Maharashtra: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला एकनाथ शिंदे को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत
राज एक्सप्रेस। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय पहले कहा था कि महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) ने जून 2022 में महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट बुलाकर कानून के मुताबिक काम नहीं किया था। वह उद्धव को बहाल नहीं कर पाएं थे। ठाकरे सरकार, क्योंकि उन्होंने मुकदमे का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि स्पीकर उचित समय के अंदर16 विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करें।
शीर्ष अदालत सीएम शिंदे की सेना के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के मामले पर सुनवाई कर रही थ। व्हिप जारी होने के बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा बुलाई गई पार्टी की बैठक में शामिल नहीं होने के कारण शिंदे सहित 16 विधायकों को अयोग्यता नोटिस भेजा गया था। जुलाई में, जब शिंदे ने राज्य विधान सभा के पटल पर विश्वास मत मांगा, तो सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना गठबंधन को कुल 288 विधायकों में से 164 का समर्थन प्राप्त हुआ और वह मुख्यमंत्री बने थे।
जून 2022 से, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) की अध्यक्षता पर दोनों शिवसेना समूहों द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ, जिसमें सीजेआई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह (MR Shah), कृष्ण मुरारी (Krishna Murari) , हेमा कोहली (Hima Kohli) और पीएस नरसिम्हा (PS Narasimha) शामिल थे। उन्होंने 16 मार्च को सुनवाई पूरी की और दोनों समूहों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई की थी। जिसमे उन्होंने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया आपने फैसला
आज महाराष्ट्र राजनीतिक संकट मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। फैसले के बाद शिंदे गुट को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि वह विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं लेगी। इसके लिए स्पीकर को जल्द फैसला लेने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया, इसलिए उन्हें बहाल नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने व्हिप को लेकर क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि व्हिप (whip) को पार्टी से अलग करना लोकतंत्र के हिसाब से सही नहीं होगा। वह पार्टी है जो जनता से वोट मांगती है। विधायक ही तय नहीं कर सकते कि व्हिप कौन होगा। पार्टी विधायकों की बैठक में उद्धव ठाकरे को नेता माना गया। 3 जुलाई को स्पीकर ने शिवसेना के नए व्हिप को मंजूरी दी थी। स्पीकर को स्वतंत्र जांच कर फैसला लेना चाहिए था। गोगावले को व्हिप मानना गलत था क्योंकि इसे पार्टी द्वारा नियुक्त किया जाता है। इसके साथ ही पूरे मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया गया था।
राजयपाल पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
राजयपाल पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा की "राज्यपाल को वह नहीं करना चाहिए जो संविधान ने उन्हें नहीं दिया है। अगर सरकार और स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा टालने की कोशिश करते हैं तो राज्यपाल फैसला ले सकते हैं। लेकिन विधायकों ने इस मामले में राज्यपाल को लिखे पत्र में यह नहीं कहा कि वे एमवीए सरकार को हटाना चाहते हैं। केवल अपनी पार्टी के नेतृत्व पर सवाल खड़े किए।" कोर्ट ने कहा कि "किसी भी पार्टी में असंतोष फ्लोर टेस्ट का आधार नहीं होना चाहिए। राज्यपाल को जो भी प्रस्ताव मिले, वह स्पष्ट नहीं थे।"
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