पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा - चारों शंकराचार्य में कोई मतभेद नहीं
हाइलाइट्स :
शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा चारों शंकराचार्य में कोई मतभेद नहीं।
प्रधानमंत्री का दायित्व सनातन संविधान का संरक्षण करना है।
शास्त्र सम्मत विधा से ही प्राण प्रतिष्ठा होनी चाहिए।
नई दिल्ली। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर चारों शंकराचार्यों के बीच मतभेद की खबरें आ रही थी। पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा है कि राम मंदिर प्राण - प्रतिष्ठा समारोह को लेकर शंकराचार्यों के बीच किसी भी प्रकार का मतभेद नहीं है। आगे उन्होंने कहा कि शास्त्र सम्मत विधान से प्राण - प्रतिष्ठा होनी चाहिए।
क्या कहा शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने
चारों शंकराचार्य में कोई मतभेद नहीं है। ये गलत प्रचार है। श्रीराम जी यथास्थान प्रतिष्ठित हों। यह आवश्यक है। लेकिन शास्त्र सम्मत विधान का पालन करके ही उनकी प्रतिष्ठा हो यह भी आवश्यक है, प्रतिमा, विग्रह या मूर्ति में विधिवत भगवत तेज का सन्निवेश होता है। विधिवत पूजा प्रतिष्ठा नहीं होने पर डाकिन, शाकिनि, भूत-प्रेत चारों दिशाओं में छिन्न भिन्न मचा देते हैं। इसीलिए शास्त्र सम्मत विधा से ही प्राण प्रतिष्ठा होनी चाहिए। इतनी सी बात है। इसलिए शंकराचार्यों में किसी तरह के मतभेद का सवाल नहीं है।
शंकराचार्य ने दोहराया कि पीएम प्रतिमा को स्पर्श करेंगे और वे वहां खड़े होकर ताली बजाएंगे, ऐसा संभव नहीं है। उन्होंने कहा, मैं किसी अहंकार से ऐसा नहीं कह रहा हूं, लेकिन अपने पद का हमेशा ध्यान रखना चाहिए। राजनेताओं की अपनी सीमा होनी चाहिए। प्रत्येक क्षेत्र में दखल देना उचित नहीं है। धार्मिक क्षेत्र में उन्माद नहीं उत्पन्न किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री का दायित्व सनातन संविधान का संरक्षण करना है।शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि भारत की सीमाएं सुरक्षित हैं, लेकिन इसकी नींव पर ध्यान नहीं दिया जा रहा इसलिए देश कमजोर और खोखला होता जा रहा है।
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