PM Modi MP Tour
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PM Modi MP Tour: भाजपा के लिए क्यों अपेक्षित है जनजाति आरक्षित शहडोल ?

PM Modi MP Tour: आखिर क्यों पिछले 9 सालों से शहडोल संभाग भाजपा के लिए प्रदेशीय और राष्ट्रीय राजनीति के लिए जरूरी स्थान बनता गया है? चलिए इसका जवाब आपको बताते है।
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राज एक्सप्रेस। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) 1 जुलाई को मध्यप्रदेश के शहडोल संभाग (Shahdol Division) का दौरे पर आने वाले है। यह दौरा पहले 27 जून को होना था लेकिन 26 जून को शहडोल में भारी बारिश के पूर्वानुमान के बाद इसे स्थगित कर दिया गया था जिसकी जानकारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने दी थी। शहडोल संभाग, मध्यप्रदेश का एक ऐसा संभाग है जिसका उल्लेख महाकाव्य महाभारत (Epic Mahabharata) में विराटनगर (Virat Nagar) के नाम से पाया जाता है। इस संभाग में 45% से अधिक जनसंख्या जनजाति समाज की है। साल 2013 और 2018 से पीएम मोदी भी हर लोक सभा (Lok Sabha Election) और मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव (MP Assembly Election) से पहले इस संभाग में अपनी उपस्तिथि दर्ज कराते है लेकिन ऐसा क्यों? आखिर क्यों पिछले 9 सालों से यह संभाग प्रदेशीय और राष्ट्रीय राजनीति के लिए जरूरी स्थान बनता गया है? चलिए इसका जवाब आपको बताते है।

गौरव यात्रा से जनजातियों को साधने की कोशिश

22 जून से 27 जून तक चलाई गई रानी दुर्गावती गौरव यात्रा (Rani Durgavati Gaurav Yatra) का समापन बालाघाट (Balaghat) समेत 5 स्थानों से होते हुए 1 जुलाई को शहडोल में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह यात्रा पहले धार (Dhar) में समाप्त होने वाली थी, लेकिन इसे बाद में शहडोल शिफ्ट किया गया। यात्रा बालाघाट, छिंदवाड़ा (Chhindwara) , सिंगरामपुर (Singrampur), कालिंजर किला (Kalinjar Fort) और धौहानी (Dhauhani) से निकाली गयी थी। बहरहाल, रानी दुर्गावती गौरव यात्रा के पीछे का मकसद कुछ और है। रानी दुर्गावती को गोंड जनजाति (Gond Tribe) की रानी माना जाता है जो कि, मध्यप्रदेश के अहम जनजाति समाज में से एक है। मध्यप्रदेश में निवास करने वाले 1 करोड़ 53 लाख की जनजाति जनसंख्या में सबसे बड़ा हिस्सा गोंड जनजाति का है जो कि, 40% है।

शहडोल ही क्यों?

मध्यप्रदेश की 40% गोंड जनसंख्या में से 34% से भी अधिक जनसंख्या शहडोल और जबलपुर संभाग में निवास करती है। जिन 5 मार्ग से यह यात्रा निकली थी उससे भाजपा ने राज्य की 47 में से 16 अनुसूचित जनजातीय आरक्षित सीटों (ST Reserved Assembly Seats) को टारगेट किया है । इन 16 में से 6 सीटें अनूपपुर, पुष्पराजगढ़, जैतपुर, जयसिंहनगर, ब्यौहारी और मानपुर (Anuppur, Pushparajgarh, Jaitpur, Jaisinghnagar, Beohari and Manpur) अकेले शहडोल संभाग अंतर्गत आती है। शहडोल को मुख्यता जनजातीय बहुल इलाका माना जाता है जहां लगभग 70 प्रतिशत आबादी ग्रामीण इलाको में रहती है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा शहडोल संभाग से मध्यप्रदेश की जनजातीय समाज को एक सकारात्मक मैसेज देने का प्रयास करेगी। शहडोल इसलिए भी जरुरी स्थान माना जाता है क्योंकि इस संभाग में भाजपा की 2003 कड़ी पकड़ रही है।

