पुलिस स्मृति दिवस : जब चीन के धोखे का शिकार हुए भारतीय पुलिसकर्मी, जानिए पूरी कहानी
राज एक्सप्रेस। हर साल 21 अक्टूबर को भारत में पुलिस स्मृति दिवस या पुलिस शहीद दिवस मनाया जाता है। इस दिन अपने कर्तव्यों को पूरा करने के दौरान शहीद हुए पुलिस अधिकारियों और जवानों याद करके उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। पुलिस स्मृति दिवस पर देशभर में कई तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। जनवरी 1960 में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिरीक्षकों के वार्षिक सम्मेलन में 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मनाने का फैसला लिया गया था। हालांकि यह दिवस 21 अक्टूबर को ही क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे पड़ोसी देश के धोखे और पुलिसकर्मियों के शौर्य की कहानी है।
दरअसल साल 1959 में चीन से लगने वाली भारतीय सीमा की सुरक्षा का जिम्मा पुलिस पर था। 20 अक्टूबर को गश्त पर निकली पुलिसकर्मियों की एक टुकड़ी वापस नहीं लौटी। ऐसे में उनकी खोज करने के लिए 21 अक्टूबर को डीसीआईओ करम सिंह के नेतृत्व में 20 जवानों की एक टीम भेजी गई। तलाशी अभियान के दौरान ही चीन के सैनिकों ने धोखे से भारतीय पुलिसकर्मियों पर हमला बोल दिया। चूंकि यह टुकड़ी तलाशी अभियान पर निकली थी, इसलिए इनके पास खुद की सुरक्षा के लिए जरूरी संसाधन नहीं थे। दूसरी तरफ चीनी सैनिक ऊंचाई पर छिपकर बैठे थे और फायरिंग कर रहे थे।
चीनी सैनिकों के इस हमले में भारतीय पुलिस के 10 जवान शहीद हो गए जबकि 7 जवान बुरी तरह से घायल हो गए। यही नहीं इन सातों घायलों को चीन ने बंदी बना लिया, जबकि शहीद जवानों के शव भी चीनी सैनिक अपने साथ ले गए। इस घटना के 22 दिन बाद चीन ने शहीद पुलिसकर्मियों के शव को लौटा दिये। इसके बाद उन पुलिसकर्मियों का हॉट स्प्रिंग्स में पूरे पुलिस सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
इस घटना के कुछ महीनों बाद ही देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिरीक्षकों का वार्षिक सम्मेलन हुआ। इस सम्मलेन में लद्दाख में शहीद हुए वीर पुलिसकर्मियों और अपनी ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले अन्य पुलिसकर्मियों को सम्मान में 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मनाने का फैसला लिया गया।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।