#CAB_नहीं_चलेगा क्यों कर रहा है ट्रेंड_देश में सर्वाधिक विरोध कहा?
#CAB_नहीं_चलेगा क्यों कर रहा है ट्रेंड_देश में सर्वाधिक विरोध कहा?Social Media

#CAB_नहीं_चलेगा क्यों कर रहा ट्रेंड, देश में सर्वाधिक विरोध कहाँ?

असम समेत पड़ोसी राज्यों में नागरिकता (संशोधन) विधेयक का अधिक विरोध नज़र आया है। सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर #CAB_नहीं_चलेगा टॉप ट्रेन्डिंग्स में चल रहा है। जानिए इस विरोध का कारण एवं प्रभाव..
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राज एक्सप्रेस। लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पास होते ही देश के कई राज्यों में इसका विरोध भी शुरू हो गया था। असम विरोध में पूर्ण बंद के बाद, राज्य में बुधवार को नए सिरे से विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ, जबकि राज्यसभा में इस कानून पर बहस होनी बाक़ी है।

मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस ने कहा कि, स्थिति से निपटने के लिए, डिब्रूगढ़ जिले में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस को रबर की गोलियां चलानी पड़ीं और लाठीचार्ज करना पड़ा। पुलिस को अगर गोलियां चलानी पड़ी हैं तो आप स्थिति की गंभीरता को स्पष्ट रूप से समझ सकते हैं। पुलिस ने कहा कि, एक पत्रकार पथराव में घायल हो गया और पुलिस ने डिब्रूगढ़ शहर में एक पॉलिटेक्निक संस्थान के पथरावियों को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले भी दागे।

हालांकि बुधवार को किसी संगठन ने बंद का आह्वान नहीं किया है, लेकिन सुबह से ही जोरहाट, गोलाघाट, डिब्रूगढ़, तिनसुकिया, शिवसागर, बोंगाईगांव, नागांव, सोनितपुर और कई जिलों में लोग बड़ी संख्या में बाहर आ गए हैं। अधिकारियों ने कहा कि, राज्य भर में वाहनों और गाड़ियों की आवाजाही को रोकने के लिए सड़कों और रेल पटरियों पर टायर जलाए गए और लॉग (log) लगाए गए। इसे निपटने के लिए डिब्रूगढ़ में चुलखोवा के पास सड़कों और रेल पटरियों को साफ करने के लिए पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज का सहारा लिया। पुलिस ने कहा कि, मोरन जिले में आंदोलनकारियों के खिलाफ रबर की गोलियां चलाई गईं और लाठीचार्ज किया गया।

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने एक बयान में कहा कि, कम से कम 14 ट्रेनों को या तो रद्द कर दिया गया है या फिर ट्रेन परिचालन में बाधा को देखते हुए उनके रास्ते बदल दिए गए हैं। अवध-असम एक्सप्रेस को न्यू तिनसुकिया से चलाने का निर्णय लिया गया है। यह डिब्रूगढ़ और न्यू तिनसुकिया के बीच रद्द रहेगी।

आखिर क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक

नागरिकता संशोधन विधेयक में बांग्लादेश, अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है। मौजूदा क़ानून के मुताबिक़ किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है। इस विधेयक में पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए यह समयावधि 11 से घटाकर छह साल कर दी गई है।

CAB को लेकर विवाद क्यों है?

नागरिकता संशोधन विधेयक पर विपक्षी पार्टियों का कहना है कि, यह विधेयक मुसलमानों के ख़िलाफ़ है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 (समानता के अधिकार) का उल्लंघन करता है। बिल का विरोध यह कहकर भी किया जा रहा है कि, एक धर्मनिरपेक्ष देश किसी के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव कैसे कर सकता है?

खासतौर पर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में विरोध क्यों ?

भारत के पूर्वोत्तर राज्यों असम, मेघालय, मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में नागरिकता संशोधन विधेयक का ज़ोर-शोर से विरोध हो रहा है क्योंकि ये राज्य बांग्लादेश की सीमा के बेहद क़रीब हैं। इन राज्यों में इसका विरोध इस बात को लेकर हो रहा है कि यहां कथित तौर पर पड़ोसी राज्य बांग्लादेश से मुसलमान और हिंदू दोनों ही बड़ी संख्या में आकर बसे हैं। आरोप ये भी है कि, मौजूदा सरकार हिंदू मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश में प्रवासी हिंदुओं के लिए भारत की नागरिकता लेकर यहां बसना आसान बनाना चाहती है। मोदी सरकार पर ये भी आरोप है कि, सरकार इस विधेयक के बहाने एनआरसी लिस्ट से बाहर हुए अवैध हिंदुओं को वापस भारतीय नागरिकता पाने में मदद करना चाहती है।

इस पर भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के दलों ने विधेयक का समर्थन किया है। सिक्किम को भी संरक्षण प्राप्त है और चिंता करने की जरूरत नहीं है। लोकसभा में विधेयक रखते हुए शाह ने कहा था कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान ऐसे राष्ट्र हैं जहां राज्य का धर्म इस्लाम है। उन्होंने कहा कि, हमें मुसलमानों से कोई नफरत नहीं है और कोई नफरत पैदा करने की कोशिश भी न करे।

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