दिल्ली, भारत। देश आज राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) मना रहा है और यह दिवस महान स्वतंत्रता सेनानी एवं भारत रत्न लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती को मनाया जाता है। इस खास अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इटली में है, ऐसे में उन्होंने रिकॉर्डेड वीडियो मैसेज के जरिए देश को संबोधित किया।
राष्ट्र नायक सरदार पटेल को आज देश अपनी श्रद्धांजली दे रहा :
राष्ट्रीय एकता दिवस पर PM नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में कहा- राष्ट्रीय एकता दिवस पर सभी देशवासियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। एक भारत-श्रेष्ठ भारत के लिए जीवन का हर पल जिसने समर्पित किया, ऐसे राष्ट्र नायक सरदार वल्लभभाई पटेल को आज देश अपनी श्रद्धांजली दे रहा है। सरदार पटेल जी सिर्फ इतिहास में ही नहीं, बल्कि हम देश वासियों के हृदय में भी हैं। आज देशभर में एकता का संदेश लेकर आगे बढ़ रहे हमारे ऊर्जावान साथी, भारत की अखंडता के प्रति, अखंड भाव के प्रतीक हैं। ये भावना देश के कोने-कोने में हो रही, राष्ट्रीय एकता परेड में, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर हो रहे आयोजनों में भली भांति देख रहे हैं।
धरती के जिस भूभाग पर हम 130 करोड़ भारतीय रहते हैं, वह हमारी आत्मा, सपनों, आकांक्षाओं का अखंड हिस्सा है। सैकड़ों वर्षों से भारत के समाज, परंपराओं से लोकतंत्र की जो मजबूत बुनियाद विकसित हुई उसने एक भारत की भावना को समृद्ध किया है। सरदार पटेल ने देशहित को हमेशा सर्वोपरि रखा। हम एक रहेंगे तभी आगे बढ़ेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
आजाद भारत के निर्माण में सबका प्रयास जितना तब प्रासंगिक था, उससे कहीं अधिक आजादी के इस अमृतकाल में होने वाला है। आजादी का ये अमृतकाल, विकास की अभूतपूर्व गति का है, कठिन लक्ष्यों को हासिल करने का है। ये अमृतकाल सरदार साहब के सपनों के भारत के नवनिर्माण का है।
एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को मजबूत करते हुए आज देश में सामाजिक, आर्थिक और संवैधानिक एकीकरण का महायज्ञ चल रहा है। जल, थल, नभ, अंतरिक्ष हर मोर्चे पर भारत का सामर्थ्य और संकल्प अभूतपूर्व है। अपने हितों की सुरक्षा के लिए भारत आत्मनिर्भरता के नए मिशन पर चल पड़ा है।
सरदार साहब हमारे देश को एक शरीर के रूप में देखते थे, एक जीवंत इकाई के रूप में देखते थे। इसलिए, उनके 'एक भारत' का मतलब ये भी था, कि जिसमें हर किसी के लिए एक समान अवसर हों, एक समान सपने देखने का अधिकार हो।
आज से कई दशक पहले, उस दौर में भी, उनके आंदोलनों की ताकत ये होती थी कि उनमें महिला-पुरुष, हर वर्ग, हर पंथ की सामूहिक ऊर्जा लगती थी। आज जब हम एक भारत की बात करते हैं तो उस एक भारत का स्वरूप क्या होना चाहिए? - एक ऐसा भारत जिसकी महिलाओं के पास एक से अवसर हों।
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