कुलपतियों की संगोष्ठी में PM मोदी ने बाबासाहेब के बारे में बताई खास बातें

भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ के कुलपतियों के 95 वें मीट एंड नेशनल सेमिनार को आज PM नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया और बाबासाहेब अम्बेडकर के बारे में ये बातें कहीं...
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दिल्‍ली, भारत। भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ के कुलपतियों के 95 वें मीट एंड नेशनल सेमिनार को आज बुधवार (14 अप्रैल) को वीडियो कान्‍फ्रेंस के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया।

आज देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा :

इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा- आज देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो उसी कालखंड में बाबासाहेब अम्बेडकर जी की जन्म जयंती का अवसर हमें उस महान यज्ञ से भी जोड़ता है भविष्य की प्रेरणा से भी जोड़ता है। मैं सभी देशवासियों की तरफ से बाबासाहेब को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

भारत बाबासाहेब अम्बेडकर द्वारा हमें दिए गए संवैधानिक मूल्यों पर चलते हुए एक नए भविष्य का निर्माण कर रहा है और सफलता की नई ऊंचाइयों को भी छू रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

हमारी शिक्षा प्रणाली की जिम्मेदारी है :

PM मोदी ने कहा- डॉक्टर आंबेडकर कहते थे- “मेरे तीन उपास्य देवता हैं। ज्ञान, स्वाभिमान और शील”, यानी Knowledge, Self-respect, और politeness. जब Knowledge आती है, तब ही Self-respect भी बढ़ती है। Self-respect से व्यक्ति अपने अधिकार, अपने rights के लिए aware होता है और Equal rights से ही समाज में समरसता आती है, और देश प्रगति करता है। चुनौतीपूर्ण संघर्षों के बाद भी उनके जीवन में बाबासाहेब ऊँचाइयों तक पहुँचे। यह हमारी शिक्षा प्रणाली की जिम्मेदारी है कि राष्ट्र उसके दिखाए मार्ग पर चले। वांछित परिणाम प्राप्त करने का एकमात्र तरीका सामूहिक प्रयास हैं।

PM मोदी ने बताया- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन कहते थे - शिक्षा का अंतिम उत्पाद एक स्वतंत्र रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए, जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्रकृति की प्रतिकूलताओं के खिलाफ लड़ाई लड़ सके। हर छात्र का अपना एक सामर्थ्य होता है, क्षमता होती है। इन्हीं क्षमताओं के आधार पर स्टूडेंट्स और टीचर्स के सामने तीन सवाल भी होते हैं।

  • पहला- वो क्या कर सकते हैं?

  • दूसरा- अगर उन्हें सिखाया जाए, तो वो क्या कर सकते हैं?

  • तीसरा- वो क्या करना चाहते हैं।

एनईपी एक भविष्यवादी नीति है, वैश्विक मापदंडों के साथ सिंक में। इस नीति के मूल में हमारी शिक्षा प्रणाली के लिए डॉ। राधाकृष्णन द्वारा उजागर विशेषताओं को दर्शाया गया है। बाबा साहेब के जीवन संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए भी आज देश काम कर रहा है। बाबा साहेब से जुड़े स्थानों को पंच तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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