भारतीय गेहूँ को वैश्विक बाजार में पहुंचाने की तैयारी : गोयल
भारतीय गेहूँ को वैश्विक बाजार में पहुंचाने की तैयारी : गोयलSocial Media

भारतीय गेहूँ को वैश्विक बाजार में पहुंचाने की तैयारी : गोयल

गोयल ने चालू वित्त वर्ष में 400 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल करने की जानकारी राज्यसभा को देते हुये कहा कि रूस यूक्रेन जंग के मध्य भारतीय गेहूँ को वैश्विक बाजार में पहुंचाने की तैयारी की गयी है।
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नई दिल्ली। केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने चालू वित्त वर्ष में 400 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल करने की जानकारी राज्यसभा को देते हुए आज कहा कि रूस यूक्रेन के बीच जारी जंग के मध्य भारतीय गेहूँ को वैश्विक बाजार में पहुंचाने की तैयारी की गयी है।

श्री गोयल ने प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि चालू वित्त वर्ष के समाप्त होने से पहले ही भारत ने 400 अरब डॉलर के निर्यात के लक्ष्य को हासिल कर लिया है। इसमें कई क्षेत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसमें इलेक्ट्रानिक्स क्षेत्र की पीएलआई स्कीम भी महती भूमिका है। सेमीकंडक्टर का विनिर्माण हब बनाने के लिए भी 76 हजार करोड़ रुपये की पीएलआई स्कीम शुरू की गयी है और वैश्विक स्तर की कंपनियों को देश में सेमीकंडक्टर निर्माण पर जोर दिया जा रहा है।

इस पर कांग्रेस के सदस्य एवं पूर्व केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आंनद शर्मा ने 400 अरब डॉलर के निर्यात के लिए निर्यातक और मंत्री को बधाई देते हुये कहा कि पिछले दो वर्षाें में कोरोना की कठिनाइयों के बावजूद भारत ने इस लक्ष्य को हासिल किया है जो बहुत ही सराहनीय है। उन्होंने सवाल किया कि रूस दुनिया का सबसे बड़ा गेहॅूं उत्पादक देश है लेकिन अभी यूक्रन के साथ ही उसकी लड़ाई के कारण भारतीय गेहूँ को वैश्विक बाजार में भेजने की क्या योजना है।

श्री गोयल इस पर कहा कि निर्यातक बधाई के पात्र हैं। कोरोना की दूसरी लहर के साथ ही ओमीक्रॉन के बावजूद इस लक्ष्य को हासिल किया गया है। उन्होंने कहा कि रूस और यू्क्रेन के बीच जारी जंग से पहले से ही भारतीय गेहूँ की मांग वैश्विक बाजार में बढ़ रही है और अभी इसकी मांग में तेजी आयी है तथा भारत और इसके निर्यातकोंं के लिए अवसरों के द्वार खुले हैं।

उन्होंने कहा कि भारतीय गेहूँ उच्च गुणवत्ता के हैं। पिछले दो वर्षाें में रिकार्ड निर्यात हुआ है। पिछले वर्ष 21 लाख टन और इस वर्ष 70 लाख टन गेहूँ का निर्यात किया गया है। गेहूँ निर्यात को लेकर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के साथ ही रेलवे की भी मदद ली गयी है। रूस सबसे बड़ा इसका उत्पादक है लेकिन रूस और यूक्रेन की लड़ाई के कारण भारत के समक्ष जो अवसर है उसका लाभ उठाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि, दुनिया को भारत के गेहूँ का स्वाद चखाया जा रहा है ताकि पूरी दुनिया में भारतीय गेहूूँ की मांग बढ सके। प्रधानमंत्री ने भी गुणवत्ता वाले गेहॅूं के निर्यात पर जोर दिया है और इसके लिए एफएएसएसई को भी इससे जोड़ा गया है। जिस तरह से बासमती चावल या गैर बाससमती चावल के निर्यात में भारत का नाम दुनिया में अव्वल स्थान है उसी तरह से गेहॅूं निर्यात में भी वैश्विक स्तर पर भारत का स्थान बनाने की तैयारी है।

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