राज एक्सप्रेस। त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड पूर्वोत्तर भारत के ऐसे राज्य जहां कुछ दिनों पहले ही विधानसभा चुनाव के नतीजे आए है। इन राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों का दबदबा बताया जाता है जो कि हमें इन चुनावों के परिणामों में भी देखने को मिला। जहां मेघालय और नागालैंड में क्षेत्रीय पार्टियों ने विजय हासिल की वहीं त्रिपुरा से दोबारा भाजपा को बहुमत हासिल हुआ है, लेकिन क्षेत्रीय पार्टियों की जीत को पूरे देश में इस तरीके से रंगा जा रहा है जैसे तीनों राज्यों में भाजपा ही बहुमत में आई है। यह बात सत्य है कि भाजपा और उनके सहयोगी दल मिलकर तीनों राज्यों में सरकार बनाने वाले है लेकिन यह जीत अकेले भाजपा की नहीं है। यहाँ तक कि भाजपा का वोट शेयर भी इस साल त्रिपुरा समेत हर जगह गिरा है। तो आखिर क्यों इस जीत को रंगा जा रहा है भाजपा के नाम से? चलिए आपको बताते है पूर्वोत्तर के चुनाव का वास्तविक विश्लेषण।
भाजपा त्रिपुरा में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रही है। भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए ने इस चुनाव में 60 में से 33 सीट हासिल की है, जिसमे भाजपा को 32 सीट पर जीत मिली है, वहीं उनकी सहयोगी पार्टी को महज 1 सीट मिली। एनडीए को 40 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए। लेकिन पिछले चुनाव के नतीजे देखे जाएं तो अकेले भाजपा की 36 सीट थी और एनडीए की कुल मिलाकर 44 सीटें थी। पिछले बार की जीत में भाजपा का वोट शेयर 43.60 प्रतिशत और एनडीए का 51 प्रतिशत रहा था। इन नतीजों से पता चलता है कि भाजपा के वोट शेयर और उनके प्रति जनता के समर्थन में कमी आई है। भाजपा को त्रिपुरा में 4 सीट और एनडीए को कुल 11 सीटों के साथ लगभग 11 प्रतिशत वोट शेयर नुकसान उठाना पड़ा है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह ने त्रिपुरा में बहुत बड़ी-बड़ी जन सभाएं की थी।
इसका सबसे बड़ा कारण कांग्रेस से अलग हुए प्रदयोत देब बर्मा की टिप्रा मोथा पार्टी है। टिप्रा मोथा पार्टी की शुरुआत 2019 में हुई थी। आज टिप्रा मोथा पार्टी त्रिपुरा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बन चुकी है। उन्होंने पहली बार त्रिपुरा का विधानसभा चुनाव लड़ा था, जिसमे उन्होने 13 सीटें हासिल की है। उनकी पार्टी ने पहली बार में ही 19 प्रतिशत से ज्यादा का वोट शेयर हासिल किया जिसकी वजह से भाजपा और एनडीए के वोट शेयर और उनकी सीटों को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा।
मेघालय की कहानी सबसे ज्यादा विचित्र है। मेघालय में क्षेत्रीय पार्टी नेशनल पीपल्स पार्टी के अध्यक्ष कोनार्ड संगमा दोबारा मुख्यमंत्री बनने वाले है। कोनार्ड संगमा की पार्टी NPP को एनडीए द्वारा 2013 से यानी NPP के स्थापित होने के बाद से समर्थन प्राप्त था। 2018 में पहली बार कोनार्ड संगमा मुख्यमंत्री बने जिसमें उन्हें भाजपा समेत 6 पार्टियों का समर्थन प्राप्त था। भाजपा ने पिछले चुनाव में 2 सीटें जीती थी लेकिन इस चुनाव की घोषणा होने से पहले ही भाजपा ने एनपीपी से गठबंधन तोड़ पूरी 60 सीटों पर चुनाव लड़ा था। भाजपा ने गठबंधन तोड़ने का कारण कोनार्ड संगमा की सरकार में भ्रष्टाचार और भाजपा को मेघालय में मजबूत करना बताया था। गृह मंत्री अमित शाह ने मेघालय में जन सभा को संबोधित करते हुए मेघालय की सरकार को देश की सबसे भ्रष्ट सरकार कह दिया था।
प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के लिए पूर्वोत्तर के सेनापति हेमंत बिस्वा सरमा ने मेघालय में बीजेपी को मजबूत करने का प्रयास किया था, लेकिन उन्हे दोबारा सिर्फ 2 सीटें ही हासिल हो पायी और उनके वोट शेयर में भी पिछली बार से गिरावट आई है। अब खबर यह आ रही है कि भाजपा दोबारा कोनार्ड संगमा की एनपीपी से गठबंधन कर मेघालय सरकार में बैठेगी जिसे करीब एक महीने पहले देश की सबसे भ्रष्ट सरकार का तंज कसा गया था। बरहाल फिलहाल में अभी ये तय नहीं हो पाया है कि मेघालय में सरकार किसकी बनेगी क्योंकि NPP से उनके सहयोगी दल HSPDP ने अपना समर्थन वापिस ले लिया है और विपक्षी पार्टियां एक संयुक्त मोर्चा बनाने पर मंथन कर रही है।
नागालैंड में भाजपा 2003 से 2018 NPF (नागा पीपल्स फ्रंट) के साथ और 2018 में NDPP (नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी) के साथ गठबंधन वाली सरकार में रही है। भाजपा ने साल 2018 और 2023 के चुनाव में 20 सीटों में लड़ते हुए 12 सीटें ही हासिल की है लेकिन पिछली बार से उनके वोट शेयर में बढ़ोतरी देखने को मिली है। भाजपा नागालैंड में दोबारा NDPP के साथ सरकार बना रही है। भाजपा ने इस साल वोट शेयर में तो बढ़त हासिल की है लेकिन उनकी सीटों में इजाफा नहीं हुआ है, जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने लगातार नागालैंड राज्य का दौरा किया है जिसमे उन्होंने बड़ी-बड़ी परियोजनाओं और अन्य जन योजनाओं की घोषणा की थी। बताया जा रहा है कि NDPP के न्यूफी रियो (Neiphieu Rio) चौथी बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे है।
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