भिण्ड में नदियों का घटने लग जल स्तर, अब लोगों के आगे जीवन जीने का संकट

चंबल का जलस्तर 4 मीटर और सिंध एक फीट ऊपर बह रही, पानी उतरते ही लौट रहे लोगों को डर कि फिर तबाही न मचा दे बाढ़, जिला प्रशासन सहित समाजसेवी बाढ़ पीड़ितों को राशन, पानी व भोजन की करा रहे व्यवस्था।
भिण्ड के चंबल एवं सिंध नदी के रौद्र रूप की तस्वीरें कुछ यू बया कर रही है।
भिण्ड के चंबल एवं सिंध नदी के रौद्र रूप की तस्वीरें कुछ यू बया कर रही है। राज एक्सप्रेस, संवाददाता।
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भिण्ड, मध्य प्रदेश। चंबल एवं सिंध नदी का का रौद्र रूप धीरे- धीरे शांत होने लगा है, चंबल अभी भी खतरे के निशान से चार मीटर ऊपर बनी हुई है। चंबल नदी धीरे- धीरे नीचे की ओर खिसक रही है। इधर सिंध ने भारी तबाही मचाने के बाद पानी धीरे- धीरे कम हो रहा है।

हालांकि सिंध का जलस्तर खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर बना हुआ है। इन नदियों के किनारे बसे गांव बाढ़ के कारण पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं और लोग दूसरी जगह पलायन कर चुके हैं उनके घर-गृहस्थी का सामान बाढ़ में डूबकर नष्ट हो गया है अब दोनों नदियों का जल स्तर धीरे-धीरे कम होने लगा है जिससे लोग घर लौटने लगे हैं, लेकिन उनके घर रहने योग्य नहीं बचे कच्चे मकान पूरी तरह से ढह गये हैं और पक्के मकानों में दरारें आ गई हैं जो कभी भी गिर सकते हैं। बाढ़ से तबाह हुए लोग भूख से बिलबिला रहे हैं पूरे दिन में एक बार खाना खाकर जीवन यापन कर रहे हैं।

समाजसेवी संस्थाएं मदद करने के लिए गांव पहुंचकर लोगों की भूख मिटाने के लिए भोजन व्यवस्था कराने में जुटी हुई हैं, जिला प्रशासन भी पूरी दमखम के साथ लगा हुआ है फिर भी बाढ़ पीड़ितों के आंसू थम नहीं रहे हैं पिछले चार दिन से सिंध पूरी बेग के साथ उफान पर है। इस बाढ़ के कारण सिंध किनारे के दो दर्जन से ज्यादा गांव पूरी तरह तबाह हो चुके हैं। इन गांव वासिसों को घर गृहस्थी का सामना छोड़कर गांव से पलायन करना पड़ा था। सिंध नदी का सामान्य जलस्तर 6 मीटर माना जाता है। वहीं 10 मीटर पर आने पर रौद्र रूप धारण कर लेती है। परंतु इस बार सिंध नदी 19 मीटर तह पहुंच चुकी है। इस नदी के रौद्र बेग में कई पुल समां गए हैं।

इन नदियों के पुलों में आई दरारें :

सिंध नदी के पर्राचय, मेंहदा और अतरसूमा पुल में दरारें आ चुकी हैं। यह पुलों को नुकसान हुआ है। शनिवार की सुबह तक सिंध नदी का मेंहदा घाट पर जलस्तर 11.6 मीटर नापा गया है, जोकि खतरे के निशान से एक मीटर से ज्यादा बना हुआ है। पुल में दरारें होने की वजह से खतरा बना हुआ है जिला प्रशासन ने शनिवार को कुछ पुलों की मरम्मत कराना शुरु कर दिया है ताकि लोगों के लिए अवागमन प्रारंभ किया जा सके। बाढ़ के कारण नदियों के पुल डूब गये थे तो लोगों की जिदंगियां बचाने के लिए जिला प्रशासन को पुल का रास्ता बंद करना पड़ा था जो फिर से शुरु हो गये हैं।

एक दर्जन गांव को अपने घेरे में लेकर बैठी चंबल नदी :

अटेर क्षेत्र में एक दर्जन गांव को अपने घेरे में लेकर बैठी चंबल नदी भी अब धीरे-धीरे कम हो रही है। यह नदी का जलस्तर 128.50 मीटर से ज्यादा हो चुका था। यह नदी अब तक 126 मीटर आकर रूक गई है। जबकि इस नदी का जलस्तर 122 मीटर होने पर खतरे के निशान से ऊपर होना माना जाता है। नदियों का जल स्तर कम होने की बजह से लोगों ने राहत की सांस ली है और जिदंगी जीने की फिर से उम्मीद जाग रही है, लेकिन इस भयावह बाढ़ का खतरा भी सता रहा है।

पलायन कर चुके ग्रामीण लौट रहे घर, फिर सता रहा पानी का डर :

पिछले दो दिन से जिले का मौसम साफ है, सिंध नदी का पानी घट रहा है। डेढ़ दर्जन गांव से पानी उतर गया है परंतु अभी भी पांच से छह गांव ऐसे है जिनमें पानी भरा हुआ है। जखमौली, अतरसूमा समेत कई गांव भिंड जिले की सिंध नदी के अंतिम सीमा पर बसे हैं। यह सिंध के नीचले हिस्से में होने की वजह से बाढ़ की चपेट में है। जखमौली गांव में बाढ़ का पानी आने की अफवाह बनी हुई है। गांव के रहने वाले मनोज कुशवाह का कहना है कि डैम से पानी छोड़ने की सूचना मोबाइल वॉट्सऐप पर लोगों के पास आ रही है। इस वजह से लोग घबराए हुए हैं।

डूब चुके गांवों की हालत दयनीय :

नदी की बाढ़ में डूब चुके गांवों की हालत दयनीय हो चुकी है। यह गांव में लोगों के पास खाने के लिए अनाज और पहनने के लिए कपड़े को मोहताज हो रहे हैं। रौन क्षेत्र के ग्राम कुसमरिया, खैरा, निवसाई, रेंवजा, महायर जैसे गांव से लोग पलायन कर चुके थे। पानी आने पर यहां खाने पीने का इंतजाम नहीं है। प्रशासनिक अफसरों की चुस्त- दुरूस्त व्यवस्था पर सवालिया निशान लग रहे हैं। एक भी बार यहां गांव में अफसर, पानी उतरने के बाद पूछने नहीं पहुंचे।

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