हाइलाइट्स :
7 अप्रैल को होना था पश्मीना मार्च।
लेह में लागू कर दी गई थी धारा 144
Pashmina March Canceled : लद्दाख। लेह एपेक्स बॉडी (Leh Apex Body) ने 'कानून-प्रवर्तन एजेंसियों के साथ टकराव से बचने के लिए' 7 अप्रैल को सीमा पर प्रस्तावित पश्मीना मार्च रद्द कर दिया है। एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) द्वारा प्रस्ताविर इस मार्च से पहले ही लेह कलेक्टर ने धारा 144 लागू कर दी थी। जिसके बाद सोनम वांगचुक ने इसे सरकार द्वारा ओवर रिएक्ट करना बताया था। अब इस मार्च को ही रद्द कर दिया गया है। महात्मा गांधी के दांडी मार्च की तर्ज पर सोनम वांगचुक पश्मीना मार्च करने वाले थे।
दरअसल, सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में लद्दाख को शामिल करने की मांग कर रहे हैं। छठवी अनुसूची भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 के अंतर्गत आती है। यह स्वायत्त प्रशासनिक क्षेत्रों की स्थापना की अनुमति देती है जिन्हें स्वायत्त जिला परिषद (ADC) के रूप में जाना जाता है। इस अनुसूची के तहत आने वाले राज्यों में जमीन का अधिकार सुरक्षा सुनिश्चित होता है और आदिवासी क्षेत्रों को स्वायत्तता मिलती है।
जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) ने लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग के लिए 21 दिन तक भूख हड़ताल की थी। भूख हड़ताल खत्म करने के बाद सोनम वांगचुक ने घोषणा की थी कि, "भूख हड़ताल के पहले चरण में महिलाओं, युवाओं, धार्मिक नेताओं और बुजुर्गों द्वारा श्रृंखलाबद्ध भूख हड़ताल की गई थी। 7 अप्रैल को, हम चांगथांग (चीन के साथ सीमा पर लेह के पूर्व में) तक सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत गांधी का दांडी मार्च शुरू करेंगे।"
लेह एपेक्स बॉडी (Leh Apex Body) और सोनम वांगचुक ने स्टेटमेंट जारी करते हुए कहा, 'पश्मीना मार्च का उद्देश्य चांगपा खानाबदोश जनजातियों की दुर्दशा को उजागर करना था, जो उत्तर में चीनी घुसपैठ और दक्षिण में हमारे अपने कॉरपोरेट्स के कारण अपनी हजारों वर्ग किलोमीटर भूमि खो रहे हैं। यह उद्देश्य मार्च शुरू होने से पहले ही पूरा हो गया है, क्योंकि धारा 144 लागू करने, इंटरनेट पर रोक लगाने और लेह को सभी सड़कों पर सशस्त्र बैरिकेड लगाकर युद्ध जैसे क्षेत्र में बदलने के कारण सरकार की ओर से दमनकारी प्रयासों और अतिप्रतिक्रिया के कारण आंदोलन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।'
'लेह शहर के लिए इन परिस्थितियों में हिंसा की संभावना बहुत अधिक है, जिसका उपयोग इस शांतिपूर्ण आंदोलन को राष्ट्र-विरोधी करार देने के लिए किया जा सकता है। इन घटनाक्रमों और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अब पूरा देश सीमाओं पर हमारे चरागाहों की वास्तविकता के बारे में जानता है, शीर्ष निकाय के नेताओं ने आज 7 अप्रैल को पश्मीना मार्च को वापस लेने का फैसला किया हालांकि शांतिपूर्ण चल रहा अनशन जारी रहेगा। हम देश के विभिन्न हिस्सों से यहां आए सभी नेताओं और लोगों को धन्यवाद देते हैं।'
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