हाइलाइट्स
पंजाब सतर्कता विभाग ने PSIEC के 6 पूर्व अधिकारियों के खिलाफ दर्ज किया मामला।
सभी आरोपियों ने किया पद का दुरुपयोग।
सरकार को 8,72,71,666 करोड़ रुपये की वित्तीय हानि।
चंडीगढ़। पंजाब सतर्कता विभाग ने पंजाब लघु उद्योग और निर्यात निगम (PSIEC) के 6 पूर्व अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर दो लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें एस.पी. सिंह, मुख्य महाप्रबंधक (सेवानिवृत्त), जसविंदर सिंह रंधावा महाप्रबंधक (सेवानिवृत्त), अमरजीत सिंह काहलों संपदा अधिकारी (सेवानिवृत्त), विजय गुप्ता वरिष्ठ सहायक (सेवानिवृत्त), दर्शन गर्ग सलाहकार (सेवानिवृत्त) और स्वतेज सिंह एस.डीओ. (सेवानिवृत्त) इत्यादि के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है।
इन पर आरोप है कि इन अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और रिश्तेदारों को गलत तरीके से महंगे औद्योगिक भूखंड आवंटित किए, जिससे सरकार को 8,72,71,666 करोड़ रुपये की वित्तीय हानि हुई। इस मामले में निगम के दो सेवानिवृत्त अधिकारी मुख्य महाप्रबंधक (संपदा) एस.पी. सिंह और महाप्रबंधक (कार्मिक) जसविंदर सिंह रंधावा को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया, जहां अदालत ने मामले की और जांच के लिए विजिलेंस को चार दिन का रिमांड दे दिया है। बाकी आरोपियों की तलाश जारी है।
सतर्कता ब्यूरो के प्रवक्ता ने शनिवार को बताया कि, इस संबंध में दर्ज सतर्कता जांच के बाद पीएसआईईसी के उक्त छह अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ आई.पी.सी. धारा 409, 420, 465, 467, 468, 471, 120-बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1), 13(2) के तहत पुलिस थाना, विजिलेंस ब्यूरो, उडन दस्ता-1, पंजाब, मोहाली, में आज मुक़दमा दर्ज किया गया है। प्रवक्ता ने बताया कि जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि पीएसआईईसी द्वारा औद्योगिक भूखंडों के आवंटन के समय निर्धारित निर्देशों का पालन नहीं किया गया। निगम के अधिकारियों, कर्मचारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए गलत तरीके से महंगे औद्योगिक भूखंडों को अपने रिश्तेदारों, मित्रों, रिश्तेदारों को वितरित किया, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये की वित्तीय हानि हुई है।
इस घोटाले को दबाने के लिए उक्त आरोपियों ने आपसी मिलीभगत से इन भूखंडों के अवैध आवंटन से संबंधित कुछ सरकारी फाइलें भी गुम कर दी हैं। प्रवक्ता ने बताया कि उक्त निगम में शून्य प्रतिशत ब्याज निर्धारित करने के संबंध में नीति में कोई प्रावधान नहीं है, हालाँकि निगम के प्रबंध निदेशक की अगस्त 2000 की नोटिंग तथा निदेशक मंडल द्वारा आठ फरवरी 2005 को पारित प्रस्ताव के अनुसार माफी दे दी गई थी, लेकिन ये दोनों आदेश सरकार द्वारा अधिसूचित नहीं किए गए हैं। उन्होंने कहा कि महाप्रबंधक (कार्मिक) जसविंदर सिंह रंधावा ने अपने करीबी रिश्तेदार , मित्र, अज्ञात व्यक्ति के नाम पर भूखंड आवंटित किये। एसपी.सिंह मुख्य महाप्रबंधक (संपदा) ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए निगम के औद्योगिक भूखंडों के आवंटन और कब्जे को गलत तरीके से बदल दिया और आरोपी जसविंदर सिंह रंधावा द्वारा आवंटित भूखंडों में उनकी सहायता की, क्योंकि आवेदकों का साक्षात्कार आरोपी एसपी सिंह द्वारा लिया गया था। इस मामले की आगे की जांच जारी है।
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