मणिपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मणिपुर DGP हाजिर हो, इन 6 बिंदुओं पर मांगा जवाब
हाइलाइट्स :
मंगलवार को मणिपुर के बिगड़ते हालत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर की कानून व्यवस्था पर सख्त टिप्पणी की।
अगली सुनवाई के दौरान मणिपुर के डीजीपी को कोर्ट में हाजिर होने के निर्देश।
Supreme Court on Manipur Violence : देश का पूर्वोत्तर राज्य ‘मणिपुर’ पिछले कई महीनों से हिंसा की आग में झुलस रहा है। वहां महिलाओं के साथ हिंसा और दरिंदगी की खबरे भी लगातार सामने आ रही हैं। बीते दिनों मणिपुर का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमे कुछ लोग महिलाओं को नग्न करके घुमाते नजर आ रहे हैं। मंगलवार को मणिपुर के बिगड़ते हालत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर की कानून व्यवस्था पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जब 6000 से अधिक FIR हुई है तो कुछ ही लोगों को गिरफ्तार क्यों किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई के दौरान मणिपुर के डीजीपी को कोर्ट में हाजिर होने के निर्देश दिए हैं।
6 बिंदुओं पर मांगी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी को 6 बिंदुओं पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके कोर्ट में लेकर आने के लिए कहा है। यह 6 बिंदु इस तरह हैं-
घटना किस तारीख को हुई।
जीरो एफआईआर कब दर्ज की गई।
नियमित एफआईआर किस तारीख को दर्ज की गई।
गवाहों के बयान किस तारीख को दर्ज किए गए।
सीआरपीसी की धारा 164 के तहत कोर्ट के सामने बयान किस तारीख को दर्ज किए गए।
आरोपी को किस तारीख को गिरफ्तार किया गया।
सीबीआई के बयान लेने पर रोक
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने वायरल वीडियो मामले की जांच कर रही सीबीआई को भी पीड़ितों के बयान लेने से रोक दिया है। कोर्ट ने सीबीआई से कहा है कि वह मामले की सुनवाई होने तक पीड़ित महिलाओं के बयान दर्ज ना करे। दरअसल पीड़ित महिलाओं के वकील इस मामले की सीबीआई जांच के खिलाफ है। वह चाहते हैं कि मामले की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए।
हाईपावर कमेटी बनाने की मांग
हिंसा पीड़ित महिलाओं की ओर से कोर्ट में पेश हुई वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह ने कोर्ट से हाईपावर कमेटी बनाने की मांग की है। उनका कहना है कि महिलाएं अपने साथ हुई हिंसा को लेकर पुरुष अधिकारी की बजाय महिलाओं से बात करने में ज्यादा सहज महसूस करेगी। ऐसे में इस हाईपावर कमेटी में अनुभवी महिलाओं को शामिल किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो जांच
दूसरी तरफ इस मामले में केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि अगर इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होती है तो हमें इससे कोई परेशानी नहीं है।
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