प्रणब मुखर्जी पुण्यतिथि
प्रणब मुखर्जी पुण्यतिथिSyed Dabeer Hussain - RE

प्रणब मुखर्जी पुण्यतिथि : इंदिरा गांधी के सबसे विश्वासपात्र लोगों में शामिल थे प्रणब दा

प्रणब मुखर्जी ने साल 2012 से लेकर 2017 तक भारत के राष्ट्रपति पद की गरिमा को बनाए रखा। उनके जीवन में ऐसे कई मुकाम आए जब उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
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राज एक्सप्रेस। आज भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की दूसरी पुण्यतिथि है। उनका निधन 31 अगस्त 2020 को दिल्ली के आर्मी अस्पताल में हुआ था। इसके पहले वे कोविड-19 की चपेट में आकर पॉजिटिव हुए और इसके अलावा उनकी सर्जरी भी हुई थी। प्रणब मुखर्जी का एक राष्ट्रपति के रूप में देश के लिए योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता। उनके कार्यों को देखते हुए ही भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया था। प्रणब मुखर्जी करीब 6 दशक तक राजनीति में भी सक्रीय रहे। आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं।

इंदिरा की नई पार्टी में हुए शामिल :

बात साल 1974 की है जब बांग्ला कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी को मंत्रीपद दिया गया था। लेकिन साल 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। इसके कारण इंदिरा गांधी के खिलाफ पार्टी में आवाज उठना शुरू हुई और आखिरकार उन्हें साल 1978 में पार्टी (कांग्रेस (रिक्विजिशनिस्ट)) से बेदखल कर दिया गया। जिसके बाद इंदिरा ने कांग्रेस (इंदिरा) के नाम से पार्टी बनाई। इसके कार्यकर्ताओं की लिस्ट में प्रणब मुखर्जी का नाम भी शामिल किया गया।

इंदिरा को भी झुकना पड़ा उनके सामने :

साल 1979-80 के दौरान हुए लोकसभा चुनाव में प्रणब मुखर्जी ने पश्चिम बंगाल के बोलपुर से चुनाव लड़ने का फैसला किया। मगर इसके लिए इंदिरा तैयार नहीं थीं। लेकिन इसके बावजूद प्रणब दा अपनी जिद पद अड़े रहे और आखिर में इंदिरा को भी झुकना पड़ा। हालांकि इस चुनाव में प्रणब मुखर्जी को हार ही मिली। लेकिन बावजूद इसके प्रणब दा को इस्पात और खान मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई।

बने भारत के राष्ट्रपति :

भारत रत्न प्रणब मुखर्जी ने भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में साल 2012 से 2017 तक पद की गरिमा को बनाए रखा। उन्हें कांग्रेस पार्टी के संकटमोचन के रूप में भी माना जाता था। वे इंदिरा गांधी के सबसे विश्वासपात्र लोगों में से एक थे।

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