017 के आंकड़ों के आधार पर करते हैं दिक्कतों की गणना। दर्ज आंकड़ों के मान से इन तीन राज्य और दो यूनियन टेरिटरी में कुल मिलाकर 2 करोड़ 69 लाख 84 हजार, 6 सौ 37 वाहन रजिस्टर्ड हैं।
वाहनों की जो संख्या सामने निकलकर आई है वह 2017 के आंकड़ों के मान से है। ऐसे में समझा जा सकता है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग केंद्रीयकृत तौर पर कटे हुए हैं।
स्मार्ट चिप कारण तो नहीं? –
मध्य प्रदेश में जब हमने पड़ताल की पता चला कि सरकार से अनुमति न होने के कारण प्रदेश के क्षेत्रीय परिवहन विभाग के आंकड़े केंद्रीय वेबसाइट सारथी पर ऑनबोर्ड नहीं हो पाए हैं। दरअसल एमपी में प्राइवेट स्मार्ट चिप कंपनी ट्रांसपोर्ट संबंधी कामकाज की ईसेवा पोर्टल के जरिए ऑनलाइन सर्विस प्रदान कर रही है।
सवाल उठ रहे हैं कि सरकार ने इतने बड़े जरूरी काम को अब तक अनुमति क्यों प्रदान नहीं की? इस बार के केंद्रीय बजट में भी यह साफ हो गया है कि वाहन कबाड़ नीति के मुताबिक 15 साल पुराने वाणिज्यिक वाहनों (कमर्शियल व्हीकल) को स्क्रैप किया जाएगा।
कबाड़ नीति का कबाड़ा! -
निजी वाहन (पर्सनल व्हीकल) के मामले में यह मियाद 20 साल तय की गई है। यानी 20 साल पुराने निजी वाहन अब कबाड़खाने में नजर आने वाले हैं। लेकिन केंद्रीयकृत तौर पर फिलहाल यह बताना लगभग असंभव है कि कुल कितने लोगों के कितने वाहन नई नीति के तहत कबाड़ की शोभा बनने वाले हैं।
अब जब आम बजट में उल्लेख है कि वाहन कबाड़ नीति के तहत पुराने वाहनों को स्क्रैप किया जाएगा। ऐसे में ट्रांसपोर्ट डेटा ऑनबोर्ड न होना चिंताजनक है।
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