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WORLD TB DAY : दुनियाभर के एक चौथाई टीबी मरीज भारत में, मध्यप्रदेश तीसरे स्थान पर

मध्यप्रदेश भी वर्तमान में टीबी के सर्वाधिक रोगियों में देश में तीसरा स्थान रखता है, जहां पर कुल का आठ प्रतिशत टीबी रोगी है। उत्तर प्रदेश में देश में सर्वाधिक 20 प्रतिशत रोगी है।
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इंदौर,मध्यप्रदेश। कई बार यह आवाज उठती रही है कि इंदौर सहित प्रदेश को टीबी मुक्ति बनाया जाएगा। इसके लिए अभियान भी शुरू किए गए। इंदौर में कई एनजीओ के साथ सरकारी अमले ने इसके लिए वर्कशाप भी किए, अभियान भी चलाए। इसके बाद भी हकीकत यह है कि बड़ी संख्या में आज भी टीबी के मरीज हैं। कोरोना के बाद से इनकी संख्या बढ़ी है। प्रतिवर्ष 24 मार्च को टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) डे मनाया जाता है, ताकि लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरुक किया जा सके अधिकांश लोगों को लगता है कि टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस की बीमारी अब नहीं है लेकिन ऐसा नहीं है। सालो बाद आज भी यह बीमारी मौजूद है और कई बार इसे हल्के में लेना घातक सिद्ध हो सकता है। इस कारण इसका पूरा और सही इलाज करना जरूरी है, लेकिन यह लाइलाज नहीं है और इलाज के बाद टीबी पूरी तरह से खत्म हो सकती है। दुनियाभर के कुल टीबी मरीजों के एक चौथाई भारत में है तो मध्यप्रदेश भी वर्तमान में टीबी के सर्वाधिक रोगियों में देश में तीसरा स्थान रखता है, जहां पर कुल का आठ प्रतिशत टीबी रोगी है। उत्तर प्रदेश में देश में सर्वाधिक 20 प्रतिशत रोगी है। 

लोगों में जगारुकता की कमी

वरिष्ठ छाती रोग विशेषज्ञ और शा. मनोरमा राजे क्षय चिकित्सालय के पूर्व अधीक्षक डॉ. अतुल खराटे ने वल्र्ड टीबी डे के मौके पर राज एक्सप्रेस को चर्चा में बताया कि आज भी टीबी को लेकर लोगों में जगारुकता की कमी है। यहां तक की, जो फिजिशियन हैं, वो भी खांसी वाले मरीजों के स्पूटम की जांच को लेकर गंभीर नहीं है। यदि किसी भी मरीज को 15 दिन से अधिक खांसी चल रही है और बलगम आ रहा है, तो उसकी जांच जरूर करना चाहिए। वर्तमान में एच3एन2 के लक्षणों में भी 15 दिन से अधिक खांसी चल रही है, लेकिन इसमें खांसी सूखी रहती है, यदि बलगम यानि कफ आए, तो जांच जरूर कराना चाहिए, ताकि समय रहते यदि टीबी निकलती है, तो उसकी जांच कराए जाए। साथ ही सर्दी-खांसी वाले मरीज अनिवार्य रूप से मॉक्स का उपयोग करें। इन दिनों खासकर बच्चों, किशोर और बुजुर्गों को विशेष सावधानी रखने की जरूरत है। 

सबसे घातक संक्रामक रोगों में से एक है टीबी

शहर के रेस्प्रीरेट्री एवं स्लीप मडिसिन कंसलटेंट डॉ. तनय जोशी के अनुसार 'वर्ल्ड टीबी डे हर साल 24 मार्च को ट्यूबरकुलोसिस के हानिकारक प्रभाव, सामाजिक और आर्थिक परिणामों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने और वैश्विक टीबी महामारी को समाप्त करने के लिए मनाया जाता है। 24 मार्च 1882 को डॉ रॉबर्ट कोच ने टीबी का कारण बनने वाले जीवाणु की खोज की थी। जो इस बीमारी के निदान और इलाज की दिशा में एक नया कदम था। आज भी टीबी दुनिया के सबसे घातक संक्रामक रोगों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल 16 लाख लोग टीबी की वजह से मरते है तो करीब 10 लाख नए लोग टीबी के मरीज के रूप में ग्रसित होते है। एक दशक से अधिक समय में पहली बार 2020 के बाद से टीबी से होने वाली मौतों में बढ़ोतरी हुई है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार वर्ष 2020 में लगभग 99 लाख तो 2021 में एक करोड़ से ज्यादा लोग टीबी के कारण बीमार पड़ गए। वर्ष 2000 से टीबी को समाप्त करने के लिये विश्व स्तर पर किये गए प्रयासों से साते सात करोड़ लोगों की जान बचाई गई है। दुनिया भर में कुल टीबी मामलों में भारत का हिस्सा लगभग 26 प्रतिशत है। इसलिये विश्व टीबी दिवस दुनिया भर के लोगों को टीबी रोग और उसके प्रभाव के बारे में शिक्षित करने के लिये मनाया जाता है।

दो प्रकार की होती है टीबी

मुख्य तौर पर टीबी के दो प्रकार होते हैं - लेटेंट और एक्टिव। लेटेंट टीबी तब होता है जब किसी व्यक्ति के शरीर में टीबी के जीवाणु होते हैं। मगर बैक्टीरिया बहुत कम संख्या में मौजूद होते हैं। लेटेंट टीबी वाले लोग संक्रामक नहीं होते हैं और बीमार महसूस नहीं करते हैं। वे टीबी के बैक्टीरिया को दूसरे लोगों तक नहीं पहुंचा सकते। एक्टिव टीबी रोग तब होता है जब किसी व्यक्ति को लेटेंट टीबी होती है और फिर वह बीमार हो जाता है।

टीबी के लक्षण

कुछ लक्षणों के माध्यम से टीबी का पता लगाया जा सकता है, हालांकि लक्षण आमतौर पर शुरुआती चरण में दिखाई नहीं देते हैं।

  • -कम से कम 3 सप्ताह तक लगातार खांसी आना टीबी का प्रमुख लक्षण है।

  • -खांसी के दौरान खून के साथ कफ का बनना। साथ ही, खांसते समय खून आना।

  • - ठंड लगना, बुखार, भूख न लगना और वजन कम होना।

  • -रात को पसीना आना और सीने में दर्द भी इस बीमारी का हिस्सा हैं।

  • -पेट में दर्द, जोड़ों में दर्द, दौरे और लगातार सिरदर्द भी हो सकता है।

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