उत्तर प्रदेश, भारत। आज आधी से ज्यादा दुनिया स्मार्टफोन और इंटरनेट पर व्यस्त रहती है। जिसके चलते कई लोग जरूरी काम की तरफ ध्यान नहीं दे पाते हैं, लेकिन सोचिए अगर ऐसा कोई डॉक्टर या अस्पताल का स्टाफ करे तो क्या हो, कोई डॉक्टर या अस्पताल का स्टाफ अपना काम छोड़ कर मोबाईल में व्यस्त हो जाये तो ऐसे में क्या होगा? सोचकर भी अजीब लग रहा होगा, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी जो हम-आप सोच भी नहीं सकते ऐसा उत्तर प्रदेश में कौशांबी के जिला अस्पताल में हुआ है। जी हां, यहां ड्यूटी स्टाफ की लापरवाही के चलते एक नवजात शिशु की जिंदा जलने से जान चली गई।
क्या है मामला ?
दरअसल, उत्तर प्रदेश में कौशांबी के जिला अस्पताल के सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट (SNCU) में एक नवजात शिशु को डॉक्टर्स ने वॉर्मर मशीन के हीटिंग पैड पर रखा था, ड्यूटी स्टाफ के ध्यान न देने के कारण बच्चा जिंदा जल गया। वॉर्मर इतना गर्म हो गया था कि बच्चे के सीने से पेट तक की चमड़ी बुरी तरह झुलस गई और बच्चे का शरीर बुरी तरह नीला पड़ गया। इतना ही नहीं उसके शरीर से धुआं तक निकलने लगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार, बच्चे को वॉर्मर पर रखने के बाद स्टाफ को पूरे समय बच्चे की निगरानी करना था, लेकिन अस्पताल का ड्यूटी स्टाफ मोबाइल में बिजी था और इसी दौरान बच्चे की जलने से मौत हो गई। जब तक अस्पताल के स्टाफ का ध्यान गया तब तक बच्चे की मौत हो चुकी थी। जब ये बात अस्पताल के बड़े डॉक्टर्स तक पहुंची तब तक उसके हाथ-पांव फूल गए। जानकारी मिलने पर चीफ मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ. दीपक सेठ और SNCU के ड्यूटी डॉक्टर्स वार्ड में पहुंचे।
डॉक्टर्स ने कहा गलती हो गई :
अपने बच्चे की मौत का कारण जानने के बाद गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में हंगामा करना शुरू कर दिया इतना ही नहीं कुछ ही देर में मंझनपुर पुलिस भी अस्पताल पहुंच गई। पुलिस ने हालातों पर काबू पाया। इसके बाद परिजन ने अस्पताल के स्टाफ पर आरोप लगते हुए उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया है। बच्चे के पिता जुनैद ने बताया कि, जब उन्होंने इस घटना को लेकर एक डॉक्टर से सवाल किए तो उन्होंने कहा- "माफ कर दीजिए गलती हो गई। इतना कह कर वे चले गए, फिर नजर नहीं आए। मैं उनका नाम नहीं जानता, लेकिन सामने आ जाएं तो पहचान लूंगा।" जुनैद का आरोप है कि, 'SNCU वार्ड का स्टाफ मोबाइल पर बिजी था। उन्होंने बच्चे पर ध्यान ही नहीं दिया।'
कैसे हुआ मामले का खुलासा :
बताते चलें, जुनैद अहमद फतेहपुर के हरिश्चंद्रपुर गांव के रहने वाले हैं। वह अपनी पत्नी मेहिलिका की डिलीवरी कराने के लिए 14 अगस्त को जिला अस्पताल लेकर आया था। उसी दिन करीबन शाम 6:15 बजे मेहिलिका ने बेटे को जन्म दिया, लेकिन डॉक्टरों ने बच्चे को पूरी तरह से स्वस्थ न होने की बात कही और उसे SNCU वार्ड में शिफ्ट कर दिया। इसके बाद परिवार के लोगों को पूरी रात बच्चे से मिलने नहीं दिया गया। रविवार सुबह बच्चे की नानी शबाना उसे देखने गई तो बच्चे का शरीर नीला पड़ चुका था और उसके शरीर से धुआं निकल रहा था। सीने और पेट का हिस्सा फट रहा था। तब इस मामले का खुलासा हुआ। पिता जुनैद अहमद की शिकायत पर मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
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