हिंसक झड़प के बावजूद नहीं चलती हैं गोलियां, जानिए भारत-चीन के बीच क्या है समझौता?
राज एक्सप्रेस। इस समय भारत और चीन की सेनाओं के बीच अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हुई झड़प का मुद्दा गरमाया हुआ है। 9 दिसंबर को हुई इस घटना में दोनों देशों के सैनिकों को चोंटे आई है। इससे पहले लद्दाख की गलवान घाटी में भी दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस घटना में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के कितने सैनिक मारे गए थे, इसकी सही जानकारी सामने नहीं आई है। वहीं साल 2017 में भी डोकलाम में दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गई थी। बीते कुछ समय से सीमा पर भारत-चीन के बीच तनाव और झड़प की घटनाएं बढ़ी है। हालांकि इस दौरान एक भी गोली नहीं चली है। इसका कारण दोनों देशों के बीच हुए कुछ महत्वपूर्ण समझौते हैं।
साल 1993 का समझौता :
साल 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के चीन दौरे के दौरान भारत और चीन के बीच महत्वपूर्ण समझौता हुआ था। इस समझौते के अनुसार कोई भी देश एक-दूसरे के खिलाफ बल या सेना का इस्तेमाल नहीं करेगा। वहीं अगर किसी देश का जवान गलती से सीमा पार चला जाता है तो दूसरा देश तुरंत इसकी जानकारी देगा और सैनिक को फौरन वापस कर देगा।
साल 1996 का समझौता :
साल 1996 में चीन के राष्ट्रपति जियांग जेमिन की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच समझौता हुआ था कि कोई भी देश एक-दूसरे के खिलाफ सैन्य क्षमता का इस्तेमाल नहीं करेगा। एलएसी के दो किलोमीटर के दायरे में कोई भी देश गोलीबारी, जैविक हथियार, हानिकारक केमिकल, ब्लास्ट ऑपरेशन, बंदूकों या विस्फोटकों का इस्तेमाल नहीं करेगा।
2005, 2012 और 2013 के समझौते :
साल 1993 और साल 1996 में हुए इन महत्वपूर्ण समझौतों के चलते ही सीमा पर दोनों देशों के झड़प होने के बावजूद गोलीबारी नहीं होती है। इन दो समझौते के चलते ही साल 2005, साल 2012 और साल 2013 में भी भारत और चीन के बीच समझौते हुए थे। इन समझौतों में तय हुआ कि एलएसी के जिन इलाकों को लेकर सहमति नहीं बनी है, वहां पेट्रोलिंग नहीं होगी और सीमा पर दोनों देशों की जो स्थिति है, वही रहेगी।
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