दिल्ली। देश में पिछले साल कोरोना नाम की ऐसी महामारी आई। जिसने काफी कुछ तहस नहस कर दिया। ऐसे में व्यापारियों के कारोबार चौपट हो गए स्टूडेंट्स की पढ़ाई चौपट हो गई। कई लोगों की नौकरियां चली गईं। कुछ मिलकर बीते साल हर किसी को कोई न कोई नुकसान झेलना पड़ा है। ऐसे में सरकारी स्कूलों में पड़ने वाले बच्चों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है क्योंकि, उनके पास सही सुविधा न हो पाने के कारण उनकी पढ़ाई नहीं हो सकी। इस बात को मद्देनजर रखते हुए दिल्ली सरकार ने आठवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए के बड़ा फैसला लिया है।
आठवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए के बड़ा फैसला :
दरअसल, दिल्ली सरकार ने राज्य के सभी सरकारी स्कूलों के कक्षा आठवीं तक के छात्रों के लिए एक बड़ा फैसला सुनाया। इस फैसले के तहत कक्षा आठवीं तक की परीक्षाएं नहीं कराने का ऐलान किया गया है। बताते चलें, इस मामले में सभी सरकारी स्कूलों के लिए बुधवार को ही दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। यानी कि, अब यहाँ सामान्य परीक्षाएं बिना लिए ही उनको उनके 'प्रोजेक्ट' और 'असाइमेंट' के आधार पर रिजल्ट घोषित कर दिया जाएगा। इस बारे में जानकारी देने के लिए शिक्षा निदेशालय की तरफ से भी दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
किस किस पर होंगे लागू :
बताते चलें, शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी किये गए दिशा निर्देश दिल्ली के सभी सरकारी और सरकार से सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षण सत्र 2020-21 के लिए लागू किए गए हैं। हालांकि, इस साल के सत्र की पूरी पढ़ाई कोविड-19 के चलते ऑनलाइनही कराई गई। इसी पढ़ाई के दौरान ही दिए गए प्रोजेक्ट और असाइनमेंट के आधार पर छात्रों को परीक्षा में नंबर दिए जाएंगे।
अंको का विभाजन :
बताते चलें, जारी किए गए दिशा-निर्देश में कहा गया है कि, तीसरी से आठवीं कक्षा तक के लिए अंक का विभाजन इस प्रकार किया जाएगा।
तीसरी से पांचवीं कक्षा तक के लिए
वर्कशीट पर 30 अंक
सर्दियों की छुट्टियों में दिए गए असाइनमेंट पर 30 अंक
1 से 15 मार्च के बीच दिए जाने वाले प्रोजेक्ट और असाइनमेंट पर 40 अंक
छठवीं से आठवीं कक्षा तक के लिए अंक का विभाजन इस प्रकार किया जाएगा।
छठवीं से आठवीं कक्षा तक के लिए
वर्कशीट पर 20 अंक
सर्दियों की छुट्टियों में दिए गए असाइनमेंट पर 30 अंक
1 से 15 मार्च के बीच दिए जाने वाले प्रोजेक्ट और असाइनमेंट पर 50 अंक
शिक्षा विभाग की निदेशक :
दिल्ली में शिक्षा विभाग की निदेशक रीता शर्मा ने बताया, 'चूंकि प्राथमिक और मिडिल स्तर पर कक्षाओं में कोई पठन-पाठन नहीं हुआ है, ऐसे में सामान्य परीक्षाओं की जगह विषयवार प्रोजेक्ट और असाइनमेंट के माध्यम से तीसरी से आठवीं कक्षा तक के छात्रों का मूल्यांकन किया जाए।' शर्मा ने आगे बताया कि, 'अगर किसी छात्र के पास डिजिटल उपकरण (मोबाइल/लैपटॉप) और इंटरनेट नहीं है तो कोविड-19 दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए ऐसे बच्चों के माता-पिता को स्कूल बुलाकर उन्हें प्रोजेक्ट और असाइनमेंट की हार्ड कॉपी दी जाएगी।'
बिना परीक्षा लिए छात्रों को किया गया पास :
गौरतलब है कि, इस तरह का फैसला सिर्फ कोरोना महामारी के चलते हुए नुकसान को मद्देनजर रखते हुए लिए जा रहे हैं। इसके अलावा इस फैसले की अन्य कोई और वजह नहीं है। बता दें, इससे पहले मध्य प्रदेश में जिस साल मिथाइल आइसोसाइनाइट गैस का रिसाव हुआ था। उस साल भी बिना परीक्षा लिए छात्रों को पास कर दिया गया था।
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