हालांकि कुछ सर्वे के परिणामों के अनुसार, आशंका लगाई गयी है कि भाजपा को इस बार प्रदेश अन्य हिस्सों समेत शहडोल संभाग में भी नुकसान का सामना करना पद सकता है। शहडोल के अलावा यह यात्रा 10 अन्य अनुसूचित जनजाति आरक्षित विधानसभा सीटों से होकर गुजरी थी जिनके नाम है बरवाड़ा, धौहानी, सिहोरा, शाहपुरा, निवास, लखनादौन, मंडला, बिछिया, डिंडोरी और बैहर (Barwara, Dhauhani, Sihora, Shahpura, Niwas, Lakhnadon, Mandla, Bichiya, Dindori and Baihar)। अगर आंकड़ों के आधार पर देखा जाए तो भाजपा मध्यप्रदेश के 1 करोड़ 53 लाख जनजाति जनसंख्या के 1/3 हिस्से यानी 50 लाख लोगो को गौरव यात्रा से साधने का प्रयास कर रही हैं जिसमे से 11लाख से भी अधिक जनसंख्या शहडोल संभाग के भीतर आती है।

जनजाति समाज है खफा?

हाल ही में आए कई मीडिया चैनल और संस्था के बड़े सर्वे के परिणामों में इस बात की आशंका जताई गई थी कि, मध्यप्रदेश में आदिवासी और दलित समाज भाजपा से खफा है। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने इसी समीकरण का फायदा उठाकर अपनी सीटों और मत प्रतिशत (Vote Percentage) में वृद्धि की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बार भी प्रदेश में जनजातीय समूह द्वारा हुए छोटे और बड़े विरोध–प्रदर्शन से अनुमान लगाए जा रहे है कि जनजातीय समाज इस बार भी भाजपा को जीत के आंकड़े तक पहुंचने में ज्यादा मदद नहीं करेगा। पिछले बार कांग्रेस ने राज्य में 47 अनुसूचित जनजातीय आरक्षित सीटों में से 28 जीती थी। वहीं, भाजपा को 19 सीटें मिली थी। बहरहाल, राज्य की 35 अनुसूचित जाति (SC) आरक्षित सीटों की बात करे तो, भाजपा यहां अभी भी कांग्रेस से कई आगे दिखाई देती है। भाजपा ने 35 में से 21 सीट अपने नाम की थी। जबकि, कांग्रेस के हिस्से 14 सीटें आई थी। अगर पिछले 6 महीनो में आ रहे सर्वे के परिणामों और मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो, इस बार चुनाव 230 सीटों के लिए नहीं बल्कि राज्य में आरक्षित 82 सीटों के लिए होगा, जिसके लिए दोनो ही पार्टी दम खम से बहुजन समाज को लुभाने का प्रयास कर रही हैं। इसी वजह से हर साल चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी राज्य के अहम जनजाति बहुल शहडोल संभाग में आने का प्रयास करते है।

राज्य के कई हिस्सों में दलित और आदिवासी समाज के लोग विरोध-प्रदर्शन कर रहे है। इसी साल बुरहानपुर और खंडवा में रहने वाले आदिवासी समाज ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। जागृत आदिवासी दलित संगठन (JADS) द्वारा लगाए गए आरोपों के अनुसार यह प्रदर्शन इसलिए किया जा रहा था क्योंकि सरकार ने उनके हिस्से की 15000 एकड़ वन जमीन को माफियों के हाथ में दे दी है और वही लोग उनके घर को भी तोड़कर हटा रहे है। यही नहीं, हालही में सागर में हुई एक और घटना में आदिवासी समाज सरकार खफा बताया जा रहा है।

हालांकि, इस संभाग के अंतर्गत आने वाली 7 में से 6 अनुसूचित जनजातीय आरक्षित सीटों पर भाजपा का कब्जा है और 2003 के बाद से ही इस क्षेत्र में भाजपा की पकड़ मजबूत बताई जाती है। खबर है कि, प्रधानमंत्री मोदी शहडोल के जनजातीय समूह के साथ जमीन पर बैठकर खाना भी खाने वाले है। कहा जा रहा है कि, यह पहला मौका होगा, जब कोई प्रधानमंत्री जमीन पर बैठकर देशी अंदाज में जनजाति समाज के साथ भोजन करेंगे । अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी इस दौरे को 2024 के चुनावों से भी जोड़कर देख रहे है। शायद इसलिए ही वह इतनी जल्द शहडोल आ रहे हैं। बता दें, इससे पहले 2013 और 2018 के नवंबर माह में वह शहडोल आ चुके है।

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