राज एक्सप्रेस। बागवानी अनुसंधान से जुड़े वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि नये कृषि सुधार कानूनों के आने से बागवानी क्षेत्र में क्रांति आएगी जिससे किसानों को उनके उत्पाद की अच्छी कीमत मिल सकेगी और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
इस कानून में किसानों की सम्पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। यह कानून किसानों की फसल, बाजार, फसल मूल्य तथा बाजार मूल्य आदि से जुड़ा हुआ है। देश के कृषि क्षेत्र में हो रहे विकास में बागवानी की भी प्रशंसनीय भूमिका रही है। जिस प्रकार देश के सकल घरेलू उत्पादन में कृषि का लगभग 17 प्रतिशत योगदान है, उसी प्रकार बागवानी का कृषि में 30.4 प्रतिशत योगदान है। बागवानी के अंतर्गत फल, आलू सहित सब्जियों, कंदीय फसलें, मशरूम, कट फ्लावर समेत शोभाकारी पौधे, मसाले, रोपण फसलें और औषधीय एवम सगंधीय पौधे का कई राज्यों के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक शैलेन्द्र राजन के अनुसार आम का उत्पादन 2.516 लाख हेक्टेयर में किया जाता है जिससे 18.48 लाख टन आम का उत्पादन होता है। पूरे विश्व में भारत का आम उत्पादन के क्षेत्र में प्रथम स्थान है। यहाँ पूरे विश्व के उत्पादन का 52 प्रतिशत आम का उत्पादन होता है।
डॉ. राजन ने अवध आम उत्पादक बगवानी समिति और अन्य किसान समूहों से नये कृषि सुधार कानूनों पर चर्चा की। समिति के महासचिव उपेन्द्र कुमार सिंह एवं अन्य किसानों ने बताया कि इस नये कानून के आने से आम बागवानों को मंडी शुल्क से मुक्ति मिलने के साथ ही, साथ मंडी से बाहर बेचने की आजादी मिली जिससे उनको उनके फसल का उचित दाम मिलेगा।
उन्होंने बताया कि किसी भी देश के समुचित विकास में अन्य घटकों की भांति ही कृषि की भी महत्वपूर्ण भूमिका है इसका महत्व भारत जैसे विकासशील देश के लिए और भी अधिक बढ़ जाता है जहाँ देश की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर करती है।
उत्तर प्रदेश का मलिहाबाद क्षेत्र दशहरी आम के लिए विश्व प्रसिद्ध है, जो 28,000 हेक्टेयर भूमि पर उगाया जाता है। डॉ. राजन ने कहा कि फार्मर फर्स्ट परियोजना से जुड़े मलिहाबाद के कुछ किसानों ने आम लोकल मंडियों में न बेचकर दूरस्थ बाजारों में बेचा जिससे उनको अन्य किसानों से ज्यादा लाभ मिला। इस कानून के आने से किसान अपने उत्पाद को कहीं भी बेचने को आजाद किया है, ताकि अन्य राज्यों के बीच कारोबार बढ़ेगा। जिससे मार्केटिंग और परिवहन पर भी खर्च कम होगा। कृषि क्षेत्र में उपज खरीदने-बेचने के लिए किसानों व व्यापारियों को "अवसर की स्वतंत्रता" लेन-देन की लागत में कमी होगी।
मंडियों के अतिरिक्त व्यापार क्षेत्र में फार्मगेट, शीतगृहों, वेयरहाउसों, प्रसंस्करण यूनिटों पर व्यापार के लिए अतिरिक्त चैनलों का सृजन होगा। किसानों के साथ प्रोसेसर्स, निर्यातकों, संगठित रिटेलरों का एकीकरण जैसे उपायों से मध्स्थता में कमी आएगी। देश में प्रतिस्पर्धी डिजिटल व्यापार का माध्यम रहेगा, पूरी पारदर्शिता से काम होगा। अंतत: किसानों को लाभकारी मूल्य प्राप्त करना ही उद्देश्य है जिससे उनकी आय में सुधार हो सके।
निजी क्षेत्र के निवेश से अनुसंधान एवं विकास को (आर एंड डी) बढ़ावा मिलने से उच्च और आधुनिक तकनीकी इनपुट मिलेगा।
डिस्क्लेमर : यह आर्टिकल न्यूज एजेंसी फीड के आधार पर प्रकाशित किया गया है। इसमें राज एक्सप्रेस द्वारा कोई संशोधन नहीं किया गया है।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।