राज एक्सप्रेस। देश में कोरेाना वायरस जैसी महामारी के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई योजना व अभियान शुरू किए हैं। इन्हीं योजनाओं के तहत भारत में शुरू की गई एक योजना ‘PM गरीब कल्याण अन्न योजना’ भी है। इस योजना के तहत देश के गरीबों को मुफ्त राशन मुहैया कराया जाता है। वहीं, अब इस योजना की समय अवधि बढ़ा दी गई है। इस मामले में आज केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट की बैठक के बाद जानकारी दी।
बढ़ाई गई PM गरीब कल्याण अन्न योजना की अवधि :
दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार द्वारा देश में चलाई गई योजनाओं के तहत एक योजना ‘PM गरीब कल्याण अन्न योजना’ भी जारी है। वहीं, अब सरकार ने इस योजना की अवधि बढ़ाने का फैसला लेते हुए इसकी समय अवधि अगले साल मार्च तक बढ़ा दी है यानी इस योजना का लाभ उठा रहे लोगों को अगले साल मार्च तक मुफ्त में राशन मिलेगा। यह फैसला आज कैबिनेट की बैठक में लिया गया। इस बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया है कि,
'इस पर कुल 53344 करोड़ रुपए खर्च आएगा। इस योजना से क़रीब 80 करोड़ लोगों को फ़ायदा मिलता रहेगा। अब तक 600 लाख मीट्रिक टन स्वीकृत किया जा चुका है। कुल मिलाकर इसपर 2.6 लाख करोड़ रुपए खर्च होगा। कैबिनेट तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए एक बिल को भी मंजूरी दी है। संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद इस बिल को संसद में पेश किया जाएगा।'
अनुराग ठाकुर, केंद्रीय मंत्री
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी जानकारी :
कैबिनेट की बैठक बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने जानकारी देते हुए आगे बताया है कि, 'कैबिनेट बैठक में निर्णय किया गया है कि कोविड महामारी के चलते हुए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत देश के लगभग 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को 5 किलो गेंहू और चावल मुफ़्त में देने की योजना जो मार्च 2020 से लेकर अब तक देने का काम किया है। उसे दिसंबर से लेकर मार्च 2022 तक और 4 महीनों के लिए बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। आज कैबिनेट बैठक में कृषि क़ानूनों को औपचारिक रूप से वापस लेने का निर्णय लिया गया है। अगले हफ्ते में पार्लियामेंट की कार्यवाही शुरू होगी वहां पर दोनों सदनों में कृषि क़ानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा।'
PM मोदी का कहना :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- आजादी के बाद से ही करीब-करीब हर सरकार ने गरीबों को सस्ता भोजन देने की बात कही थी। सस्ते राशन की योजनाओं का दायरा और बजट साल दर साल बढ़ता गया, लेकिन उसका जो प्रभाव होना चाहिए था, वो सीमित ही रहा। देश के खाद्य भंडार बढ़ते गए, लेकिन भुखमरी और कुपोषण में उस अनुपात में कमी नहीं आ पाई। इसका एक बड़ा कारण था- प्रभावी डिलिवरी सिस्टम का ना होना। इस स्थिति को बदलने के लिए साल 2014 के बाद नए सिरे से काम शुरू किया गया।
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