तुम किस हक़ से इनके माँ बाप होने का दावा करते हो, ज़रा सी खुशी तुमसे बर्दाश्त हुई नहीं, मार दिया तुमने उन्हें…।
राजएक्सप्रेस । "तुम किस हक़ से इनके माँ बाप होने का दावा करते हो, उनकी ज़रा सी खुशी तो तुमसे बर्दाश्त हुई नहीं, मार दिया तुमने उन्हें…। उनके मरने पर तुम सीना चौड़ा कर उस कथित समाज के सामने घूम रहे हो जो तुम्हारे बूढ़े होने पर तुम्हारी देख भाल करने कभी नहीं आएगा और ना ही उस वक्त आएगा जब तुम बीमार होगे और किसी अस्पताल के पलंग पर पड़े होकर मौत मांग रहे होगे। तुमने बच्चे इसलिए तो पैदा नहीं किये होंगे की उन्हें तुम सिर्फ इसलिए क्रूर मौत दो की ,उन्होंने तुमसे अपने लिए खुशी मांग ली। जिस परम्परा रीति और प्रतिष्ठा का हवाला दे कर तुम बच्चों की जान लेते हो वो सरासर गलत है। तुम्हे ना अपनी परम्परा और रीतियों का ज्ञान है और ना ही भविष्य का पता। तुम सिर्फ झूठी शान और खोखली प्रतिष्ठा के अहम् में अपने बच्चों को मारते रहने की होड़ में शामिल हो। तुम्हारे ज्ञान में वृद्धि करते हुए इतना बता देना जरूरी है कि, वर्षों पहले तुम्हारे और हमारे पूर्वज जिनकी प्रतिष्ठा तुमसे कई अधिक थी, वे गन्धर्व विवाह करते थे। उस समय ना जाति बंधन था और ना ही प्रेम विवाह पर कोई प्रतिबन्ध। इस मामले में भगवान कृष्ण से बड़ा उदहारण दूसरा कोई नहीं है।"
हरियाणा, पंजाब के बाद हिंदी पट्टी के मध्यप्रदेश में लगातार ऑनर किलिंग के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। ताज़ा मामला मुरैना का है जहाँ प्रेमी जोड़े की ह्त्या कर उनके शव फेंक दिए गए जिसकी तलाश अब तक पुलिस को है। देश में इसके लिए कोई विशेष क़ानून नहीं है। पाँच साल पहले उच्चतम न्यायलय ने शक्ति वाहिनी बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया केस में ऑनर किलिंग को लेकर गाइडलाइन जारी की थी।
क़ानून ना होने पर उच्चतम न्यायलय ने स्वयं जारी की गाइडलाइन:
साल 2010 में शक्ति वाहिनी नामक NGO ने उच्चतम न्यायलय में ऑनर किलिंग के विरोध में याचिक दायर की थी। 8 साल बाद 3 जजों की बेंच ने याचिका पर सुनवाई की। साल 2018 में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ती खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की 3 जजों की बेंच ने याचिका पर सुनवाई की और ऑनर किलिंग के मामले रोकने के लिए कोई क़ानून ना होने पर स्वयं गाइडलाइन जारी की। गौरतलब है कि, शक्तियों का बंटवारा संविधान के मूल स्ट्रक्चर में शामिल है इसके बावजूद जो कार्य राज्यों की विधानसभा, लोकसभा को करना था वह कार्य न्यायलय द्वारा किया गया।
क्या है उच्चतम न्यायलय की गाइडलाइन :
यदि अलग-अलग समुदाय, जाति के वयस्क अपनी मर्ज़ी से शादी करते हैं तो किसी तीसरे व्यक्ति को उन्हें डराने धमकाने या उनके साथ हिंसा करने का हक़ नहीं है।
केंद्र सरकार को निर्देश देते हुए उचतम न्यायलय ने कहा था कि, सभी राज्य के हर जिले में ऑनर किलिंग के मामलों से निपटने के लिए स्पेशल सेल बनाई जाए।
गैर जातीय विवाह की स्थिति में राज्य सरकार द्वारा नवविवाहित जोड़े की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
धमकी मिलने पर निकटतम मैरिज ऑफिस से शिकायत दर्ज की जाए।
न्यायलय ने अपने निर्देश में साफ़ किया था की जब तक क़ानून ना बन जाए इन गाइडलाइन का पालन किया जाए। इसके बावजूद ना तो जमीनी स्तर पर गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है ना ही कोई कानून लाया जा रहा है। नतीजा ऑनर किलिंग के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
