लॉकडाउन में सुर्खियों में रहने वाले कभी उम्मीद न छोड़ने की बात कहने वाले पप्पन सिंह ने की खुदखुशी
नई दिल्ली, भारत। देश में बढ़ते सड़क हादसों के मामलों के बीच ही आत्महत्या जैसी घटनाएं भी थमने का नाम नहीं ले रही हैं। बीते दिनों में आत्महत्या करने से जुड़े कई मामले सामने आए हैं। वहीं, बीती देर रात मंगलवार को देर रात अपनी दरियादिली के लिए भी जाने जाने वाले कोरोना काल में सुर्ख़ियों में बने रहने वाले पप्पन सिंह के आत्महत्या करने की खबर सामने आई। पप्पन सिंह ने मंदिर में फांसी लगा कर अपनी जान दे दी है। जब लोग मंदिर पहुंचे और मंदिर का पर्दा खोला तो पप्पन सिंह का शव लटका पाया गया।
पप्पन सिंह ने की खुदखशी :
दरअसल, कई बार ऐसा होता है कि, हमें कुछ समझ नहीं आता है। हम अपनी ज़िंदगी से बहुत हारे हुए महसूस करते है और हमारा मन करता है अब जीने के लिए कुछ नहीं बचा है। ऐसे में इंसान की खुदकी कही हुई सारी प्रेरक बातें भी फिर याद नहीं रहती है और इंसान मौत को गले लगाने के इरादे से आत्महत्या करने का मन बना लेता है। ऐसे में लोग जल्दबाजी में अपनी जान से हाथ धो बैठते है। जो कि,बिलकुल गलत है, लेकिन ऐसा कई लोग करते है। शायद ऐसा ही कुछ प्रेरक बातें करने वाले पप्पन सिंह गहलोत के साथ भी हुआ होगा। इसलिए उन्होंने खुदखुशी कर ली है। उनके खुदखुशी करने की पुष्टि पुलिस ने उनके पास से मिले सुसाइड नोट से की है। इस नोट में उन्होंने अपनी तबियत खराब होने का जिक्र करते हुए लिखा है कि, 'मैं और अपने परिवार वालों पर बोझ नहीं बन सकता इसलिए मैं मौत को चुन रहा हूं।'
चश्मदीद के अनुसार :
मौके पर मौजूद चश्मदीद द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 'पप्पन सिंह गहलोत हर दिन सुबह-शाम मंदिर में पूजा पाठ के लिए जाया करते थे। मंगलवार की शाम को भी वह आए। आज जब देर तक मंदिर के पट नहीं खुले तो उन्होंने जाकर देखा। उस समय मंदिर के चारों तरफ पर्दे लटके हुए थे। लोगों को शक हुआ। उन्होंने अंदर जाकर देखा और जैसे ही मंदिर के पर्दे हटाए तो पप्पन सिंह मंदिर के अंदर रस्सी से लटके हुए थे और कुर्सी लुढ़की हुई थी। चश्मदीद ने आगे बताया कि, 'पप्पन सिंह के कारण ही यहां पर मंदिर का इतना विकास हुआ था। मंदिर में उन्होंने हर तरह की व्यवस्था करी थी। वो बहुत ही शानदार और नेकदिल इंसान थे। हमको यकीन ही नहीं हो रहा है कि उन्होंने आत्महत्या कर ली है। वो ऐसे शख्स थे जो दूसरो को प्रेरणा देते थे।'
लॉकडाउन में दिखाई इंसानियत :
बताते चलें, पप्पन सिंह गहलोत ने लॉकडाउन के दौरान इंसानियत दिखते हुए अपने यहां काम करने वाले सभी मजदूरों को अपने खर्च पर न केवल फ्लाइट से दिल्ली से बिहार उनके घर भेजा साथ ही लॉकडाउन खत्म होने के बाद 27 मजदूरों को फ्लाइट से ही वापस भी बुलाया था।' पप्पन सिंह द्वारा कही गई कुछ बातें -
उम्मीद कभी नहीं छोड़ना चाहिये, क्योंकि जीवन में चमत्कार होना कोई नई बात नही है।
धैर्य रखिए, कभी-कभी जीवन में सबसे अच्छा पाने के लिए सबसे बुरे दौर से गुजरना पड़ता है।
प्रत्येक सूर्योदय इस बात का प्रमाण देता है कि अंधकार कितना भी गहरा हो, कुछ क्षण बाद उजाला आ ही जाता है।
जरूरत से ज्यादा सोचने से भी खुशियां दूर हो जाती है।
असंभव को संभव कर देना ही तो सच्ची कार्यकुशलता है।
उनके परिचित लोगों का कहना है :
उनके परिचित लोग इस खबर को जानने के बाद बहुत हैरान है साथ ही उनका कहना है कि, 'वो आत्महत्या करने का पाप कर ही नहीं सकते। पप्पन जब भी कोई ट्वीट करते, जय श्रीराम लिखकर प्रणाम की मुद्रा वाला इमोजी लगाना नहीं भूलते। सोचिए इतने उच्च विचार रखने वाला व्यक्ति इतना दुखी हो जाएगा कि, जीवन ही त्याग देगा? लेकिन कहते हैं ना कि दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। सच्चाई क्या है, यह तो पता चल ही जाएगी। फिलहाल तो हमें मानकर चलना पड़ेगा कि कदम-कदम पर धैर्य और विश्वास की बात करने वाले ने भी जीवन की मुश्किलों से हार मान ली है।'
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