क्या है संविधान का Sixth Schedule, जिसके लिए लद्दाख में हुआ प्रोटेस्ट

Sixth Schedule of The Constitution : संविधान की छठवीं अनुसूची का उद्देश्य आदिवासियों की भूमि और संसाधनों की रक्षा करना है।
लद्दाख में Sixth Schedule के लिए प्रोटेस्ट
लद्दाख में Sixth Schedule के लिए प्रोटेस्टRaj Express
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हाइलाइट्स :

  • भारतीय संविधान के अध्याय 10, अनुच्छेद 244 में छठी अनुसूची का उल्लेख।

  • NCST ने लद्दाख को 6वीं अनुसूची में शामिल करने की कि थी सिफारिश।

  • केंद्र शासित लद्दाख क्षेत्र में कुल आदिवासी आबादी 97 प्रतिशत से अधिक।

लद्दाख। संविधान की छठवीं अनुसूची (Sixth Schedule) में शामिल किए जाने की डिमांड को लेकर लद्दाख में कड़ाके की ठंड के बावजूद हजारों लोगों ने परेटेस्ट किया। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में शनिवार को हुए इस प्रोटेस्ट के दौरान मार्च भी निकाला गया। इस पूरे प्रोटेस्ट के बाद लदाख में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। बता दें कि, स्टेटहुड की डिमांड लद्दाख के लोग कई समय से कर रहे हैं। आइए जानते हैं क्या है संविधान की छठवीं अनुसूची जिसके लिए लद्दाख में हुआ प्रोटेस्ट।

भारत के कई राज्यों में आदिवासियों की अच्छी खासी जनसंख्या है। संविधान की छठवीं अनुसूची का उद्देश्य इन आदिवासियों की भूमि और संसाधनों की रक्षा करना और ऐसे संसाधनों को गैर - आदिवासियों या समुदायों को हस्तांतरित करने पर रोक लगाना है। छठवीं अनुसूची के प्रावधान यह सुनिश्चित करते हैं कि, जनजातीय समुदायों का गैर-आदिवासी आबादी द्वारा शोषण न किया जाए। आदिवासियों की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को संरक्षित रखना और बढ़ावा देना इस अनुसूची के प्रावधानों का प्रमुख उद्देश्य है।

क्या है संविधान की छठवीं अनुसूची :

भारतीय संविधान के अध्याय 10 के अनुच्छेद 244 में छठी अनुसूची का उल्लेख है। इस अनुसूची को बारदोली कमेटी (Bardoli Committee) की अनुशंसा पर लागू किया गया था। छठी अनुसूची के प्रावधान उत्तर पूर्व के चार राज्य असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्य के आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन पर लागू होते हैं। इन राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों को स्वायत्त जिलों के रूप में प्रशासित किया जाता है। इन क्षेत्रों में राज्यपाल को विशेष अधिकार होते हैं।

राज्यपाल की शक्ति :

चार राज्यों असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में जनजातीय क्षेत्रों को स्वायत्त जिलों के रूप में प्रशासित किया जाता है। यदि इन चार राज्यों के स्वायत्त जिले में अलग - अलग अनुसूचित जनजातियाँ हैं, तो उस राज्य का राज्यपाल उनके निवास वाले जिले को स्वायत्त क्षेत्रों में विभाजित कर सकता है। राज्यपाल को स्वायत्त जिलों को संगठित और पुनर्गठित करने का अधिकार है। वह किसी स्वायत्त जिले की सीमाएँ बढ़ा, घटा सकता है। राज्यपाल स्वायत्त जिले का नाम भी बदल सकता है।

जिला और क्षेत्रीय परिषदों के अधिकार :

छठवीं अनुसूची के तहत जिला और क्षेत्रीय परिषदों को उन मुकदमों और मामलों की सुनवाई के लिए ग्राम और जिला परिषद न्यायालयों का गठन करने का अधिकार है, जहां विवाद के सभी पक्ष जिले के भीतर अनुसूचित जनजातियों से संबंधित हैं। ये परिषद मौत या 5 साल से अधिक कारावास के दंडनीय अपराध जैसे मामलों की सुनवाई नहीं कर सकते।

बता दें कि, छठवीं अनुसूची स्वायत्त जिलों और स्वायत्त क्षेत्रों पर, संसद या राज्य विधानमंडल के अधिनियम लागू नहीं होते। राज्यपाल स्वायत्त जिलों या क्षेत्रों के प्रबंधन से संबंधित किसी भी मुद्दे की जांच करने और रिपोर्ट प्रदान करने के लिए एक आयोग नियुक्त कर सकता।

लद्दाख को 6वीं अनुसूची में शामिल करने की सिफारिश :

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने 11 सितंबर 2019 को गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री को पत्र लिखकर केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को 6वीं अनुसूची में शामिल करने की कि थी सिफारिश। आयोग का मानना था कि, इससे लद्दाख क्षेत्र में जनजातीय लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।

लद्दाख में आदिवासी आबादी 97 प्रतिशत से अधिक :

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख मुख्य रूप से देश का एक आदिवासी क्षेत्र है। आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि, अनुसूचित जनजाति की आबादी लेह में 66.8 प्रतिशत, नुब्रा में 73.35 प्रतिशत, खलस्ती में 97.05 प्रतिशत, कारगिल में 83.49 प्रतिशत, सांकू में 89.96 प्रतिशत और लद्दाख क्षेत्र के ज़ांस्कर क्षेत्रों में 99.16 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करती है। इसमें क्षेत्र के सुन्नी मुस्लिमों सहित कई समुदाय शामिल नहीं हैं, जो अनुसूचित जनजाति का दर्जा पाने का दावा कर रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, लद्दाख क्षेत्र में कुल आदिवासी आबादी 97 प्रतिशत से अधिक है।

ये हैं लद्दाख की प्रमुख अनुसूचित जनजातियाँ :

  • बाल्टी

  • बेडा

  • बॉट, बोटो

  • ब्रोकपा, ड्रोकपा, डार्ड, शिन

  • चांगपा

  • गर्रा

  • सोम

  • पुरीगपा

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