क्या है ऑनर किलिंग (ह्त्या) :
सगे सम्बन्धियों द्वारा प्रेम विवाह करने वाले युवक और युवती की ह्त्या को ओनर किलिंग कहते हैं। इसका प्रमुख कारण इंटर-कास्ट और इंटर-रिलीजन विवाह है। ये हत्याएं प्रायः परिवार और समाज के तथाकथित प्रतिष्ठा के नाम पर की जाती हैं। दरअसल ये ऑनर कीलिंग शब्द ही गलत है इस तरह की हत्याओं को सम्मान के लिए की गयी हत्या कैसे कहा जा सकता है अगर 2 वयस्क युवाओं ने अपनी मर्जी से विवाह कर लिया तो इसमें सम्मान को ठेस कैसे पहुँच सकती है। यह पूर्णतः अमानवीय, क्रूरतम ह्त्या है।
जाति की भूमिका :
आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी जातिगत मतभेदों में उलझे रहना हमारी मनासिकता के पिछड़े पन का सबूत है। ग्रामीण इलाकों में आज भी अंतर्जातीय विवाह की स्वीकार्यता ना के बराबर है। यह कानून व्यवस्था की नाकामी है कि, हम आज भी ऑनर किलिंग जैसी पितृसत्तात्मक समाज की बुराई को ख़त्म नहीं कर पा रहे हैं। जब संविधान भारत के हर नागरिक को कानून के समक्ष समता (अनुच्छेद 14), धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग और जन्म स्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं (अनुच्छेद 15), अभियक्ति की आज़ादी (अनुच्छेद 19) और जीवन जीने का अधिकार (अनुच्छेद 21) देता है, तब अपनी मर्ज़ी से शादी भी ना कर पाना, क्या नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन नहीं है। क्या इस प्रकार की ऑनर किलिंग की घटनाएं जमीनी स्तर पर संविधान के क्रियान्वयन की विफलता को नहीं दर्शाती।
पितृसत्तात्मक समाज की भूमिका :
दक्षिण एशिया समाज एक पितृसत्तात्मक समाज है। भारत के उत्तरी राज्यों में भी यह प्रवत्ति काफी प्रबल है। इसके अलावा यहाँ लोगों की पहचान उनकी जाति के आधार पर भी की जाती है। इस कारण जातिगत सम्मान लोगों की मानसिकता को जड़ कर गया है। यह केवल ग्रामीण इलाकों के लिए ही नहीं बल्कि आधुनिकता के केंद्र कहे जाने वाले शहरों पर भी लागू होता है।
सामाजिक संगठनों का दायित्व :
इस तरह के मामलों में सामजिक संगठन नकारात्मक भूमिका में नज़र आते हैं। सामज में कुरीतियों को समाप्त करने की जगह ऐसे मामलों में ये संगठन स्वयं विलेन के रूप में सामने आते हैं। ऐसे मामलों में परिवारों की सुलह कराने की जगह ये संगठन एकतरफा आंदोलन चलाकर समाज की बुराइयों को बढ़ावा देते नज़र आते हैं। यदि सामजिक संगठनों ने इसमें सकारात्मक भूमिका निभाई होती तो शायद आज दृश्य कुछ और होता।
क्या है गन्धर्व विवाह :
इस प्रकार के विवाह का प्रचलन प्राचीन काल में हुआ करता था। इस विवाह में वर-वधू को अपने अभिभावकों की अनुमति लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी। वर-वधु के राजी होने पर यह विवाह करा दिया जाता था। इसमें किसी क्षत्रिय के घर से लाई अग्नि से हवन करने के बाद हवन कुंड के तीन फेरे लिए जाते थे। परस्पर गठबंधन कर लेने मात्र से विवाह संपन्न मान लिया जाता था। इस विवाह को अभिभावक या सामज अस्वीकार नहीं कर सकते थे। कुछ दशकों पहले से आधुनिक समय में जातिगत पूर्वाग्रहों के चलते इस प्रकार के विवाह को सामजिक लोकभावनाओं के विरुद्ध समझा जाने लगा।
मध्यप्रदेश के ऑनर किलिंग के केस
