मोदी ने तमिलनाडु में 11 चिकित्सा महाविद्यालयों का उद्घाटन किया
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार को तमिलनाडु में 11 नये सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों और चेन्नई में 24 करोड़ रुपये की लागत से बने केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान के नए परिसर का आज शाम उद्घाटन किया। आधिकारिक जानकारी के अनुसार यह कार्यक्रम वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शाम चार बजे संपन्न किया गया।
तमिलनाडु में ये नये चिकित्सा महाविद्यालय उन जिलों में बनाए गए हैं, जहां अब तक निजी सरकारी क्षेत्र के ऐसे कोई संस्थान नहीं थे। इन पर 4,000 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। इसमें लगभग 2,145 करोड़ रुपये केंद्र ने और बाकी सरकार ने दिए हैं। इन्हें विरुधुनगर, नमक्कल, नीलगिरी, तिरुपुर, तिरुवल्लूर, नागपट्टिनम, डिंडीगुल, कल्लाकुरिची, अरियालुर, रामनाथपुरम और कृष्णागिरी जिले में अलग-अलग जगहों पर बनाया गया है।
देश के सभी हिस्सों में सस्ती चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधाओं में सुधार की दिशा में सरकार के प्रयास के अनुरूप इनकी स्थापना की जा रही है। केंद्र प्रायोजित योजना- 'मौजूदा जिला/रेफरल अस्पताल से जुड़े नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना' के तहत इन नयी सुविधाओं में कुल मिलाकर 1450 सीटों की क्षमता है। इस योजना के तहत उन जिलों में चिकित्सा महाविद्यालय स्थापित किए जाते हैं, जिनमें न तो सरकारी और न ही निजी चिकित्सा महाविद्यालय हैं।
भारतीय विरासत की सुरक्षा तथा संरक्षण एवं शास्त्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने को लेकर प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप चेन्नई में केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान (सीआईसीटी) के एक नए परिसर की स्थापना की गयी है। नया परिसर पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित है, जिसे 24 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। अभी तक किराए के भवन से संचालित होने वाला सीआईसीटी अब नए 3 मंजिला परिसर से संचालित होगा। नया परिसर एक विशाल पुस्तकालय, एक ई-लाइब्रेरी, सेमिनार हॉल और एक मल्टीमीडिया हॉल से सुसज्जित है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन, सीआईसीटी तमिल भाषा की प्राचीनता एवं विशिष्टता को स्थापित करने के लिए शोध गतिविधियों के माध्यम से शास्त्रीय तमिल को बढ़ावा देने में योगदान दे रहा है। संस्थान के पुस्तकालय में 45,000 से अधिक प्राचीन तमिल पुस्तकों का समृद्ध संग्रह मौजूद है। शास्त्रीय तमिल को बढ़ावा देने और अपने छात्रों का समर्थन करने के लिए, यह संस्थान सेमिनार और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने, फेलोशिप प्रदान करने आदि जैसी शैक्षिक गतिविधियों में शामिल है। इसका उद्देश्य विभिन्न भारतीय के साथ-साथ 100 विदेशी भाषाओं में 'तिरुक्कुरल' का अनुवाद और प्रकाशन करना है।
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