देश के पहले शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
देश के पहले शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ादसोशल मीडिया

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की 131वीं जयंती पर शुरू हुई 'स्वयं 2.0'

स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जन्मदिन 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज केन्द्रीय मंत्री निशंक ने शुरू की 'स्वयं 2.0' योजना।
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राज एक्सप्रेस। भारत आज राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मना रहा है। साल 2008 से शुरू हुए इस दिवस को देश के पहले शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की याद में मनाया जाता है।

आज मौलाना अबुल कलाम का 131वां जन्मदिन है। उनका जन्म 11 नवंबर 1888 को आज ही के दिन हुआ था और इस ही उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष हमारे देश में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का आयोजन होता है।

भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् (Indian Council for Cultural Relations (ICCR)) ने इस अवसर पर मौलाना कलाम को याद करते हुए उनकी समाधि पर चादर चढ़ाई। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहनवाज़ हुसैन भी इस मौके पर शामिल हुए।

स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने सन् 1950 में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् (भा.सां.सं.प.) की स्थापना की थी। संस्कृतियों के समन्वय, अन्य देशों के साथ रचनात्मक संवाद से इस परिषद् का सम्बन्ध है।

विश्व की संस्कृतियों के साथ पारस्परिक विचार-विमर्श को सुगम बनाने के लिए परिषद् देश और विदेशों में भारत की संस्कृतियों की विविधता और समृद्धि को व्यक्त एवं प्रदर्शित करने का प्रयास करती है।

भा.सां.सं.प. के अनुसार, मौलाना अबुल कलाम का पूरा नाम 'मौलाना अबुल कलाम मुहियुद्दीन अहमद' है। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेताओं में से एक थे। साथ ही एक महान विद्वान और कवि भी थे। वे संविधान सभा का हिस्सा थे, जिसे संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए बनाया गया था।

मौलाना आज़ाद के कार्यकाल में प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा, वैज्ञानिक शिक्षा, विश्वविद्यालयों की स्थापना, अनुसंधान व उच्च अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए गए थे।

मौलाना आज़ाद ने साहित्य अकादमी, संगीत नाटक अकादमी, ललित कला अकादमी और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् जैसे कई संस्थानों की स्थापना की। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की स्थापना के लिए प्रमुख रूप से प्रोत्साहन भी प्रदान किया।

मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर 'स्वयं 2.0' की शुरूआत करेंगे। मंत्रालय ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी।

'स्वयं' भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य सभी लोगों तक शिक्षा के सबसे बेहतर संसाधन पहुंचाना है। इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री निशंक केन्द्रीय विद्यालय के बच्चों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए रूबरू होंगे।

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संसद में मौलाना आज़ाद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा था, "हमारे पास महान लोग हैं और हमारे पास महान व्यक्ति होंगे, लेकिन जिस अजीब और विशेष प्रकार की महानता का मौलाना आज़ाद ने प्रतिनिधित्व किया, वह भारत में या कहीं और फिर से होने की संभावना नहीं है।"

राष्ट्र में उनके अमूल्य योगदान के लिए, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को 1992 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, '

"मैं इस तथ्य के प्रति एक मुस्लिम और गहराई से सचेत हूं कि मुझे पिछले तेरह सौ वर्षों की इस्लाम की गौरवशाली परंपरा विरासत में मिली है। मैं उस विरासत के एक छोटे से हिस्से को खोने के लिए तैयार नहीं हूं। इस्लाम का इतिहास और शिक्षाएं, इसकी कला और पत्र, इसकी संस्कृति और सभ्यता मेरे धन का हिस्सा है और उन्हें संजोना और उनकी रक्षा करना मेरा कर्तव्य है..."

भारतरत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद

मौलाना अबुल कलाम आजाद एशियाई अध्ययन संस्थान की वेबसाइट के अनुसार, मौलाना आज़ाद अरबी, अंग्रेजी, उर्दू, हिंदी, फारसी और बंगाली भाषाओं के जानकार थे। वे शानदार वाद-विवादकर्ता थे। जैसा कि उनके नाम का शाब्दिक अर्थ है "संवाद का भगवान"।

मौलाना अबुल कलाम ने धर्म और जीवन के संकीर्ण दृष्टिकोण से अपनी मानसिक मुक्ति के प्रतीक के रूप में

मौलाना आज़ाद 1888 में मक्का में पैदा हुए थे। उनके पिता बंगाली मुस्लिम थे और मां अरब से थीं। उनके जन्म के बाद सन् 1890 में वे भारत के कलकत्ता शहर वापस आकर बस गए। यहीं आज़ाद की प्रारंभिक शिक्षा पूरी हुई।

साल 1912 में मौलाना आज़ाद ने अल-हिलाल नाम से एक साप्ताहिक उर्दू अखबार शुरू किया था। यह अखबार अंग्रेज़ों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम को मुखर आवाज़ देने का प्रतीक बना। शुरू होने के दो साल बाद 1914 में अंग्रेज़ी हुकूमत ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया।

इसके बाद मौलाना आज़ाद ने अल-बलाग़ नाम से एक और अखबार निकालना शुरू किया। साल 1916 में अंग्रेज़ी हुकूमत ने इस पर भी प्रतिबंध लगा दिया और मौलाना आज़ाद को कलकत्ता से बाहर कर रांची भेज दिया। पहले विश्व युद्ध के बाद 1920 में आज़ाद को रिहा किया गया।

जेल से छूटने के बाद आज़ाद ने खिलाफत आंदोलन से मुस्लिम समुदाय को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। इस ही साल वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। साथ ही गांधी जी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन का हिस्सा भी बने।

मौलाना अबुल कलाम आजाद की समाधि पर उपस्थित लोग
मौलाना अबुल कलाम आजाद की समाधि पर उपस्थित लोगसोशल मीडिया

साल 1923 में वे कांग्रेस के विशेष सदन के अध्यक्ष नियुक्त हुए। वहीं साल 1930 में नमक सत्याग्रह के दौरान उन्हें फिर एक बार गिरफ्तार किया गया। आज़ाद को डेढ़ साल मेरठ जेल में गुज़ारने पड़े। जिसके बाद साल 1940 में वे कांग्रेस के अध्यक्ष बने और आज़ादी के पहले तक साल 1946 तक इस पद पर कार्यरत रहे।

वे स्वतंत्र भारत को दो हिस्सों भारत और पाकिस्तान में बांटने के प्रमुख विरोधी थे। भारत के बंटवारे ने उन्हें अत्याधिक दुख पहुंचाया और उनके हिन्दू और मुसलमानों के लिए समान मुल्क के सपने को तोड़ दिया।

स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में वे शिक्षा मंत्री बने और साल 1947 से 1958 तक उन्होंने इस पद को संभाला। 22 फरवरी 1958 को उनका निधन हुआ।

मौलाना आज़ाद की मृत्यु के बाद साल 1959 में उनकी आत्मकथा 'इंडिया विन्स फ्रीडम' प्रकाशित हुई।

भारत के उप-राष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू ने ट्वीट कर देश के पहले शिक्षामंत्री को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने लिखा, 'स्वतंत्रता सैनानी और भारत के पहले शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती पर देश उन्हें याद कर रहा है और मैं भी इसमें शामिल हूं।'

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के विज्ञान एवं तकनीक मंत्रालय के मंत्री चौधरी फवाद हुसैन ने भी आज मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को याद किया। उन्होंने ट्वीट कर मौलाना आज़ाद द्वारा लिखी गईं किताबों का ज़िक्र किया।

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