मुरैना ऑनर किलिंग, साल 2023: मुरैना में एक परिवार ने अपनी बेटी और उसके प्रेमी की गोली मारकर हत्या कर दी। दोनों के शव को चम्बल नदी में फेंक दिया गया। यह घटना अंबाह थाना क्षेत्र की थी। 18 वर्षीय शिवानी का अपने पड़ोस वाले गांव के 21 वर्षीय राधेश्याम उर्फ छोटू से प्रेम प्रसंग चल रहा था। दोनों एक ही जाति के थे, इसके बावजूद दोनों के परिवार वालों को उनका रिश्ता नामंजूर था। मौका पाकर लड़की के घर वालों ने युवक और युवती दोनों को गोली मार दी। इन दोनों के शव अब तक नहीं मिले हैं।
खंडवा ऑनर किलिंग, मई 2023
खंडवा में ऑनर किलिंग का हैरान करने वाला मामला सामने आया था। यह घटना पिपलोद थाना क्षेत्र की थी। साल 2021 में राजस्थान में रहने वाले राजेंद्र सैनी ने सिंगोट की अमरीन से प्रेम विवाह किया था। परिवार वाले इस विवाह के सख्त खिलाफ थे। अमरीन को परिवार वालों ने बहला-फुसलाकर मायके वापस बुलवा लिया था। चार महीने बाद जब राजेंद्र, अमरीन को ससुराल लेने पहुंचा तब अमरीन के माता-पिता, भाई समेत अन्य लोगों ने उसे खूब पीटा। राजेंद्र को अंदरूनी चोंटें आयी थी। जिसके बाद उसकी मृत्यु हो गयी।
शिवपुरी ऑनर किलिंग, नवम्बर 2022
मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में यह केस दिल दहला देने वाला था। यहां अपने ही दामाद की उसके ससुराल वालों ने बेरहमी से हत्या कर दी। युवक ने गांव में ही उसके पड़ोस में रहने वाली लड़की से भागकर शादी की थी। साल 2020 में धीरू और छाया घर से भाग गए थे वापस लौटे तो सोचा परिवार वालों का गुस्सा शांत हो गया होगा पर धीरू के ससुराल वालों ने बंदूक के बट और कुल्हाड़ी से उस पर जानलेवा हमला किया। इस हमले में धीरू की मौत हो गयी।
इंदौर ऑनर किलिंग, मार्च 2021
ऑनर किलिंग का ये मामला इंदौर के रावजी बाजार थाना क्षेत्र के मोती तबेला का था। देवास निवासी समीर ने अलमास के साथ भागकर शादी की थी। लौटने पर युवती के भाइयों ने ही अपने जीजा की चाकू से 13 से अधिक वार कर ह्त्या कर दी।
भोपाल ऑनर किलिंग, नवम्बर 2021
ऑनर किलिंग का ये मामला काफी सनसनीखेज़ था। यह मामला रातीबड़ पुलिस थाना क्षेत्र का था। 25 वर्षीय युवती और उसके 6 महीने की बच्चे की लाश जंगल से बरामद हुई थी। युवती ने भागकर शादी की थी जिसके बाद पिता और भाई दोनों नाराज़ थे। जब वह अपने बच्चे के साथ मायके वापस लौटी तो पिता ने पहले तो अपनी ही 25 साल की बेटी के साथ दुष्कर्म किया फिर उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। इस दौरान बेटे ने भी उसकी मदद की। दोनों आरोपियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था।
जिन प्रकरणों की चर्चा अभी की गयी ये वो केस हैं जिनका भरपूर मीडिया कवरेज किया गया है। ऐसे बहुत से प्रकरण होते हैं जिन्हे ह्त्या, मारपीट, आदि के अंतर्गत रखा जाता है। अतः संभावना है की ऑनर किलिंग का आंकड़ा हमारी कल्पना से भी अधिक हो।
क्या किया जाना चाहिए :
उच्चतम न्यायलय द्वारा जारी गाइडलाइन की कॉपी हर मैरिज ऑफिस के सूचना पटल पर लगाई जाये।
लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाये।
समाज में जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए जनभागीदारी आंदोलन चलाया जाए।
नवविवाहित जोड़ों की सुरक्षा प्रशासन सुनिश्चित करे।
ऑनर किलिंग प्रिवेंशन एक्ट लाया जाए।
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