कोलकाता के शहीद मीनार में मोहन भागवत का भाषण
कोलकाता के शहीद मीनार में मोहन भागवत का भाषणSocial Media

कोलकाता के शहीद मीनार में मोहन भागवत का भाषण- नेताजी को लेकर कही ये बातें...

पश्चिम बंगाल में कोलकाता के शहीद मीनार में आयोजित कार्यक्रम के दौरान RSS प्रमुख मोहन भागवत ने एक सभा को संबोधित किया और अपने संबोधन में कहीं यह बातें...
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पश्चिम बंगाल, भारत। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर आज 23 जनवरी को पश्चिम बंगाल में कोलकाता के शहीद मीनार में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें RSS प्रमुख मोहन भागवत ने हिस्सा लिया।

मोहन भागवत ने सभा को किया संबोधित :

कोलकाता के शहीद मीनार में आयोजित कार्यक्रम के दौरान RSS प्रमुख मोहन भागवत ने एक सभा को संबोधित किया और अपने संबोधन में कहा- समय का भाग्य चक्र अगर सीधा चलता तो नेताजी भारत के अंदर प्रवेश करके बहुत आगे आ चुके होते। यहां रह कर यहां के स्वतंत्रता के लिए प्रयास करने वालों से मिलन होता और भारत बहुत पहले स्वतंत्र हो गया होता।

उनके (सुभाष चंद्र बोस) युद्ध कौशल का क्या वर्णन करना। वो तो जगत प्रसिद्ध है, जिनके साम्राज्य पर सूर्यास्त नहीं होता, ऐसे लोगों के लिए एक नई सेना बनाकर उन्होंने चुनौती खड़ी की और भारत के दरवाजे पर दस्तक दी।

RSS प्रमुख मोहन भागवत

  • नेता जी ने अपना सारा जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया। नेता जी का जीवन लगभग वनवास में गुजारने जैसा था। उन्होंने अपने जीवन के बहुत से हिस्से वनवास में गुजारे थे। उन्होंने अपना सर्वस्व देश के लिए बलिदान कर दिया।

  • पूरी दुनिया आज भारत की ओर देख रही है। नेताजी के सपने अभी पूरे नहीं हुए हैं। हमें इसे मिलकर पूरे करने होंगे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस और हमारे पूर्वजों के दिखाए हुए रास्तों को अपनाकर हम इस विश्व में शांति और भाईचारा फैला सकते हैं। आज पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है।

  • बंगाल में यह कोई नई बात नहीं है। हर साल हम इस तरह का कार्यक्रम करते हैं। संघ अब एक बड़ा परिवार बन गया है। आरएसएस को अब हर कोई जानता है। उन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया। नेताजी ने कभी स्वार्थ नहीं देखा। वह इतना शिक्षित था। वे ऐशो-आराम का जीवन जी सकते थे, लेकिन उन्होंने वनवास को चुना। उन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।

  • हमने कभी नेताजी के साथ न्याय नहीं किया, न ही गुरु गोबिंद सिंह के साथ। दूसरों के हित में काम करने वालों को आलोचना का सामना करना पड़ता है। सिर्फ इसलिए कि उन्होंने कभी किसी चीज की उम्मीद नहीं की थी कि, हम उन्हें आज भी याद करते हैं। उन्होंने न केवल अपने परिवार को छोड़ा, बल्कि आगे बढ़कर देश के लिए संघर्ष किया। उन्होंने सत्ता को चुनौती दी। अगर किस्मत उनका साथ देती तो वह हमारे क्षेत्र में काफी आगे जा सकते थे।

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