अमृतपाल सिंह के रूप में नए भिंडरावाले का उदय? जानिए भारत के लिए क्यों है ये बड़ा खालिस्तानी टेरर अलर्ट?
राज एक्सप्रेस। पंजाब, एक ऐसा राज्य है जो आए दिन खालिस्तानी अलगाववादियों और खालिस्तानी गतिविधियों से जूझता रहता है, लेकिन पिछले हुए विधानसभा चुनाव के बाद से गुरु गोविंद सिंह के राज्य पंजाब में खालिस्तान आंदोलन और गतिविधियां काफी तेज हुई है जिसकी वजह से पंजाब में रहने वालो को पंजाब के इतिहास के उस खूनी अध्याय की आहट महसूस हो रही है जिसमे सिख समुदाय और पंजाब के लोगों के साथ पूरे देश जला था। यह डर इसीलिए हो रहा है क्योंकि पंजाब में उसी खूनी अध्याय का किरदार जरनैल सिंह भिंडरावाले का नया रूप अमृतपाल सिंह का उदय बहुत तेजी से हो रहा है, जो कि भारत सरकार और पंजाब सरकार के लिए एक खतरे की घंटी साबित हो सकता है। पहले जानते है कि पंजाब में ऐसा कल क्या हुआ जिससे बढ़ रहा गुरु गोविंद सिंह जी के राज्य में खालिस्तानी आतंक का डर?
अजनाला पुलिस स्टेशन में हमला :
इसी महीने वरिंदर सिंह नाम के व्यक्ति ने अजनाला पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई कि अमृतपाल सिंह के साथियों ने उसका अपहरण कर लिया और पीटा जिसके बाद अजनाला पुलिस ने अमृतपाल सिंह के करीबी लवप्रीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद, अमृतपाल सिंह ने पंजाब पुलिस को मामला वापस लेने के लिए एक "अल्टीमेटम" जारी किया और जब पुलिस ने मामला वापिस नहीं लिया तो, अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने पुलिस बैरिकेड्स को तोड़ दिया। तलवारें, स्वचलित बंदूकें और धारदार हथियारों से कई पुलिस कर्मी घायल हो गए और पुलिस वाहन क्षतिग्रस्त हो गए, लेकिन पुलिस कथित तौर पर जवाबी कार्रवाई नहीं कर सकी, क्योंकि सिंह के समर्थकों ने अपने समूह को गुरु ग्रंथ साहिब ले जाने वाले जत्थे की तरह स्टाइल किया था। अदालत ने लवप्रीत सिंह को पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर रिहा कर दिया था लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर कौन है अमृतपाल सिंह जिसकी पंजाब में बढ़ रही है दहशत और क्यों यह साबित हो सकता है भारत के लिए खतरा?
कौन है अमृतपाल सिंह?
अमृतपाल सिंह संधू एक कट्टरपंथी खालिस्तानी अलगाववादी कार्यकर्ता हैं। वह "वारिस पंजाब दे" नामक एक खालिस्तानी समर्थक संगठन का मुखिया हैं। 4 मार्च 2020 को पिछले प्रमुख दीप सिद्धू की मौत के बाद अमृतपाल सिंह को संघठन का मुखिया बनाया गया था, लेकिन अमृतपाल सिंह का नाम सितंबर 2022 के बाद हुआ जब अमृतपाल सिंह के दुबई से पंजाब लौटने पर 29 सितंबर 2022 को दमदमी टकसाल के पूर्व जत्थेदार, अलगाववादी और आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले के पैतृक गांव मोगा के रोडे में एक आधिकारिक उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया था।
हिंदू और ईसाइयों का कराया धर्म परिवर्तन :
अमृतपाल सिंह ने राजस्थान के श्रीगंगानगर, हरियाणा और अमृतसर में लगभग 2600 हिंदू, सिख और ईसाइयों का धर्म परिवर्तन करवाया था। अमृतपाल सिंह ने अपना पहला अमृत प्रचार राजस्थान में किया फिर हरियाणा में हरियणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के समर्थन से घर वापसी कैंपेन चलाया था। 23 नवंबर 2022 को "खालसा वीहिर" अभियान शुरू किया।
गुरुद्वारे को पहुचाई हानि और अन्य धर्मों के खिलाफ टिप्पणी :
9 से 13 दिसंबर 2022 के बीच अमृतपाल सिंह के अलगाववादी समर्थकों और साथियों ने पंजाब के बिहारीपुरा और जालंधर के गुरुद्वारे के सोफा और कुर्सियों को जलाया था। अलगाववादियों ने इसका कारण यह बताया था कि कोई भी इंसान पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब के बराबर में बैठकर कर प्रार्थना नहीं कर सकता है। यही नहीं अमृतपाल सिंह ने अन्य धर्मों के खिलाफ भी कई बार आपत्तिजनक टिप्पणियां की है जैसे अक्टूबर 2022 में ईसाई धर्म के संस्थापक जीसस क्राइस्ट पर अभद्र टिप्पणी की थी। अमृतपाल ने कहा था कि जब जीसस खुद को नहीं बचा पाए तो अपने धर्म के लोगों को कैसे बचा पाएंगे। जिसके बाद ईसाई धर्म के लोगों ने अमृतपाल सिंह के खिलाफ 4 दिन तक आंदोलन किया था।
गृह मंत्री अमित शाह को जान से मारने की धमकी :
अमृतपाल सिंह ने 4 दिन पहले देश गृह मंत्री को अप्रत्यक्ष रूप से जान से मरने की धमकी दी थी। एक खालिस्तानी समारोह के दौरान पूछे गए प्रश्न ने उसने कहा था कि "खालिस्तान आंदोलन को किसी भी सरकारी सुरक्षा एजेंसी या भारत सरकार के द्वारा रोकने और उनकी आवाज दबाने की कोशिश की गई तो अमित शाह का हश्र पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जैसा ही होगा।" बतादे कि, साल 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मौत उन्हीं के अंगरक्षकों द्वारा, उन्हीं के घर के गार्डन में गोलियां मारकर की गई थी। उनके दोनो अंगरक्षक सिख समुदाय से थे। अमृतपाल सिंह, भिंडरावाले को अपना मार्गदर्शक और नायक मानता है और वह भिंडरावाले जैसा दिखने की भी कोशिश करता है। भिंडरावाले की तरह सशस्त्र पुरुषों और अंगरक्षकों के साथ चलना, भिंडरावाले के समान सफेद चोला और गहरे नीले रंग की पगड़ी पहनना इसमें शामिल है।
सरकार के लिए यह खतरे की घंटी :
पिछले कुछ समय से और अगर सही मायनो में कहा जाए तो पंजाब में भगवंत मान की आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद खालिस्तानी गतिविधियां और तेज हो रही है। आए दिन पंजाब की सड़को पर खालिस्तानी झंडे, गुरुद्वारे और लोगों पर हमले, खुले में हो रही खालिस्तानी गतिविधियां और अमृतपाल सिंह का अपने लोगों के साथ स्वर्ण मंदिर जाने के बाद सिख समुदाय के लिये अलग राष्ट्र बनाने की मांग सामने आ रही है। यह सब घटनाए भारत सरकार को पंजाब की सुरक्षा के लिए चिंतित करने योग्य होनी चाहिए, पंजाब के गलियारों में नए भिंडरावाले के उदय की आहट सुनाई दे रही है कि कही 1984 के दंगे और अमृतसर में आतंकी हमला दोबारा से देखना न पड़े।
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