राज एक्सप्रेस। सुप्रीम कोर्ट ने स्थायी कमीशन देने में महिला अधिकारियों की शारीरिक सीमाओं का हवाला देने वाली केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे लैंगिक रूढ़ियों का मामला बताया। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और अजय रस्तोगी की पीठ ने केंद्र से कहा कि वह लिंग के आधार पर महिला अधिकारियों की सेवा में कोई भेदभाव नहीं कर सकती है और सरकार से तीन महीने के भीतर महिला अधिकारियों की सेवा करने के लिए स्थायी कमीशन देने को कहा है।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि महिलाएं पुरुष अधिकारियों के समान दक्षता के साथ नौकायन (SAIL) कर सकती हैं और कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि सामाजिक और मानसिक कारण बताकर महिला अधिकारियों को अवसर से वंचित रखना बेहद भेदभावपूर्ण रवैया है और यह बर्दाश्त के काबिल नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से कहा कि नौसेना में सभी महिला अधिकारियों को तीन महीने के भीतर वेतन वृद्धि के साथ स्थायी कमीशन देने पर विचार करे। कोर्ट ने केन्द्र की 1991, 1998 की नीति ने, महिला अधिकारियों को बल में भर्ती करने पर लगी वैधानिक रोक हटाई। साथ ही 2008 से पहले शामिल महिला अधिकारियों को नौसेना में स्थायी कमीशन देने से रोकने के संबंध में नीति के संभावित प्रभाव को खारिज किया। कोर्ट ने कहा कि इस बात की पुष्टि करने के लिए पर्याप्त दस्तावेज मौजूद हैं कि महिला अधिकारियों ने बल को गौरवान्वित किया है।
ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।