इंडिया टॉय फेयर 2021: वोकल फॉर लोकल के तहत देश को खिलौना निर्माण का वैश्विक हब बनाने के मकसद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आज शनिवार को सुबह 11 बजे ऑनलाइन 'इंडिया टॉय फेयर 2021' का उद्घाटन किया। देसी खिलौनों को बढ़ावा देने के मकसद से आयोजित ये वर्चुअल मेला 4 दिन तक चलेगा। इस दौरान PM मोदी ने अपने संबोधन में खिलौना निर्माताओं से कम प्लास्टिक, अधिक रिसाइकिल करने योग्य सामग्री का उपयोग करने को कहा।
खिलौना उद्योग पर बोले PM मोदी :
भारत खिलौना मेला 2021 का उद्घाटन के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा- आप सभी से बात करके ये पता चलता है कि हमारे देश के खिलौना उद्योग में कितनी बड़ी ताकत छिपी हुई है। इस ताकत को बढ़ाना, इसकी पहचान बढ़ाना, आत्मनिर्भर भारत अभियान का बहुत बड़ा हिस्सा है। ये पहला toy fair केवल एक व्यापारिक या आर्थिक कार्यक्रम भर नहीं है। ये कार्यक्रम देश की सदियों पुरानी खेल और उल्लास की संस्कृति को मजबूत करने की एक कड़ी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे ये भी कहा कि, ''सिंधुघाटी सभ्यता, मोहनजो-दारो और हड़प्पा के दौर के खिलौनों पर पूरी दुनिया ने रिसर्च की है। प्राचीन काल में दुनिया के यात्री जब भारत आते थे, तो भारत में खेलों को सीखते भी थे और अपने साथ लेकर भी जाते थे। आज जो शतरंज दुनिया में इतना लोकप्रिय है, वो पहले ‘चतुरंग या चादुरंगा’ के रूप में भारत में खेला जाता था। आधुनिक लूडो तब ‘पच्चीसी’ के रुप में खेला जाता था। हमारे धर्मग्रन्थों में भी बाल राम के लिए अलग-अलग कितने ही खिलौनों का वर्णन मिलता है।''
खिलौना बच्चों को खुशियों की अनंत दुनिया में ले जाता है :
PM मोदी ने ये भी बताया- हमारे यहां खिलौने ऐसे बनाए जाते थे जो बच्चों के चहुंमुखी विकास में योगदान दें। आज भी भारतीय खिलौने आधुनिका फैंसी खिलौनों की तुलना में कहीं सरल और सस्ते होते हैं, सामाजिक-भौगोलिक परिवेश से जुड़े भी होते हैं। गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने अपनी कविता में कहा है- एक खिलौना बच्चों को खुशियों की अनंत दुनिया में ले जाता है। खिलौना का एक-एक रंग बच्चे के जीवन में कितने ही रंग बिखेरता है।
हमारी परंपराओं, खानपान, और परिधानों में ये विविधतायें एक ताकत के रूप में नजर आती है। इसी तरह भारतीय toy industry भी इस unique Indian perspective को, भारतीय विचारबोध को प्रोत्साहित कर सकती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
PM मोदी द्वारा कहीं गई प्रमुख बातें-
खिलौनों का जो वैज्ञानिक पक्ष है, बच्चों के विकास में खिलौनों की जो भूमिका है, उसे अभिभावकों को समझना चाहिए और अध्यापकों को स्कूलों में भी उसे प्रयोग करना चाहिए। इस दिशा में देश भी प्रभावी कदम उठा रहा है, व्यवस्था में जरूरी कदम उठा रहा है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्ले-आधारित और गतिविधि-आधारित शिक्षा को बड़े पैमाने पर शामिल किया गया है। ये ऐसी शिक्षा व्यवस्था है जिसमें बच्चों में पहेलियों और खेलों के माध्यम से तार्किक और रचनात्मक सोच बढ़े, इस पर विशेष ध्यान दिया गया है।
देश ने खिलौना उद्योग को 24 प्रमुख क्षेत्रों में दर्जा दिया है। National Toy Action Plan भी तैयार किया गया है। इसमें 15 मंत्रालयों और विभागों को शामिल किया गया है ताकि ये उद्योग competitive बने, देश खिलौनों में आत्मनिर्भर बनें और भारत के खिलौने दुनिया में जाएं।
इस पूरे अभियान में राज्यों को बराबर का भागीदार बनाकर toy cluster विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही देश toy tourism की संभावनाओं को भी मजबूत कर रहा है।
आज toy fair के इस अवसर पर हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम इस ऊर्जा को आधुनिक अवतार दें, इन संभावनाओं को साकार करें। अगर आज Made in India की डिमांड है तो आज Hand Made in India की डिमांड भी उतनी ही बढ़ रही है।
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